रिश्तों पर कलंक :पुरुष का पलड़ा यहाँ भी भारी
रिश्तों पर कलंक :पुरुष का पलड़ा यहाँ भी भारी ''रिश्तों की ज़माने ने क्या रीत बनायी है , दुश्मन है मेरी जां का लेकिन मेरा भाई है .'' पुरुष :हमेशा से यही तो शब्द है जो समाज में छाया है ,देश में छाया है और अधिक क्या कहूं पूरे संसार पर छाया है .बड़े बड़े दावे,प्रतिदावे ,गर्वोक्ति पुरुष के द्वारा की जाती है स्वयं को विश्व निर्माता और नारी को उसमे दोयम दर्ज दिया जाता है .और पुरुष के इस दावे को हाल ही की कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं ने पूर्णतया साबित भी कर दिया है .हर जगह हर काम में स्वयं की श्रेष्ठता का गान गाने वाला पुरुष अपने बारे में बिलकुल सही कहता है और सही है ''हर जगह अव्वल है ''. २ अप्रैल २०१२ की शाम को कांधला [शामली ]में चार शिक्षिका बहनों पर तेजाबी हमला सुर्ख़ियों में था .हर ओर से इस मामले के खुलासे की मांग की जा रही थी जहाँ परिजन किसी रंजिश से इंकार कर रहे थे वहीँ पुलिस और आम जनता सभी के दिमाग में यह चल रहा था कि आखिर ऐसे ही कोई लड़कियों पर तेजाब क्यों फैंकेगा और आखिर खुलासा हो गया और ऐसा खुलासा जिसने न केवल कांधला कस्बे को शर्मसार किया...