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अप्रैल, 2011 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

माँ-मेरी माँ

माँ,मेरी माँ,    खुद को क्यों न देखती हो? बच्चे कुछ बन जाये मेरे,    हरदम ये ही  सोचती हो. बच्चे खेलें तो तुम खुश हो,     पढ़ते देखके व्यस्त काम में, बच्चे सोते तब भी जगकर,     खोयी हो बस इस ख्याल में, चैन से बच्चे सोये मेरे इसीलिए तुम जगती हो! बच्चे कुछ बन जाये मेरे हरदम ये ही सोचती हो. बच्चे जो फरमाइश करते,               आगे बढ़ पूरी करती. अपने खाने से पहले तुम ,             बच्चों का हो पेट भरती . बच्चे पर कोई आंच जो आये,आगे बढ़कर झेलती हो! बच्चे कुछ बन जाएँ मेरे हरदम ये ही सोचती हो. बच्चे केवल खुद की सोचें,         तुम बस उनको देखती हो. तुम्हारे लिए कुछ करें न करें,        तुम उनका सब करती हो. अच्छे  जीवन के सपने तुम,बच्चों के लिए बुनती हो! बच्चे कुछ बन जाये मेरे,हरदम ये ही सोचती हो.                          

मानक नए नए

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''तुमने सुना नीलम की बेटी नूतन ने ब्रह्मण होते हुए जाट से शादी कर ली ''कमलेश के यह कहते ही सरोज ने हाथ से मुहं छिपाते हुए कहा ''अरे कौन नई बात है उनके तो घर का ढंग ही बिगड़ा हुआ था लड़कों का तो उनके घर पर पहले ही आना-जाना था ''.सुनकर कमलेश ने कहा पर ऐसे को तो बिरादरी से बाहर कर देना चाहिए ;हाँ बहन होना तो ऐसा ही चाहिए पर आज के समाज में ऐसा करता कौन है ,हम तो बस यह कर सकते हैं की हम उससे बोलचाल बंद कर दें और मतलब ख़त्म कर दें.सरोज कमलेश से यह कह ही रही थी कि सरोज के बेटे ने एक शादी का कार्ड आकर माँ के हाथ में थमा दिया .कार्ड हाथ में आते ही सरोज चहक उठी कहने लगी कमलेश सुनो,''कल शाम को तैयार रहना ,इंजीनियर साहब की बेटी कीशादी का कार्ड मिल गया है तुम्हारा भी तो आ गया होगा ,चलना है.'' माँ के मुहं से यह सुनते ही बेटा जो खड़ा हुआ माँ की ख़ुशी देख रहा था बोला-'माँ !इंजीनियर साहब तो वैश्य हैं और उनकी बेटी भी जाट लड़के से शादी कर रही है और आप वहां जाने की आंटी से बाते कर रही हैं और अभी तो आप नीलम आंटी की बेटी के जाट लड़के से शादी करने पर बहिष्क

हाल -ए -उत्तर प्रदेश

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     उत्तर प्रदेश एक ऐसा प्रदेश जहाँ २००७ तक सरकार के स्थायित्व की बात करें तो कोई भी सरकार ऐसी नहीं रही जिसने पांच वर्ष तक का कार्यकाल पूरा किया हो ऐसे प्रदेश में बसपा जनित सरकार वर्ष २०१२ में अपना पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा कर रही है और जहाँ तक सरकार की कार्य प्रणाली में रुकावटों की बात करें तो एक कमजोर विपक्ष के आलावा यहाँ कोई रूकावट नहीं रही .सरकार एक दल की ही क्या एक व्यक्ति की रही और ऐसे में जिन उपलब्धियों की आशा की जाती है वे नगण्य हैं.              प्रदेश में बिजली व्यवस्था जो उद्योग धंधों के लिए आवश्यक है लगभग ठप्प पड़ चुकी है .विभिन्न कस्बों में कभी दिन तो कभी रात  में बिजली आपूर्ति होती है और वह भी ८ घंटे से कम.अब ऐसे में उद्योग धंधे चलाने,घरों  आदि के लिए अलग से बिजली व्यवस्था करनी पड़ती है और इसका सारा भर व्यापारी वर्ग व् उपभोक्ता वर्ग पर पड़ता है ऐसे में उद्योग धंधों का भविष्य यहाँ चौपट है साथ ही बाहर के प्रदेशों में रहने वाले यहाँ के नाते रिश्तेदार भी यहाँ नहीं आना चाहते क्योंकि बिन बिजली सब सून की कहावत यहाँ प्रचार में है.       न्यायिक व्यवस्था की बात करें तो स्थान स्थ

