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अप्रैल, 2015 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

एन.जी.टी.सुधारेगा लातों के भूतों को

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NGT announces Rs 5,000 fine for open burning of leaves, garbage in Delhi Zee Media Bureau/Salome Phelamei New Delhi: Stepping up its effort to curb pollution, the National Green Tribunal (NGT) on Tuesday announced a fine of Rs 5,000 on individuals spotted burning garbage, leaves, plastic, rubber etc in open areas in parts of Delhi and the National Capital Region (NCR). एक महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए मंगलवार २८ अप्रैल को राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ने कचरा ,पत्तियां ,प्लास्टिक व् रबर इत्यादि को खुले में जलाये जाने पर दिल्ली व् एन.सी.आर.में  ५००० रूपये का जुर्माना लगाया है .एक स्वस्थ पर्यावरण के लिए यह एक सराहनीय व् समय के अनुसार उपयोगी कदम है क्योंकि आज स्थिति ये आ गयी है कि अगर कोई भी काम सफलतापूर्वक किया जाना है तो उसके लिए जनता व् सम्बंधित विभाग को जुर्माने की चपेट में लेना ही होगा क्योंकि यहाँ अब एक ही कहावत के अनुसार काम किया जा सकता है और वह है ''लातों के भूत बातों से नहीं मानते '' और ऐसे लातों के भूत हमें आज अपने आस पास बहुसंख्या में दिखाई देते हैं .जहाँ तहा

बेटी मेरी तेरी दुश्मन ,तेरी माँ है कभी नहीं ,

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बेटी मेरी तेरी दुश्मन ,तेरी माँ है कभी नहीं , तुझको खो दूँ ऐसी इच्छा ,मेरी न है कभी नहीं . ...................................................................... नौ महीने कोख में रखा ,सपने देखे रोज़ नए , तुझको लेकर मेरे मन में ,भेद नहीं है कभी नहीं . .................................................................. माँ बनने पर पूर्ण शख्सियत ,होती है हर नारी की , बेटे या बेटी को लेकर ,पैदा प्रश्न है कभी नहीं . ....................................................................... माँ के मन की कोमलता ही ,बेटी से उसको जोड़े , नन्ही-नन्ही अठखेली से ,मुहं मोड़ा है कभी नहीं . ......................................................................... सबकी नफरत झेल के बेटी ,लड़ने को तैयार हूँ, पर सब खो देने का साहस ,मुझमे न है कभी नहीं . .................................................................... कुल का दीप जलाने को ,बेटा ही सबकी चाहत , बड़े-बुज़ुर्गों  की आँखों का ,तू तारा है कभी नहीं . ...............................................................

नारी स्वयं मर्द से गर्दन कटवाने को तैयार

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जेसिका के हत्यारे मनु शर्मा ने रचाई शादी [अमर उजाला से साभार ]   जेसिका लाल मर्डर केस में उम्रकैद की सजा काट रहा हत्यारा मनु शर्मा (सिद्धार्थ वशिष्ठ) ने मुंबई की लड़की से शादी रचा ली। ये समाचार आज चर्चा का विषय है और कल को एक आम बात हो जायेगा .जब मैं इस विषय पर लिखने चली तो मेरे इस कदम पर खुद मैं ही अपने पक्ष में नहीं थी कि आखिर क्या एक हत्यारे को शादी का अधिकार नहीं है ? जब भारत का उच्चतम न्यायालय किसी के क़त्ल में सजा काट रहे अपराधी को यह हक़ देता है तब मैं इसका विरोध करने वाली भला कौन होती हूँ ? किन्तु मेरे दिमाग में तब मात्र मनु शर्मा नहीं था वरन ऐसे सब पुरुष थे जो कभी प्रेम में तो कभी दहेज़ के लिए पागल होकर अपनी प्रेमिका या पत्नी की हत्या कर देते हैं और इस सबके बावजूद उनके लिए रिश्तों की कोई कमी नहीं होती बल्कि उनके लिए लड़कियों की लाइन ही लगी रहती है और ऐसा तब है जब इस देश में लड़कियों का प्रतिशत लड़कों की तुलना में बहुत कम है .      हत्या बहुत खौफनाक वारदात होती है और इसीलिए इसकी सजा फांसी या आजीवन कारावास हमारे देश के कानून ने दी है और इससे भी खौफनाक सजा एक हत्यारे को

