यही कामना हों प्रफुल्लित आओ मनाएं हर क्षण को .-२०१६ शुभ हो


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अमरावती सी अर्णवनेमी पुलकित करती है मन मन को ,
अरुणाभ रवि उदित हुए हैं खड़े सभी हैं हम वंदन को .
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अलबेली ये शीत लहर है संग तुहिन को लेकर  आये  ,
घिर घिर कर अर्नोद छा रहे कंपित करने सबके तन को .
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मिलजुल कर जब किया अलाव  गर्मी आई अर्दली बन ,
अलका बनकर ये शीतलता  छेड़े जाकर कोमल तृण को .
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आकंपित हुआ है जीवन फिर भी आतुर उत्सव को ,
यही कामना हों प्रफुल्लित आओ मनाएं हर क्षण को
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पायें उन्नति हर पग चलकर खुशियाँ मिलें झोली भरकर ,
शुभकामना देती ''शालिनी''मंगलकारी हो जन जन को .
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शालिनी कौशिक
[कौशल]

शब्दार्थ :अमरावती -स्वर्ग ,इन्द्रनगरी ,अरुणिमा -लालिमा ,अरुणोदय-उषाकाल ,अर्दली -चपरासी ,अर्नोद -बादल ,तुहिन -हिम ,बर्फ ,अर्नवनेमी -पृथ्वी

टिप्पणियाँ

Ritu asooja rishikesh ने कहा…
नववर्ष। की हार्दिक शुभकामनाएं "शालिनी जी"।

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''ऐसी पढ़ी लिखी से तो लड़कियां अनपढ़ ही अच्छी .''

न छोड़ते हैं साथ कभी सच्चे मददगार.