हिन्दू मुस्लिम एकता की मिसाल-फ़तेह खां का मकबरा

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ऐतिहासिक दृष्टिकोण से मुज़फ्फरनगर जिले का इतिहास काफी उल्लेखनीय है एक ओर जहाँ मुज़फ्फरनगर में किरण ''कर्ण नगरी ''के नाम से विख्यात है वहीँ कांधला''कर्ण दल'' का अपभ्रंश है.हिन्दू मुस्लिम एकता के लिए मुज़फ्फरनगर जिला मिसाल है.शामली तहसील जो आज जिला बनने  की ओर  अग्रसर है इतिहास के पन्नो में अपनी एक अलग पहचान रखता है.देखने वाले इसे पुरानी दिल्ली की संज्ञा देते हैं वहीँ धार्मिक रूप से भी इसका अपना एक विशेष स्थान है.      शामली कस्बे के बाबरी थाना क्षेत्र के गाँव बंतिखेरा  में    हिन्दू मुस्लिम एकता का प्रतीक ''शेरशाह सूरी के सिपहसालार फ़तेह खां का मकबरा है.''        बंतिखेरा   एक  ऐसा गाँव जो बन काटकर बसाया गया और इसलिए बंतिखेरा  नाम से प्रसिद्द हुआ.करीब ३०० साल पुराने इस गाँव में एक  प्राचीन गुम्बद हैजिसके बारे में यह कहा जाता है कि ये गुम्बद बादशाह शेरशाह सूरी के सिपहसालार फ़तेह खां का मकबरा है जिसकी यहाँ आकर मृत्यु हो गयी थी और बादशाह द्वारा उसकी याद में यह मकबरा बनवाया  गया था.         जहाँ तक एतिहासिक तथ्यों की बात है तो शेरशाह सूरी का शा

ये सच है.

ये सच है जो कल के हिंदुस्तान के मुख्य पृष्ठ पर सरकारी तंत्र के भ्रष्टाचार के खिलाफ सफल लड़ाई लड़ने वाले सर्व श्री किसान बाबूराव हजारे[अन्ना हजारे]के मुख से प्रकट हुआ.मैं पहले भी कई बार कह चुकी हूँ और अब भी कह रही हूँ की नेताओं,प्रशासन आदि को भ्रष्ट बनाने वाली जनता ही है जो काका हाथरसी के इस वक्तव्य को सर माथे पर रखती है- ''क्यों घबराता है नर तू रिश्वत लेकर, रिश्वत पकड़ी जाये छूट जा रिश्वत देकर.''    वह जनता जो आज अन्ना हजारे जी को सर पर बैठा रही है वही उनके चुनाव में खड़े होते ही पलट जायेगी,और संभव है की उनकी जमानत ही जब्त हो जाये क्योंकि सिद्धांतवादी अन्ना शायद जनता की वह इच्छा पूरी नहीं करेंगे जो आज के जीतने वाले नेता गण कर रहे हैं.पंचायत चुनाव से लेकर लोकसभा चुनाव तक सभी में पैसा,शराब का ही बोलबाला हो चूका है.और ऐसे भी नेता हैं जो मात्र लाठी के दम पर ही चुनाव लड़ते और जीतते  हैं.हर जगह सुसंस्कृत,सभ्य लोगों का राजनीति से मन हट चुका है.क्योंकि उछ्रिंखिल ,असभ्य लोगों का इसमें जमावड़ा बढ़ता ही जा रहा है जिनके लिए किसी के लिए भी अपशब्दों का प्रयोग आम है और ये उनका अपमान तक करन

