मीडिया और वी के सिंह

जनरल वीके सिंह
विवरण :
गाजियाबाद के सांसद और केंद्र में मंत्री जनरल वीके सिंह का पूरा नाम जनरल विजय कुमार सिंह है। उनका जन्‍म 10 मई 1951 को हरियाणा के भिवानी जिले के बपोरा गांव में हुआ था। उनके माता-पिता का नाम कृष्‍णा कुमारी और जगत सिंह है। उनके पिता भी सेना में कर्नल थे। इतना ही नहीं उनके दादा जेसीओ थे। मतलब वह परिवार की तीसरी पीढ़ी हैं, जो सेना में गए। उन्‍होंने राजस्‍थान के पिलानी में स्थित बिड़ला पब्लिक स्कूल से शिक्षा प्राप्त की है। वह नेशनल डिफेंस एकेडमी के भी छात्र रह चुके हैं। 1975 में उनकी शादी भारती सिंह से हुई थी। 
सेना में सेवा
वीके सिंह ने सेना में अपने करियर की शुरुआत 14 जून 1970 को बतौर सेकंड लेफ्टिनेंट राजपूत रेजीमेंट में की थी। वह 2010 से 2012 तक सेना में जनरल के पद पर रहे। वीके सिंह सेना में 42 वर्ष तक योगदान देने के बाद 31 मई 2012 को रिटायर हो गए। वह भारतीय सेना में 24वें थल-सेनाध्यक्ष थे। वीके सिंह सेना मुख्यालय में मिलेट्री ऑपरेशंस डायरेक्टोरेट के पद पर काम कर चुके हैं। इससे पहले जब भारतीय सेना को 2001 में संसद पर हमले के बाद ऑपरेशन पराक्रम के तहत सीमा पर तैनात किया गया था तो वह ब्रिगेडियर जनरल स्टाफ ऑफ ए कॉर्प्स के तौर पर कार्यरत थे। उनको परम विशिष्ट सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल और युद्ध सेवा मेडल समेत कई सम्‍मान मिल चुके हैं।
राजनीतिक करियर
सेना से रिटायर होने के बाद वह अन्ना हजारे द्वारा चलाए जा रहे भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन का हिस्‍सा बन गए। 1 मार्च 2014 को उन्‍होंने भाजपा ज्‍वाइन कर ली। वर्तमान में वह गाजियाबाद के सांसद और केंद्र में उत्तर-पूर्वी भारत से संबंधित मामलों के राज्यमंत्री हैं।[आभार https://www.patrika.com/topic/gen-vk-singh/]
     इतनी गौरवशाली और बहादुर पृष्ठभूमि वाले जनरल वी के सिंह कहते हैं कि पहले इतना सुरक्षित नहीं था उत्तर प्रदेश ,सही कह रहे हैं कि सुरक्षित नहीं था किन्तु ''पहले '' कहना गलत है क्योंकि स्थिति जस की तस है और सुरक्षा का कोई नामो-निशान न पहले था और न अब है हाँ इतना अवश्य है कि अब स्थिति बद से बदतर होती जा रही है ,
    कालेज के ताले तोड़कर चोरी ,साइड लगने पर बाइक सवार को पीटा ,कार के डैशबोर्ड में भरे मिले पव्वे, दो महिलाओं के साथ घर में घुसकर मारपीट ये केवल शामली में ही जहाँ अपराध इतना बढ़ा चढ़ा है कि अपराध की स्थिति का अंदाज़ा लगाना आसान  जबकि शामली केवल उत्तर प्रदेश का एक छोटा सा जिला है इसके  अलावा भी उत्तर प्रदेश में एक दिन के ही अपराध की झांकी कुछ यूँ है-
       मुरादनगर में किशोरी को अगवा कार सामूहिक दुष्कर्म ,अपहृत किशोरी की हत्या ,खंडहर में मिली लाश ,अतरौली अलीगढ में  भाजपा नेता के घर में बोर्ड परीक्षा की कॉपी लिखते ६२ लोग पकडे और गोरखपुर में सामूहिक नक़ल में भाजपा नेता चिंतामणि की पत्नी कीर्ति पांडेय गिरफ्तार और यही नहीं जैसा कि मैंने कहा है कि स्थिति बद से बदतर होती जा रही है तो उसके पुख्ता प्रमाण भी मेरे पास हैं क्योंकि ऐसा पहले कभी नहीं हुआ जैसा अब हो रहा है ,
