समीक्षा - "ये तो मोहब्बत नहीं" - समीक्षक शालिनी कौशिक
 समीक्षा -  '' ये तो मोहब्बत नहीं ''-समीक्षक शालिनी कौशिक   उत्कर्ष प्रकाशन ,मेरठ द्वारा प्रकाशित डॉ.शिखा कौशिक 'नूतन' का काव्य-संग्रह 'ये तो मोहब्बत नहीं ' स्त्री-जीवन के यथार्थ चित्र को प्रस्तुत करने वाला संग्रह है .आज भी हमारा समाज पितृ-सत्ता की ज़ंजीरों में ऐसा जकड़ा हुआ है कि वो स्त्री को पुरुष के समान सम्मान देने में हिचकिचाता है .त्रेता-युग की 'सीता' हो अथवा कलियुग की 'दामिनी' सभी को पुरुष -अहम् के हाथी के पैरों द्वारा कुचला जाता है .               कवयित्री डॉ. शिखा कौशिक काव्य-संग्रह में संग्रहीत अपनी कविता 'विद्रोही सीता की जय'' के माध्यम  इस तथ्य को उद्घाटित करने का प्रयास करती हैं कि सीता का धरती में समां जाना उनका पितृ-सत्ता के विरूद्ध विद्रोह ही था ; जो अग्नि-परीक्षा के पश्चात् भी पुनः शुचिता-प्रमाणम के लिए सीता को विवश कर रही थी -   'जो अग्नि-परीक्षा पहले दी उसका भी मुझको खेद है ,  ये कुटिल आयोजन बढ़वाते नर-नारी में भेद हैं ,  नारी-विरूद्ध अन्याय पर विद्रोह की भाषा बोलूंगी ,  नारी-जाति  सम्मान हित अपवाद स्वयं मै...
 
 
