हमें खबर है ख़ुशी के घर है पूरी पहरेदारी.


दुःख सहने की जीवन में अब कर ली है तैयारी
हमें खबर है ख़ुशी के घर है पूरी पहरेदारी.
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ऐसे कर्म किये जीवन में दुःख ही दुःख अब सहना है,
मन ही मन घुटते रहना है किसी से कुछ न कहना है.
सबकी आती है अपनी भी आ गयी अब तो बारी,
हमें खबर है ख़ुशी के घर है पूरी पहरेदारी.
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भला किसी का किया नहीं सोच में भी न लाये,
इसीलिए अब दिन हमारे सब ऐसे कटते जाएँ.
किसी से हट जाये भले दुःख अपना रहेगा जारी,
हमें खबर है ख़ुशी के घर है पूरी पहरेदारी.
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मिलना जुलना बंद किया है जीवन अपना कोसेंगे,
अब तक नादानी भोगी है अब बेचैनी भोगेंगे.
जीती हो भले ही सबसे दुःख से ''शालिनी''हारी,
हमें खबर है ख़ुशी के घर है पूरी पहरेदारी.
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शालिनी कौशिक

टिप्पणियाँ

Anita ने कहा…
दुःख का जो स्वागत करेगा उसे भगवान भी दुःख से नहीं बचा सकते...हमें तो सुख के कुसुम खिलाने हैं
Misra Raahul ने कहा…
काफी उम्दा प्रस्तुति.....
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (14-01-2014) को "मकर संक्रांति...मंगलवारीय चर्चा मंच....चर्चा अंक:1492" पर भी रहेगी...!!!
- मिश्रा राहुल
पहरेदार से क्या डरना ?डरना है तो मालिक से डरो |
रचना बहुत अच्छी है !
मकर संक्रान्ति की शुभकामनाएं !
नई पोस्ट हम तुम.....,पानी का बूंद !
नई पोस्ट बोलती तस्वीरें !
सुख दुख आना जाना है ... जो आए उसका स्वागत है ...
Asha Joglekar ने कहा…
सुख दुख आते हैं जाते हैं,
अपने ही साथ निभाते है।
Asha Joglekar ने कहा…
सुख दुख आते हैं जाते हैं,
अपने ही साथ निभाते है।

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