संघी मानसिकता


इसलिए राहुल सोनिया पर ये प्रहार किये जाते हैं .

जगमगाते अपने तारे गगन पर गैर मुल्कों के ,
तब घमंड से भारतीय सीने फुलाते हैं .
टिमटिमायें दीप यहाँ आकर विदेशों से ,
धिक्कार जैसे शब्द मुहं से निकल आते हैं .
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नौकरी करें हैं जाकर हिन्दुस्तानी और कहीं ,
तब उसे भारतीयों की काबिलियत बताते हैं .
करे सेवा बाहर से आकर गर कोई यहाँ ,
हमारी संस्कृति की विशेषता बताते हैं .
Sonia Gandhi, Rahul Gandhi and Prime Minister Manmohan Singh look at newly elected party state presidents of the Indian Youth Congress seek blessings at a convention in New Delhi. Sonia in action
राजनीति में विराजें ऊँचे पदों पे अगर ,
हिन्दवासियों के यशोगान गाये जाते हैं .
लोकप्रिय विदेशी को आगे बढ़ देख यहाँ ,
खून-खराबे और बबाल किये जाते हैं.
Demonstrators from the Samajwadi Party, a regional political party, shout slogans after they stopped a passenger train during a protest against price hikes in fuel and foreign direct investment (FDI) in retail, near Allahabad railway station September 20, 2012 (Reuters / Jitendra Prakash)
क़त्ल होता अपनों का गैर मुल्कों में अगर ,
आन्दोलन करके विरोध किये जाते हैं .
अतिथि देवो भवः गाने वाले भारतीय ,
इनके प्रति अशोभनीय आचरण दिखाते हैं .
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विश्व व्यापी रूप अपनी संस्था को देने वाले ,
संघी मानसिकता से उबर नहीं पाते हैं .
भारतीय कहकर गर्दन उठाने वाले ,
वसुधैव कुटुंबकम कहाँ अपनाते हैं 

भारत का छोरा जब गाड़े झंडे इटली में ,
भारतीयों की तब बांछें खिल जाती हैं .
इटली की बेटी अगर भारत में बहु बने ,
जिंदादिल हिंद की जान निकल जाती है .

अलग-अलग मानक अपनाने वाले ये देखो ,
एक जगह एक जैसे मानक अपनाते हैं ,
देशी हो विदेशी हो भारत की या इटली की ,
बहुओं को सारे ये पराया कह जाते हैं .


मदर टेरेसा आकर घाव पर लगायें मरहम ,
सेवा करवाने को ये आगे बढ़ आते हैं .
सोनिया गाँधी जो आकर राज करे भारत पर ,
ऐसी बुरी हार को सहन न कर पाते हैं.
The dead Indira Gandhi with her son, Prime Minister Ranjiv Ghandi.
सारा परिवार देश हित कुर्बान किया ,
ऐसी क़ुरबानी में ये ढूंढ स्वार्थ लाते हैं .
नेहरु गाँधी परिवार की देख प्रसिद्धि यहाँ ,
विरोधी गुट सारे जल-भुन जाते हैं .
सोनिया की सादगी लुभाए नारियों को यहाँ ,
इसीलिए उलटी सीधी बाते कहे जाते हैं .
पद चाह छोड़कर सीखते जो ककहरा ,
राहुल के सामने खड़े न हो पाते हैं .
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राजनीति में विराजें कितने ही अंगूठा टेक ,
पीछे चल जनता उन्हें सर पर बैठाती है .
राहुल गाँधी कर्मठता से छा न जाये यहाँ कहीं ,
उनकी शिक्षा को लेकर हंसी करी जाती है .
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भेदभाव भारत में कानूनन निषिद्ध हुआ ,
लोग पर इसे ही वरीयता दिए जाते हैं 
योग्यता और मेहनत को मिलता तिरस्कार यहाँ ,
इसलिए राहुल सोनिया पर ये प्रहार किये जाते हैं .
                      शालिनी कौशिक 
                                   [कौशल ]







टिप्पणियाँ

Neetu Singhal ने कहा…
ये सेवक बन कर आए; हमने, हमारे पुरखों ने इन्हें जाने क्या क्या दान किया, फिर इन्होंने तीन खम्बे बनाए, और सेवा के अतिरिक्त बाकी सार काम किये..,

और ये चौथा खम्बा, पत्रकारिता के अतिरिक्त बाकी सार काम करती रही..... बस अब और नहीं.....
Shikha Kaushik ने कहा…
BAHUT SUNDAR V SATEEK POST HETU BADHAI
Anita ने कहा…
वाह..चिंतनीय पोस्ट
Satish Saxena ने कहा…
बेहद घटिया मानसिकताएं उभर आई हैं, राजनैतिक विरोधों में हमारे संस्कार कहीं खो चुके हैं !
virendra sharma ने कहा…
राजनीति के अपने सरोकार होते हैं संघी मानसिकता देशी है जमीन से जुड़ी है भारत की महक लिए

है छद्म धर्मनिरपेक्षियों सेकुलर भांडों को यह उम्र भर समझ नहीं आयेगा।

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