गजेन्द्र की मौत के लिए पुलिस ,मीडिया ,मोदी सरकार और हम सब जिम्मेदार

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नेता और उनकी कार्यप्रणाली हमेशा से विवादास्पद रहे हैं और यही हो रहा है इस वक़्त आप की रैली के दौरान दौसा के किसान गजेन्द्र के द्वारा फांसी लगाने पर ,लेकिन क्या हम अक्ल के अंधे नहीं कहे जायेंगे अगर हम वास्तविक स्थितियों को नज़रअंदाज़ कर बेवजह का दोषारोपण आरम्भ कर देते हैं .दिल्ली में आप की किसान रैली के दौरान जितनी संख्या में नेता थे उससे कहीं अधिक संख्या में मीडिया कर्मी और पुलिस वाले थे और गजेन्द्र वहां जो कुछ भी कर रहा था उससे परिचित मीडिया वाले भी थे और पुलिस वाले भी इसका जीता जगता उदाहरण समाचारपत्रों में प्रकाशित ये समाचार और चित्र हैं - मरने दो साले को! गजेंद्र को पेड़ पर झूलते देख एक पुलिस अधिकारी के मुंह से ये शब्द निकले थे।[ [अमर उजाला से साभार]   [दैनिक जनवाणी से साभार] समाचार और चित्र वहां के परिदृश्य व सही घटनाक्रम को हम लोगों के दिमाग में सही रूप में प्रस्तुत करने के लिए काफी हैं और ये स्पष्ट कर रहे हैं कि कहीं से भी इस घटनाक्रम के जिम्मेदार आप पार्टी के कार्यकर्ता व नेता नहीं हैं.दैनिक जनवाणी अपनी रिपोर्ट में कहता है -''आप के नेताओं व् कार्यकर्ताओं ने उसे नी

अमर उजाला दैनिक समाचारपत्र भारतीय दंड संहिता-१८६० के अधीन दोषी

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   अमर उजाला हिंदी दैनिक समाचारपत्र का पृष्ठ -२ पर आज प्रकाशित एक समाचार भारतीय दंड संहिता -१८६० के अधीन उसे अर्थात अमर उजाला को कानून के उल्लंघन का दोषी बनाने हेतु पर्याप्त है जिस पर अमर उजाला ने एक दुष्कर्म पीड़िता , जो कि विक्षिप्त है और उसके परिजनों द्वारा उसके दुष्कर्म के बाद बेड़ियों से बांधकर रखी गयी है,से सम्बंधित समाचार को सचित्र प्रकाशित किया है-    जिसके मुद्रण या प्रकाशन के सम्बन्ध में भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत कई पाबंदियां लगायी गयी हैं जो इस प्रकार हैं -    भारतीय दंड संहिता की धारा २२८-क कहती है - [१] - जो कोई किसी नाम या अन्य बात को ,जिससे किसी ऐसे व्यक्ति की [ जिसे इस धारा में इसके पश्चात पीड़ित व्यक्ति कहा गया है ] पहचान हो सकती है , जिसके विरुद्ध धारा ३७६ , धारा ३७६-क ,धारा ३७६-ख , या धारा ३७६-घ के अधीन किसी अपराध का किया जाना अभिकथित है या किया गया पाया गया है , मुद्रित या प्रकाशित करेगा वह दोनों में किसी भांति के कारावास से , जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी , दण्डित किया जायेगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा ; [२] - उपधारा [१] की किसी भी

अपना ज्ञान सुधारो भटकाने वालों- नेहरू सुभाष के बचाने वाले थे

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किसी शायर ने खूब सोच-समझकर कहा है - ''हम आह भी भरते हैं तो हो जाते हैं बदनाम , वो क़त्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होती .''   और शायद किसी पर यह पंक्तियाँ खरी उतरें न उतरें नेहरू-गांधी परिवार पर ये पंक्तियाँ अक्षरशः खरी उतरती हैं और देश के लिए बार बार अपनी जान कुर्बान करने के बावजूद इस परिवार को विरोधी अपने निशाने पर लेने में लगे ही रहते हैं और पूरी जानकारी न होते हुए भी जनता को बरगलाने को अनाप-शनाप बोलते रहते हैं ,मुंह खोलते रहते हैं .अभी पिछले दिनों इसकी एक बानगी राहुल गांधी द्वारा ५६ दिन की छुट्टी पर जाने को देखने को मिली जिसे लेकर सारे देश में जब तक राहुल नहीं आ गए तब तक अनुमानों की सुनामी लगाकर परिस्थितियों के कारण भगोड़ा आदि कहकर  उन्हें लज्जित करने का वाही तारकासुर प्रयत्न किया गया जो तारकासुर ने शिव पुत्र को पहले न होने देने और बाद में उन्हें समाप्त करने हेतु किया था और वह प्रयत्न न तब सफल होना था और न अब ,राहुल छुट्टियों के बाद सबके सामने आये और सबके लिए अपने उन्हीं प्रयासों में जुट गए जिनमे वे छुट्टियों से पहले जुटे हुए थे और जिनमे केवल जनता की भलाई समाई

ये जनता भोली कैसे है ! जरा बताएं.

