तेरी रब ने बना दी जोड़ी
एक फ़िल्मी गाना शायद सभी ने सुना होगा -
''सच्चाई छिप नहीं सकती बनावट के उसूलों से ,
कि खुश्बू आ नहीं सकती कभी कागज़ के फूलों से .''
और आम आदमी पार्टी चाहे आम आदमी का कितना ही चोला ओढ़ ले चाहे अपनी सफलता को कितना ही अपनी जन लोकप्रियता में तोल ले किन्तु 'जैसे कि कागज़ के फूलों से कभी खुश्बू नहीं आ सकती ,जैसे चोर की दाढ़ी में तिनका हो तो वह देर-सवेर दिख ही जाता है तो यही दिखने लगा है .सत्ता हाथ में आते ही आम आदमी पार्टी पर यह सफलता पचाए नहीं पच रही रोज़ नए नाटक ,यही कहना होगा क्योंकि इन्हें कोई काम नहीं है सिवाय इसके कि किसी भी तरह ऐसा कुछ किया जाये कि कॉंग्रेस अपना समर्थन वापस ले ले और हम अपने को पीड़ित दिखाकर जनता से सहानुभूति वोट ले ले .राहुल गांधी की लोकप्रियता से मुफ्त में प्रचार पाने वाले कुमार विश्वास आज राहुल गांधी के नाम की ही बदौलत एक जाना पहचाना नाम हैं और लगातार लगे हुए हैं कुछ भी ऐसा करने में जिससे जनता एक ऐसी पार्टी को समर्थन देने के लिए राहुल जी के पार्टी को नकार दे और इसलिए जानते हैं कि इसका आसान तरीका है जनता की भावनाओं को भड़काने का और वे यही कर रहे हैं
[आम आदमी पार्टी के नेता कुमार विश्वास एक के बाद एक मुश्किलों में फंसते जा रहे हैं। मुस्लिमों की भावनाओं के भड़काने के मामले के बाद अब उन पर सिख धर्म को मानने वालों की भावनाएं भड़काने का आरोप लगा है।
इससे पहले कुमार विश्वास पर लखनऊ और बरेली में धार्मिक भावनाएं आहत करने के मामले में एफआईआर दर्ज कराई गई थी। एक के बाद एक विवाद और अपनी ही पार्टी में शुरू हुई बगावत के कारण कुमार विश्वास पार्टी के लिए बड़ी मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं।
धार्मिक भावनाओं के अलावा उन पर नस्लवाद जैसे गंभीर आरोप भी लगे हैं, जिस पर केरलकांग्रेस की ओर से उनके खिलाफ आपत्ति दर्ज कराई गई थी।].[अमर उजाला से साभार ]
यही नहीं यह पार्टी बात तो आम आदमी के हित की करती है और काम उसके खिलाफ करती है इस वक़्त जब दिल्ली की सत्ता इनके हाथ लगी है तो इन्हें जबकि यह पता है कि यह सत्ता एक स्थिर सरकार नहीं है और ज़रूरी नहीं कि आगे इन्हें सत्ता में आने का मौका मिले तो फिर इन्हें यदि ये जनता का हित चाहने वाले हैं तो जनता का हित देखते हुए उस तरफ ही अपना ध्यान लगाना चाहिए किन्तु ये लगे हैं ऐसे कार्यों में जिससे अधिक से अधिक लोकप्रियता हासिल कर अपने लिए लोकसभा चुनावों में आने का एक मजबूत स्थान बना सकें इस पार्टी को देखकर और इनके कानून मंत्री को देखकर तो यही लगता है कि बिल्ली के भाग से छींका फूटा ,पहले तो स्वयं सेक्स रैकिट पर छापा डालने पहुँच गए और अब जब बात गले से नीचे नहीं उतर रही तो लगे हैं अनर्गल प्रलाप करने .