जानते भी हो दिल क्या होता है-----शाहिद

सैफ़ी  सिरोजी की एक ग़ज़ल की पंक्तियाँ कहती हैं- "उम्र भर करता रहा हर शख्स पर मैं तबसरे, झांक कर अपने गिरेबाँ में कभी देखा नहीं."        मुझे इस वक़्त ये पंक्तियाँ पूर्ण रूप से पाकिस्तानी क्रिकेट टीम के    कप्तान ''शाहिद आफरीदी ''पर अक्षरश :   खरी उतरती प्रतीत हो रही हैं क्योंकि एक ऐसे देश के नागरिक होते हुए ,जिसने कई बार एक ऐसे देश पर आक्रमण किये जिसने हमेशा उसे छोटे भाई का दर्जा दिया और उसकी गुस्ताखियों को नजरंदाज करते हुए उसे सुधरने का अवसर दिया है,वे तंग दिल का ठीकरा उसी बड़े दिल वाले भारत पर ठोक रहे हैं दिल जैसी शै से शायद वे अनजान हैं क्योंकि दिल जिस उदारता का परिचायक है वह उदारता पाकिस्तानी खिलाडियों के व्यवहार में कहीं से लेकर कहीं तक भी दृष्टिगोचर नहीं होती .भारत वह देश है जिसका रिकोर्ड है कि उसने आज तक भी किसी देश पर आक्रमण नहीं किया है वह हमेशा से दुश्मनों से अपने बचाव के   लिए ही हथियार जुटाता रहा है क्योंकि भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता है और इस सोने की चिड़िया को लूटने विश्व भर के यहाँ जुटे रहे और यहाँ की धरती को रक्त रंजित करते रहे ऐसे देश ने हम

प्यार है पवित्र पुंज ,प्यार पुण्य धाम है

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"  प्यार है पवित्र पुंज ,प्यार पुण्य धाम है.  पुण्य धाम जिसमे कि राधिका है श्याम  है . श्याम की मुरलिया की हर गूँज प्यार है. प्यार कर्म प्यार धर्म प्यार प्रभु नाम है."    एक तरफ प्यार को "देवल आशीष"की उपरोक्त पंक्तियों से विभूषित किया जाता है तो एक तरफ प्यार को "बेकार बेदाम की चीज़ है"जैसे शब्दों से बदनाम किया जाता है.कोई कहता है जिसने जीवन में प्यार नहीं किया उसने क्या किया?प्यार के कई आयाम हैं जिसकी परतों में कई अंतर कथाएं    छिपी हैं .प्रेम विषयक दो विरोधी मान्यताएं हैं-एक मान्यता के अनुसार यह व्यर्थ चीज़ है तो एक के अनुसार यह  जीवन में सब कुछ है .पहली मान्यता को यदि देखा जाये तो वह भौतिकवाद  से जुडी है .जमाना कहता है कि लोग प्यार की अपेक्षा दौलत को अधिक महत्व देते हैं लेकिन यदि कुछ नए शोधों पर ध्यान दें तो प्यार का जीवन में स्थान केवल आकर्षण तक ही सीमित  नहीं है वरन प्यार का जीवन में कई द्रष्टिकोण  से महत्व है .न्यू   हेम्पशायर विश्व विध्यालय के प्रोफ़ेसर एडवर्ड लीमे और उनके येल विश्व विध्यालय के साथियों ने शोध में पाया कि जिन लोगों को दुनिया में बहुत प