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     ''जवां सितारों को गर्दिश सिखा रहा था ,  कल उसके हाथ का कंगन घुमा रहा था .  उसी दिए ने जलाया मेरी हथेली को ,   जिसकी लौ को हवा से बचा रहा था .'' तनवीर गाजी का ये शेर बयां करता है वह हालात  जो रु-ब-रु कराते हैं हमें हमारे सच से ,हम वही हैं जो सदैव से अपने किये की जिम्मेदारी लेने से बचते रहे हैं ,हम वही हैं जो अपने साथ कुछ भी बुरा घटित होता है तो उसकी जिम्मेदारी दूसरों पर थोपते रहते हैं हाँ इसमें यह अपवाद अवश्य है कि यदि कुछ भी अच्छा हमारे साथ होता है तो उसका श्रेय हम किसी दूसरे को लेने नहीं देते -''वह हमारी काबिलियत है ,,वह हमारा सौभाग्य है ,हमने अपनी प्रतिभा के ,मेहनत के बल पर उसे हासिल किया है .''...ऐसे ऐसे न जाने कितने महिमा मंडन हम स्वयं के लिए करते हैं और बुरा होने पर .....यदि कहीं किसी महिला ,लड़की के साथ छेड़खानी देखते हैं तो पहले बचकर निकलते हैं फिर कहते हैं कि माहौल बहुत ख़राब है ,यदि किसी के साथ चोरी ,लूट होते देखते हैं तो आँखें बंद कर पुलिस की प्रतीक्षा करते हैं आदि अदि .आज जनता जिन हालात से दो चार हो रही है उसके लिए सरकार को जिम्मेद

गुलाम हर किसी को समझें हैं मर्द सारे

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हर दौर पर उम्र में कैसर हैं मर्द सारे , गुलाम हर किसी को समझें हैं मर्द सारे . ''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''' बेटे का जन्म माथा माँ-बाप का उठाये , वारिस की जगह पूरी करते हैं मर्द सारे. ''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''' ख़िताब पाए और

प्रधानमंत्री जी लालकिले के भाषण को सत्य साबित करें अपने राज्य के परिप्रेक्ष्य में

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हिंदू बच्चे भगवा रंग में तो मुस्लिम बच्चों का हरा रंग धर्म के आधार पर ड्रेस निर्धारित करने पर सफाई   ''…माना अपनी वेशभूषण और बोलियाँ अनेक हैं ,    रीति-रिवाज़ धर्म और जाति ,विचारधारा अनेक हैं , पर गूंजती है चहुँ दिशा में दिल की धड़कन एक है … '' अब ये कहना मुमकिन नहीं क्योंकि अब इस देश में भेदभाव का जहर बच्चों में घोलने का कार्य आरम्भ हो चुका है और वह भी हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के ही गृह राज्य से।    अहमदाबाद के शाहपुर में जिस स्कूल में हिन्दू बच्चों की संख्या ज्यादा है वहां बच्चों की यूनिफार्म केसरिया रंग की व् जहाँ मुस्लिम बच्चों की संख्या ज्यादा है वहां हरे रंग की यूनिफार्म निर्धारित की गयी है। भारत जहाँ हमेशा से विभिन्न धर्म संस्कृतियों का मेल मिलाप रहा है ,जहाँ धर्म इबादत की भगवान को पाने की राह का राही रहा है कोई एक दूसरे से दंगा फसाद या भेदभाव की पृष्ठभूमि नहीं। जहाँ साम्प्रदायिकता की आग फ़ैलाने के लिए कलंक झेल रहे हमारे प्रधानमंत्रीजी लालकिले से उच्चस्वर में सभी के साथ चलने की बात करते हैं - This country has been built on such

