भाजपा के दांत खाने के और दिखाने के और
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फूलों के हार ,तालियों पे तालियां बहुत शोभा बढ़ा रहे थे भाजपा मुख्यालय की ,चेहरे की चमक देखने लायक थी आज भाजपाइयों की जैसे डूबते को तिनके का सहारा मिल गया हो किन्तु जैसे ही वजह पता चली तो भाजपा की बेचारगी पर अफ़सोस के सिवा और कोई भाव मन में नहीं आ पाया .पहले ही हज़ारों छेद वाली मोदी नाव पर सवार ये पार्टी अपनी नाव को किनारे पर तेज़ी से पहुँचाने की जुगत में अपनी नाव में एक और छेद कर बैठी .
भारतीय थल सेनाध्यक्ष एक आम भारतीय के दिलों-दिमाग में एक ऐसी छवि रखते हैं जिसके समक्ष सभी के शीश श्रद्धा से झुक जाते हैं .आज तक के सभी थल सेनाध्यक्ष हमारे मन में इसी छवि को संजोते रहे हैं किन्तु एक थल सेनाध्यक्ष ऐसे हैं जिन्होंने इस छवि को चकनाचूर कर डाला और जिन्हें हमारे संविधान के संरक्षक उच्चतम न्यायालय द्वारा जबर्दस्ती सेवानिवृत किया गया है और ऐसा नहीं है कि ऐसा कर हमारे उच्चतम न्यायालय ने उनके साथ कोई अन्याय किया है बल्कि ऐसा कर उच्चतम न्यायालय ने सेना की पवित्रता ,महत्ता कायम रखी है .
सेना में रहकर देशभक्ति एक ऐसा भाव है जो स्वतः ही हर सैनिक के मन में बसता है किन्तु रिटायर्ड थल सेनाध्यक्ष वी.के.सिंह शायद ऐसे पहले सैनिक होंगे जिन्होंने देश से ऊपर खुद को रखा .पहले जिस जन्मतिथि के आधार पर वे थल सेनाध्यक्ष बने बाद में उसे नकारकर अपनी पदावधि बढ़ानी चाही किन्तु चूँकि यह न्याय के कानून के विपरीत बात थी इसलिए आख़िरकार उन्हें उच्चतम न्यायालय के निर्णय के आगे झुकना पड़ा -
[General Singh's last days in office were marred by a legal battle with the government in the Supreme Court regarding the issue of his age. In an unprecedented move, he had moved the Supreme Court in January 2012 against the government's rejection of his claim on his date of birth. In a writ petition, he had questioned the government's decision to treat his date of birth as May 10, 1950 instead of May 10, 1951 as claimed by him on the basis of his matriculation certificate and other documents.
However, General Singh lost the battle after Supreme Court forced him to withdraw his plea in February 2012 and later he retired on May 31, 2012. ][ज़ी न्यूज़ से साभार ]
However, General Singh lost the battle after Supreme Court forced him to withdraw his plea in February 2012 and later he retired on May 31, 2012. ][ज़ी न्यूज़ से साभार ]
किन्तु ये हमारी आज की राजनीति है जिसमे हर प्रकार के दागी ,भ्रष्टाचारी का स्वागत है .खुले में दागियों का ,भ्रष्टाचारियों का विरोध ,बहिष्कार करने का आह्वान करने वाली भाजपा वी.के.सिंह के आगमन की खुशियां मना रही है जबकि अन्य जिन्हें वे भ्रष्टाचारी कहते हैं उनके भ्रष्टाचार साबित होने में तो बहुत सी कानूनी अड़चने होती हैं किन्तु वी.के .सिंह का भ्रष्टाचार तो सबके सामने है फिर उनसे गले मिलने के लिए सारे सिद्धांत क्यूँ परे रख दिए गए ?कॉंग्रेस को देश का कलंक बताने वाले मोदी के इस दल में ,कॉंग्रेस भगाओ-देश बचाओ का नारा लगाने वाली मोदी की इस पार्टी में देश की सुरक्षा के महत्वपूर्ण स्तम्भ सेना के इस कलंक का स्वागत तो यही साबित करता है -
''सियासत आज हम सबको मिलाने यूँ चली आई ,
किया होगा गुनाह उसने कहीं की होगी बुराई ,
हमें है देखना केवल मुखालिफ का मुखालिफ है
और कुछ देखने की अब यहाँ फ़ुरसत नहीं भाई .''
शालिनी कौशिक
[कौशल ]
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