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माइक्रो वेडिंग प्लान - वक्त की जरूरत

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      विवाह एक पारंपरिक सार्वजनिक समारोहों के रूप में प्राचीन समय से भारत में मनाया जाता रहा है. अपनी खुशी में अपने सभी प्रियजनों को शामिल किया जाना इसके पीछे की खास वजहों में से एक है किन्तु सबसे मुख्य कारण जो इसके पीछे है वह है समाज के एक बड़े वर्ग को यह जानकारी होना कि एक लड़का और एक लड़की इस तरह से विवाह बंधन में बंधने जा रहे हैं और इन्हें आज से समाज पति पत्नि के रूप में मान्यता प्रदान करे. ये परंपरा यूँ ही चलती आ रही थी किन्तु 2020 में पूरे विश्व में कोरोना के प्रसार को देखते हुए लोगों के आपस में मिलने पर प्रतिबन्ध लगाया गया. कोरोना कर्फ्यू घोषित किया गया, तब विवाह को केवल पारिवारिक संस्था तक ही सीमित कर दिया गया. फिर धीरे धीरे देश कोरोना के कहर से बाहर आया किन्तु कोरोना के समय में लगी बहुत सी आदतों को नहीं छोड़ पाया, जैसे कि चेहरे पर मास्क लगा कर घर से बाहर निकलना, बाहर से घर में आकर साबुन से हाथ पांव धोना आदि और इन्हीं आदतों में एक आदत आज भारतीय समाज में व्याप्त होती जा रही है विवाह समारोह का बेहद संक्षेप में आयोजन, जिसे नाम दिया गया है - "माइक्रो वेडिंग"   ...

महिला अधिवक्ताओं की उपेक्षा

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  शामली जिले में 8 मार्च 2025 को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस बड़े उत्साह के साथ मनाया गया जिसमें कहीं महिला न्यायाधीशों को, कहीं महिला प्रशासनिक अधिकारी को, कहीं समाज सेविकाओं को, कहीं महिला साहित्यकारों को, कहीं आँगन बाड़ी कार्यकर्तियो को, कहीं शिक्षिकाओं को, कहीं महिला खिलाड़ियों को सम्मानित किया गया, स्पष्ट रूप से महिला शक्ति के रूप में शामली जिले में इन्हीं के योगदान को महत्व दिया गया. यह एक आश्चर्य की बात ही है कि न्याय की पैरोकार महिला अधिवक्ताओं को प्रशासन द्वारा तो छोड़िए उनकी बार एसोसिएशन द्वारा भी सम्मान के योग्य नहीं समझा गया. जहां एक तरफ महिला अधिवक्ताओं की न्याय के प्रति प्रतिबद्धता के कारण उन पर हमले बढ़े हैं, उनके प्रति मुवक्किलों का विश्वास बढ़ा है वहीं उनका सम्मान करने को लेकर यह उपेक्षा न्याय नहीं कही जा सकती है. इस समय शामली जिले में लगभग 50 महिला अधिवक्ता आम आदमी को न्याय दिलाने के लिए प्रयासरत हैं वहीं ऊन तहसील में मात्र एक महिला अधिवक्ता बहुत सी विपरीत परिस्थितियों का सामना करते हुए आम जनता को न्याय दिला रही है. ऐसे में महिला अधिवक्ताओं के लिए प्रशासन के साथ साथ...

आदमी की पहचान

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मुजफ्फरनगर का नाम विजय लक्ष्मी नगर हो

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  उत्तर प्रदेश विधान परिषद में भाजपा एमएलसी और प्रदेश उपाध्यक्ष मोहित बेनीवाल द्वारा मुजफ्फरनगर का नाम बदलकर “लक्ष्मीनगर” रखने की मांग उठाई गई है । उन्होंने बजट सत्र के दौरान यह मांग रखी और कहा कि यह जनभावना से जुड़ा विषय है और इस ऐतिहासिक मांग को पूरा किया जाना चाहिए।मोहित बेनीवाल ने कहा कि हमारी धार्मिक परंपराओं और इतिहास के प्रति सम्मान रखते हुए महानगरों व स्थानों के नाम में सत्यता और परंपरा का अनुसरण किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मुजफ्फरनगर का नाम ऐतिहासिक रूप से लक्ष्मीनगर होना चाहिए, क्योंकि यह क्षेत्र पहले से ही एक पवित्र स्थान रहा है।           भारत वर्ष की धार्मिक और ऐतिहासिक परंपराओं के प्रति सम्मान की भावना को ध्यान में रखते हुए भाजपा एम एल सी मोहित बेनीवाल जी की यह मांग कोई नई नहीं है. भारत वर्ष में प्राचीन समय से ही हमारे महापुरुषों और देवी देवताओं का सम्मान बनाए रखने के लिए विभिन्न नगरों, जिलों आदि का नाम उनके नाम पर रखे जाने की परंपरा रही है जिसे तुर्कों मुगलों आदि के भारत में आक्रमण किए जाने पर गहरा धक्का लगा. आज जब देश में सनातन धर्म और ...

कर्म करो - शालिनी कौशिक एडवोकेट

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कर्म - शालिनी कौशिक एडवोकेट

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सोशल मीडिया की आजादी सम्भाल नहीं पा रही महिलाएं

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 हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि "यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता."    अर्थात जहां नारी की पूजा होती है, नारी का सम्मान होता है वहां देवता निवास करते हैं. नारी की महत्ता विश्व संस्कृति में पुरुषों से ऊपर स्थान रखती है. ब्रिटेन की पहली महिला प्रधानमंत्री मार्गरेट थैचर ने कहा था कि-" यदि आप कुछ कहना चाहते हैं, तो एक आदमी से पूछें; यदि आप कुछ करना चाहते हैं, तो एक महिला से पूछें।" इससे उन्होंने साफ साफ यह संदेश दिया है कि पुरुष कार्य करने से ज्यादा बोलते हैं किन्तु महिला चुप रहकर ही कार्य को अंजाम तक पहुंचा देती है. भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री जिन्हें आयरन लेडी ऑफ इंडिया भी कहा जाता है श्रीमती इंदिरा गांधी जी ने भी कहा था कि -  "महिलाएं केवल घर की देखभाल करने वाली नहीं बल्कि समाज की दिशा निर्धारित करने वाली होती हैं." बच्चे को जन्म देने वाली, बच्चे को हर संकट से बचाने वाली, बच्चे को मौत से बचाने वाली, जीवन में आगे बढ़ाने वाली उसकी माँ ही होती है, यहां तक कि किसी सफल व्यक्ति के पीछे उसकी माँ या उसकी पत्नी अर्थात एक नारी का ही हाथ कहा जाता रह...