संदेश

इकरा चौधरी के मन की बात मानी जाए.

चित्र
      इकरा हसन आज भारतीय राजनीति में एक विख्यात और समझदार राजनेत्री के रूप में पहचान बना रही हैं. कैराना क्षेत्र से हसन परिवार की चौथी सांसद के रूप में तो इकरा हसन ने नाम कमाया ही है उससे कहीं ज्यादा नाम राजनीति में होते हुए, पढ़ी लिखी होते हुए भी सर से दुपट्टा न हटने देने वाली भारतीय नारी के संस्कारों को अपनाकर कमा रही हैं.       विकिपीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार इकरा चौधरी एक भारतीय राजनीतिज्ञ तथा वर्तमान में कैराना लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र से सांसद हैं। वे समाजवादी पार्टी दल की राजनेत्री हैं। इकरा लोकसभा के साथ-साथ राज्यसभा के पूर्व सदस्य दिवंगत चौधरी मुनव्वर हसन और लोकसभा की पूर्व सदस्य बेगम तबस्सुम हसन की बेटी हैं. उन्होंने नई दिल्ली के क्वीन मैरी स्कूल से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की और दिल्ली विश्वविद्यालय के लेडी श्री राम कॉलेज से कला स्नातक की डिग्री हासिल की। ​​इसके बाद उन्होंने 2020 में लंदन के SOAS विश्वविद्यालय से एमएससी अंतर्राष्ट्रीय राजनीति और कानून की पढ़ाई पूरी की।इकरा एक राजनीतिक परिवार से आती हैं, उनके दादा अख्तर हसन, पिता मुनव्...

पुरुषों की सोच यहां भी नहीं बदली

चित्र
हिन्दू धर्म की एक प्रसिद्ध उक्ति है "यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता" जिसे हिन्दू धर्मावलंबियों द्वारा बहुत ही जोर शोर से उच्चारित किया जाता है. आजकल प्रयाग राज उत्तर प्रदेश में महाकुंभ आयोजित किया जा रहा है, जहां चहुँ ओर हिन्दू धर्म का डंका बज रहा है. साधू संतों के प्रवास के दौरान सारी प्रयाग राज की धरती पवित्र हो रही है. हिन्दू धर्म का झंडा बुलन्द करने वाली भाजपा नीत केंद्र और राज्य की सरकार ने श्रद्धालुओं के प्रयाग राज में पहुंचने की उत्तम व्यवस्था की है मीडिया द्वारा हिंदू धर्म - सनातन धर्म के इस पर्व को लेकर खासा प्रचार प्रसार किया जा रहा है. जिससे युवाओं से लेकर बुजुर्गों तक में उल्लास पूर्ण वातावरण है जिससे बड़ी संख्या में श्रद्धालु ज़न वहां पहुंच रहे हैं. इसी उल्लास को लेकर आने वाली दो खबरों ने हिन्दू धर्म संस्कृति पर सवाल खड़े कर दिए हैं. एक मध्य प्रदेश के महेश्वर से माला बेचने आई मोनालिसा के साथ युवाओं से लेकर बुजुर्गों तक का असभ्य, अशोभनीय  व्यवहार और एक साध्वी बनने जा रही मॉडल हर्षा रिछारिया की सुन्दरता के पीछे पागलपन की हदें पार करती हिन्दू जनता. सवाल ...

भाजपा की ओछी सोच

चित्र
  नारी को लेकर भारत के नेताओं की सोच समय समय पर सामने आती रही है. पहले राजद नेता लालू प्रसाद यादव विख्यात अभिनेत्री हेमा मालिनी के गालों को लेकर विवादित टिप्पणी कर चुके हैं , अब भाजपा नेता रमेश बिधूड़ी कॉंग्रेस नेत्री प्रियंका गांधी के गालों पर टिप्पणी करने बैठ गए हैं. रमेश विधूड़ी कहते हैं कि , 'लालू ने वादा किया था कि बिहार की सड़कों को हेमा मालिनी के गालों जैसा बना दूंगा, लेकिन वे ऐसा नहीं कर पाए। मैं आपको विश्वास दिलाता हूं, जैसे ओखला और संगम विहार की सड़कें बना दी हैं, वैसे ही कालकाजी में सारी की सारी सड़कें प्रियंका गांधी के गाल जैसी बना दूंगा।' लालू प्रसाद यादव ऐसी ओछी टिप्पणी कर सकते हैं क्योंकि वे भारतीय संस्कृति का झंडा बुलन्द करने का दावा नहीं करते, किन्तु भारतीय संस्कृति, वह संस्कृति जिसमें कहा गया है कि "यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता,  का झंडा बुलन्द करने का दावा करने वाली भाजपा, सम्मान करने का ढोंग, दिखावा करने वाली भाजपा के नेता जब महिलाओं पर ऐसी निकृष्ट टिप्पणी करते हैं तो अपने हृदय में महिलाओं के सम्मान की वास्तविक भावना की पोल खोलकर रख देते ...