जैसे सावन के अंधे को हरा ही हरा दिखायी देता है ऐसे ही इनके साथ हुआ है ये भ्रष्टाचार के अंधे हैं इन्हें हर जगह भ्रष्टाचार ही दिख रहा है और यह भी हो सकता है कि हर जगह मीडिया को साथ लेकर फिरने वाले ये स्वयं भी उसका ऐसे ही इस्तेमाल करते हों इसलिए दिल्ली महिला आयोग व् अपने वकील की बहस पर सवाल पूछने पर सोमनाथ भारती जल्दी में अपनेही तरीके उजागर कर गए और कह गए कि मोदी से कितने पैसे लिए और अब इनके मुखिया जी को ही देख लीजिये एक तरफ तो उपराज्यपाल महोदय के पास पहुँचते हैं १९८४ के दंगों में कॉंग्रेस की भूमिका की जाँच के लिए और उस आतंकी के लिए जिसका कच्चा चिठा ये है -
देवेंद्र सिंह भुल्लर को 1993 में नई दिल्ली के रायसीना रोड पर यूथ कांग्रेस ऑफिस पर हुए धमाके में मौत की सजा हुई है। धमाके में 9 लोग मारे गए थे और उस समय के युवा कांग्रेस अध्यक्ष एमएस बिट्टा सहित 25 लोग घायल हुए थे।[अमर उजाला से साभार ]
उसके लिए मांगते हैं माफ़ी [स्वयं का तो कुछ भी नहीं है इस पार्टी के पास सब कुछ नक़ल ,इस आतंकी के मानसिक रूप से बीमार होने पर इसकी पत्नी की मांग पर ये मांग तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने भी की थी]
''इब्तदाये इश्क़ है रोता है क्या ,
आगे आगे देखिये होता है क्या .''
शालिनी कौशिक
[कौशल ]
''सच्चाई छिप नहीं सकती बनावट के उसूलों से ,
कि खुश्बू आ नहीं सकती कभी कागज़ के फूलों से .''
और आम आदमी पार्टी चाहे आम आदमी का कितना ही चोला ओढ़ ले चाहे अपनी सफलता को कितना ही अपनी जन लोकप्रियता में तोल ले किन्तु 'जैसे कि कागज़ के फूलों से कभी खुश्बू नहीं आ सकती ,जैसे चोर की दाढ़ी में तिनका हो तो वह देर-सवेर दिख ही जाता है तो यही दिखने लगा है .सत्ता हाथ में आते ही आम आदमी पार्टी पर यह सफलता पचाए नहीं पच रही रोज़ नए नाटक ,यही कहना होगा क्योंकि इन्हें कोई काम नहीं है सिवाय इसके कि किसी भी तरह ऐसा कुछ किया जाये कि कॉंग्रेस अपना समर्थन वापस ले ले और हम अपने को पीड़ित दिखाकर जनता से सहानुभूति वोट ले ले .राहुल गांधी की लोकप्रियता से मुफ्त में प्रचार पाने वाले कुमार विश्वास आज राहुल गांधी के नाम की ही बदौलत एक जाना पहचाना नाम हैं और लगातार लगे हुए हैं कुछ भी ऐसा करने में जिससे जनता एक ऐसी पार्टी को समर्थन देने के लिए राहुल जी के पार्टी को नकार दे और इसलिए जानते हैं कि इसका आसान तरीका है जनता की भावनाओं को भड़काने का और वे यही कर रहे हैं
[आम आदमी पार्टी के नेता कुमार विश्वास एक के बाद एक मुश्किलों में फंसते जा रहे हैं। मुस्लिमों की भावनाओं के भड़काने के मामले के बाद अब उन पर सिख धर्म को मानने वालों की भावनाएं भड़काने का आरोप लगा है।
इससे पहले कुमार विश्वास पर लखनऊ और बरेली में धार्मिक भावनाएं आहत करने के मामले में एफआईआर दर्ज कराई गई थी। एक के बाद एक विवाद और अपनी ही पार्टी में शुरू हुई बगावत के कारण कुमार विश्वास पार्टी के लिए बड़ी मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं।
