मोदी की सरकार-भाजपा दरकिनार

why did modi and rajnath chose kashi and lucknow

वाराणसी व् लखनऊ दो ऐसी सीट जिनकी महत्ता भारतीय लोकतंत्र की १६ वीं लोकसभा के चुनावों में जनता के सामने आ रही है और इसलिए भारतीय जनता पार्टी ने अपने प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार श्री मोदी और भाजपा अध्यक्ष श्री राजनाथ को लखनऊ सीट से उतारा है .पार्टी इन दोनों सीटों को बहुत महत्व दे रही है और यह हालत तब हैं जब वर्त्तमान में भी दोनों सीटें भाजपा के ही पास हैं इसलिए सवाल ये उठता है कि अपने दमदार व् पार्टी को पूर्ण रूप से समर्पित इन नेताओं से ये सीटें छीनने की नौबत क्यूँ आ गयी जबकि ये दोनों ही अपनी सीट छोड़ने के मूड में नहीं थे ऐसे में तो साफ़ तौर पर अपनी ऐसी कार्यवाही से भाजपा के ये धुरंधर अपना उल्लू सीधा करने की कोशिश करने में लगे ही कहे जायेंगे और वह भी तब जब चारों तरफ देश में मीडिया मोदी की लहर कह रहा है और इस लहर में बहने को दूसरे दलों से बड़े बड़े नेता भागे चले आ रहे हैं .लहर जिसके बारे में भाजपा वाले और स्वयं ये मीडिया वाले भी नहीं जानते कि वह क्या होती है उसके लिए किसी से कुछ छीनने की आवश्यकता नहीं पड़ती, उसके लिए अपनी सीट छोड़कर कहीं और से लड़ने की ज़रुरत नहीं होती ,उसके लिए अपने बड़े -बुज़ुर्ग नेता को उसके पुण्य सोच से विलग करने की आवश्यकता नहीं होती और न ही उसके लिए यह एक निश्चित क्षेत्र में प्रभाव को देखकर कार्य किया जाता है अपितु वह ऐसी होती है जो समूचे क्षेत्र को अपने बहाव में स्वयं बहा कर ले जाती है दिशाओं को किनारों को पलटकर रख देती है वो लहर देश ने देखी है इंदिरा गांधी जी की हत्या के बाद देश में कोंग्रेस के उम्मीदवारों के सामने लगभग सभी दलों के उम्मीदवारों का बोरिया बिस्तर बंध गया था और यह लहर कोई सोशल मीडिया ने नहीं पैदा की थी यह लहर थी इंदिरा जी के लिए जनता के प्यार की उनके देश सेवा में दिए गए बलिदान की और इसके लिए किसी उम्मीदवार को कभी अपना स्थान नहीं बदलना पड़ता बल्कि वह जहाँ से खड़ा हो जाये जनता उसके साथ जुड़ जाती है .आज जिस तरह भाजपा में तानाशाही चल रही है उसे देखते हुए इसमें लोकतंत्र का अभाव ही कहा जायेगा वरिष्ठ व् अनुभवी नेताओं की सलाह को दरकिनार करते हुए केवल प्रत्याशी का अपने क्षेत्र में दम देखा जा रहा है फिर चाहे वह किसी दल से हो ,फिर चाहे उसके कारण अपने दल के समर्पित कार्यकर्ता को घर ही बैठाना पड़ जाये .ऐसे में भाजपाइयों की इन तैयारियों को देखते हुए तो इरफ़ान सिद्दीकी के शब्दों में बस यही कहा जा सकता है -
''आजकल अपना सफ़र तय नहीं करता कोई ,
हाँ सफ़र का सर-ओ-सामान बहुत करता है .''
शालिनी कौशिक
[कौशल ]

टिप्पणियाँ

भाजपा चाहे जितना जोर लगा दे सरकार बनना मुशिकिल है ...!
सपरिवार रंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनाए ....
RECENT पोस्ट - रंग रंगीली होली आई.
भाजपा चाहे जितना जोर लगा दे सरकार बनना मुशिकिल है ...!
सपरिवार रंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनाए ....
RECENT पोस्ट - रंग रंगीली होली आई.
Kunwar Kusumesh ने कहा…
रंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनाए

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

मेरी माँ - मेरा सर्वस्व

बेटी का जीवन बचाने में सरकार और कानून दोनों असफल

बदनसीब है बार एसोसिएशन कैराना