बेंच खत्म कर रही बार से सुमधुर सम्बन्ध

चित्र
  29 अक्टूबर 2024 को न्याय के इतिहास का काला दिन अगर कहा जाए तो गलत नहीं होगा क्योंकि इस दिन एक न्यायाधीश द्वारा न्याय के पैरोकार अधिवक्ताओं पर न्यायालय कक्ष में ही पुलिस बुलाकर लाठीचार्ज करवा दिया जाता है, मात्र इसलिए कि वे अपने केस की जल्द सुनवाई की मांग कर रहे थे और जिसके लिए न्यायाधीश के पास समय न होने पर केस अन्य कोर्ट में स्थानांतरित किये जाने का आग्रह कर रहे थे, जो कि न्याय प्रक्रिया के नियमों में पहले से ही सम्मिलित है.       अभी हाल ही में न्याय के क्षेत्र में बहुत से ऐसे कार्य हो रहे हैं जिन्हें न्यायिक दृष्टि में कदापि खरे नहीं उतरते और इन्ही कार्यों में एक कार्य हुआ है "न्याय की देवी की आंखों पर बंधी पट्टी का उतारा जाना" जिसे कोई भी न्यायविद सही नहीं कह सकता क्योंकि न्याय की देवी की आंखों पर पट्टी बांधने का मतलब निष्पक्ष न्याय से है जिसके बारे में न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा है कि -     "आंखों पर पट्टी बांधने का मतलब है कि न्याय समान रूप से और निष्पक्ष रूप से किया जाना चाहिए, चाहे अदालत में कोई भी खड़ा...

योगी आदित्यनाथ इस तरह बना रहे उत्तर प्रदेश को बना रहे उत्तम प्रदेश

चित्र
   26 अक्टूबर 2024 के समाचारपत्रों की सुर्खियां "जिले के आठ केंद्रों पर होगी पीसीएस की प्री-परीक्षा" न केवल शामली जिले का गौरव बढ़ा रही थी बल्कि प्रदेश के युवाओं, छोटे व्यापारियों, दुकानदारों के लिए जीवन में एक नए उजाले की ऊर्जा भर रही थी.     दैनिक अमर उजाला में प्रकाशित समाचार के अनुसार यूपीपीसीएस की परीक्षा जो पहले 26 व 27 अक्तूबर को प्रस्तावित थी, को टालकर सात और आठ दिसंबर कर दिए जाने के बाद जनपद में परीक्षा को लेकर तैयारियां शुरू हो गई है। परीक्षा के लिए शामली जनपद में आठ केंद्र बनाये गये हैं. जिला विद्यालय निरीक्षक जेएस शाक्य के अनुसार "इस बार जनपद में भी पीसीएस की प्रारंभिक परीक्षा 2024 का आयोजन होना है। आयोग के सचिव की ओर से पिछले दिनों डीएम को पत्र भेजकर केंद्रों की सूचना मांगी गई थी। उन्होंने बताया कि पत्र के अनुसार परीक्षा दो पाली में आयोजित होगी। जिसमें पहली पाली सुबह 9.30 से 11.30 तक रहेगी। जबकि दूसरी पाली दोपहर 2.30 से 4.30 बजे तक रहेगी। जिलाधिकारी से 17 अक्तूबर तक 480 और कम से कम 384 अभ्यर्थियों के बैठने की क्षमता वाले केंद्रों की सूची मांगी गई थी।उन्ह...

वकीलों से निरन्तर दुर्व्यवहार

चित्र
सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को एक वकील द्वारा गलती से न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय को "न्यायमूर्ति हृषिकेश मुखर्जी" कह दिए जाने पर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ ने तुरंत वकील को टोका और कहा कि एक वकील को न्यायाधीशों के नाम मालूम होने चाहिए। इस मामले का जिक्र करते हुए वकील ने कहा, "यह मामला न्यायमूर्ति हृषिकेश मुखर्जी के सामने था।" इस पर चीफ जस्टिस ने तुरंत उन्हें टोकते हुए कहा, "हृषिकेश मुखर्जी या न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय? अगर आप रॉय को मुखर्जी बना देंगे तो... आपको अपने जजों के नाम मालूम होने चाहिए। यह तो हद है। कृपया वेबसाइट पर जाकर नाम चेक कीजिए।"        अपने कार्यकाल के दौरान यह कोई पहला वाकया नहीं है जब माननीय मुख्य न्यायाधीश द्वारा वकीलों का अपमान किया गया है. जरा सी शब्दों की चूक या प्रक्रिया के पालन में थोड़ी कमी को माननीय मुख्य न्यायाधीश तुरंत नोट करते हैं और वकीलों को मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार लताड़ते या डांटते रहते हैं. वकील द्वारा जस्टिस हृषीकेश राय का नाम हृषीकेश मुखर्जी कह देना एक जरा सी संबोधन की चूक है जिसका कोई महत्त्व इतने बड़े स्तर...

प्लैजर मैरिज

चित्र
     विश्व में सबसे ज्यादा मुस्लिम जनसंख्या वाले देश इंडोनेशिया में वर्तमान में निकाह का एक ढंग ट्रेडिंग हो रहा है , जिसमें गरीबी का जीवन गुजार रही महिलाओं और बालिकाओं की शादी वहां आने वाले पर्यटकों से कर दी जाती है. धीरे धीरे यह ट्रेंड इंडोनेशिया में इतनी तेजी से बढ़ रहा है कि निकाह मुताह (या अस्थायी शादी) की प्रथा ने गरीब समुदायों में गहरी जड़ें जमा रहा है।  मुता निकाह         मुस्लिम समुदाय में मुताह निकाह या अस्थायी शादी किसे कहते हैं सबसे पहले हम उसी पर ध्यान दे रहे हैं. मुताह विवाह, इस्लाम में अस्थायी विवाह का एक रूप है. इसे निकाह मुताह भी कहा जाता है. मुताह विवाह के बारे में ज़रूरी बातेंः   *मुता विवाह, पुरुष और महिला के बीच एक अनुबंध होता है. यह एक निश्चित अवधि के लिए होता है, जो एक घंटे से लेकर 99 साल तक हो सकती है.   *मुता विवाह, केवल शियाओं द्वारा मान्यता प्राप्त है. सुन्नी समुदाय में इसे मान्यता नहीं मिली है.  * मुता विवाह में पति और पत्नी के बीच उत्तराधिकार का कोई अधिकार नहीं होता.   *मुता विवाह में ...