धार्मिक भावनाओं के अलावा उन पर नस्लवाद जैसे गंभीर आरोप भी लगे हैं, जिस पर केरलकांग्रेस की ओर से उनके खिलाफ आपत्ति दर्ज कराई गई थी।].[अमर उजाला से साभार ]
यही नहीं यह पार्टी बात तो आम आदमी के हित की करती है और काम उसके खिलाफ करती है इस वक़्त जब दिल्ली की सत्ता इनके हाथ लगी है तो इन्हें जबकि यह पता है कि यह सत्ता एक स्थिर सरकार नहीं है और ज़रूरी नहीं कि आगे इन्हें सत्ता में आने का मौका मिले तो फिर इन्हें यदि ये जनता का हित चाहने वाले हैं तो जनता का हित देखते हुए उस तरफ ही अपना ध्यान लगाना चाहिए किन्तु ये लगे हैं ऐसे कार्यों में जिससे अधिक से अधिक लोकप्रियता हासिल कर अपने लिए लोकसभा चुनावों में आने का एक मजबूत स्थान बना सकें इस पार्टी को देखकर और इनके कानून मंत्री को देखकर तो यही लगता है कि बिल्ली के भाग से छींका फूटा ,पहले तो स्वयं सेक्स रैकिट पर छापा डालने पहुँच गए और अब जब बात गले से नीचे नहीं उतर रही तो लगे हैं अनर्गल प्रलाप करने .
जैसे सावन के अंधे को हरा ही हरा दिखायी देता है ऐसे ही इनके साथ हुआ है ये भ्रष्टाचार के अंधे हैं इन्हें हर जगह भ्रष्टाचार ही दिख रहा है और यह भी हो सकता है कि हर जगह मीडिया को साथ लेकर फिरने वाले ये स्वयं भी उसका ऐसे ही इस्तेमाल करते हों इसलिए दिल्ली महिला आयोग व् अपने वकील की बहस पर सवाल पूछने पर सोमनाथ भारती जल्दी में अपनेही तरीके उजागर कर गए और कह गए कि मोदी से कितने पैसे लिए और अब इनके मुखिया जी को ही देख लीजिये एक तरफ तो उपराज्यपाल महोदय के पास पहुँचते हैं १९८४ के दंगों में कॉंग्रेस की भूमिका की जाँच के लिए और उस आतंकी के लिए जिसका कच्चा चिठा ये है -
देवेंद्र सिंह भुल्लर को 1993 में नई दिल्ली के रायसीना रोड पर यूथ कांग्रेस ऑफिस पर हुए धमाके में मौत की सजा हुई है। धमाके में 9 लोग मारे गए थे और उस समय के युवा कांग्रेस अध्यक्ष एमएस बिट्टा सहित 25 लोग घायल हुए थे।[अमर उजाला से साभार ]
उसके लिए मांगते हैं माफ़ी [स्वयं का तो कुछ भी नहीं है इस पार्टी के पास सब कुछ नक़ल ,इस आतंकी के मानसिक रूप से बीमार होने पर इसकी पत्नी की मांग पर ये मांग तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने भी की थी]
आतंकी भुल्लर की फांसी के विरोध में आए केजरीवाल
और मीडिया हर वक़्त हर कदम पर इनके साथ ये भला करें तो बखान , बुरा करें तो ढलान .किन्तु आप के तेवर देखकर भी यही लगता है कि वह भी मीडिया के साथ वैसे ही है जैसे ''तू डाल डाल मैं पात पात ''और इसलिए अभी तो सोमनाथ ने इनसे ये ही पुछा है कि कितने पैसे दिए मोदी ने आगे पता नहीं क्या क्या पूछेंगे .वैसे भी मीडिया ने ही इस पार्टी को उभारा है इसलिए ये भी तो अपने पर किये गए एहसान को चुकाएंगे और इस तरह विभीषण बन मीडिया की लंका को ढहाएंगे .अब तो केवल यही कहा जा सकता है -''इब्तदाये इश्क़ है रोता है क्या ,
आगे आगे देखिये होता है क्या .''
शालिनी कौशिक
[कौशल ]
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