भारत में मताधिकार ही समाप्त करा दो राउत जी

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हमारा संविधान हमारे देश का सर्वोच्च कानून है और सभी इसका ह्रदय से सम्मान करते हैं अब करते हैं या नहीं ,पूरे विश्वास से नहीं कह सकते किन्तु इतना अवश्य कह सकते हैं कि सम्मान का दिखावा अवश्य करते हैं और विशेषकर वे जिनके हाथों में हमारे इस लोकतंत्र की बागडोर है .लोकतंत्र जिसके लिए बड़े जोर-शोर से कहा जाता है कि ''ये मूर्खों का ,मूर्खों के लिए और मूर्खों के द्वारा किया गया शासन है '' ऐसा केवल कथन रूप में ही नहीं वास्तविकता में भी साबित होता है क्योंकि ये यहाँ की जनता की मूर्खता ही कही जाएगी जो बार बार अपने ऊपर मूर्खों को राज करने का मौका देती है और अपने ही पैरों में ठीक वैसे ही कुल्हाड़ी मार लेती है जैसी कुल्हाड़ी कालिदास पेड़ की उस डाल पर मार रहे थे जिस पर वे खुद बैठे हुए थे और जनता के पैरों में कुल्हाड़ी अबकी बार मारी है राजग की सहयोगी पार्टी शिवसेना के राज्यसभा संसद राउत ने जिन्होंने ओवेसी बंधुओं पर हमला बोलते हुए देश के सर्वोच्च कानून संविधान की इस संकल्पना, जिसके द्वारा संविधान सामाजिक ,आर्थिक एवं राजनीतिक न्याय की स्थापना करता है ,पर ही गहरा आघात कर दिया ,उन्होंने

''हे प्रभु अगले जन्म मोहे बिटिया न कीजो .''

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 कई बार पहले भी देख चुकी 'चक दे इंडिया' को फिर एक बार देख रही थी .बार बार कटु शब्दों से भारतीय नारी का अपमान किया गया किन्तु एक वाकया जिसने वाकई सोचने को मजबूर कर दिया और भारतीय नारी की वास्तविक स्थिति को सामने लाकर खड़ा कर दिया वह वाक्य कहा था फ़िल्म में क्रिकेट खिलाडी अभिमन्यु सिंह ने चंडीगढ़ की हॉकी खिलाडी प्रीति से , ''हार जाओगी तो मेरी बीवी बनोगी ,जीत जाओगी तो भी मेरी बीवी बनोगी ऐसा तो नहीं है कि वर्ल्ड कप से से आओगी तो सारा हिंदुस्तान तुम्हारा नाम जप रहा होगा .'' कितना बड़ा सच कहा अभिमन्यु ने और इससे हटकर भारतीय नारी की स्थिति और है भी क्या ,फ़िल्म में काम करती है तो हीरो के बराबर मेहनत किन्तु मेहनताना कम ,खेल में खेलने में बराबर मेहनत किन्तु पुरुष खिलाडी के मुकाबले कम मैच फीस .खेलों में क्रिकेट में पुरुष टीम भी और महिला टीम भी किन्तु पुरुष टीम के पीछे पूरा भारत पागल और महिला टीम के प्रति स्वयं महिला भी नहीं .पुरुष टीम वर्ल्ड कप जीत लाये इसके लिए एक महिला [पूनम पांडे ] निर्वस्त्र तक होने को तैयार जबकि पुरुषों में महिला टीम के प्रदर्शन तक को लेकर को

बालियान खाप सम्मान की हक़दार

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    Balyan Khap Balyan Khap khap has 100 villages. Its head village is Sisauli in muzaffarnagar . Its main villages are: Sauram , Harsauli , Barbala . Ch. Mahendra Singh Tikait - President, Bharatiya Kisan Union, is from this khap. The famous jat historian Choudhary Kabul Singh was from this khap and It has been mentioned in the chronicles of Jat 'Sarv Khap', which are still preserved with Chaudhry Kabul Singh. The great Bappa Rawal was their ancestor. James Tod has called them Balvanshi . [7]   खाप वर्तमान में सर्वाधिक चर्चा में रहती हैं . अपने विवादास्पद फरमानों को लेकर -कभी लड़कियों के मोबाईल पर पाबन्दी तो कभी जींस पर ;इन फरमानों को आधुनिकता के मद्देनज़र भले ही विवाद की श्रेणी में रख दिया जाये किन्तु समाज के गिरते नैतिक व् चारित्रिक स्तर को सँभालने हेतु सही ही कहा जायेगा और भले ही इन फरमानों को विवादित श्रेणी में रख दिया जाये किन्तु ९ अप्रैल २०१५ को शाहपुर के रसूलपुर जाटान में बालियान खाप ने सम्पूर्ण भारतीय समाज के सामने एक मार्गदर्शक आदर्श स्थापित कर दिया