     पहले लड़की को गोली लगने की घटनाएं या लड़की की हत्या की घटना कभी कभी ही सुनाई पड़ती थी किन्तु अब ये एक आम बात हो गयी है ,एकतरफा प्यार हो या  दोनों तरफ का इश्क़ मरती लड़की ही है कभी घर वालों के हाथों ''ऑनर किलिंग'' के नाम पर तो कभी कथित प्रेमी द्वारा ''साथ जियेंगे साथें मरेंगे ''नाम पर और ये घटनाएं अब बढ़ रही हैं ,अभी हाल ही में कांधले के गांव गढ़ीश्याम की सोनी कश्यप को एकतरफा प्रेम में प्रेमी ने मार  दिया ,उधर इलाहाबाद  में भी एक छात्रा  के साथ यही हुआ ,और कल के समाचारपत्र में शिकोहाबाद [फ़िरोज़ाबाद ]में भी छात्रा की हत्या कर  सिरफिरे ने खुद को गोली से उड़ाया,
      ऐसे में जनरल वी के सिंह कैसे पहले की और अब की स्थितियों में अंतर कर सकते हैं जबकि स्थिति बद से बदतर होती जा रही है और सेना प्रमुख रहते हुए उनके मुखारविंद से यह अंतर शोभित नहीं होता क्योंकि सुरक्षा की जिम्मेदारी तब भी उन पर थी जब वे असुरक्षित माहौल कह रहे हैं हालाँकि तब उनपर सीमाओं की जिम्मेदारी थी और ऐसे में वे अपनी तरफ से इस कार्य से आज़ाद थे और यूँ वे आज भी इस कार्य से आज़ाद हैं क्योंकि आज भी उन पर विदेशी देशों के सम्बन्ध में ही जिम्मेदारी है ,केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री के रूप में भी उनकी भूमिका देश के भीतर से नहीं है ऐसे में वे इस सम्बन्ध में पुख्ता जानकारी से अनभिज्ञ ही कहे जा सकते हैं और इसलिए ऐसी कोई बात ऐसे पद पर बैठकर उन्हें नहीं करनी चाहिए जिसकी उन्हें पूरी जानकारी न हो ,
       साथ ही यह मीडिया की भी जिम्मेदारी बनती है कि वह जनता के सामने सही जानकारी प्रस्तुत करे ,वी के सिंह पहले सेना प्रमुख थे जनरल थे किन्तु आज केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री हैं ऐसे में अगर उनकी तरफ से कोई बयान दिया जाता है तो उस बयान को उनके वर्तमान पद के नाम से ही सम्बोधित किया जाना चाहिए न कि पूर्व पद के नाम से क्योंकि उनका पहले पद निष्पक्ष राष्ट्रभक्ति का परिचय देता था और लोगो को उनकी बात पर विश्वास के लिए प्रेरित करता था किन्तु आज वे राजनीतिक पद पर हैं और ऐसे में उनसे निष्पक्ष राष्ट्रभक्ति की उम्मीद बेमानी है ऐसे में उनका बयान लोगो को प्रभावित नहीं करता बल्कि उनकी कूटनीतिक चाल की रूप में समझने की समझ देता है और इसलिए ही ज़रूरी है कि मीडिया भी अपने सही कर्तव्य को निभाए और विदेश राज्यमंत्री भी सही हालात को समझते हुए बयान दें क्योंकि दोनों ही महत्वपूर्ण भूमिका में हैं ,

शालिनी कौशिक 
  [कौशल ] 

टिप्पणियाँ

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (25-02-2018) को "आदमी कब बनोगे" (चर्चा अंक-2892) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
Rohitas Ghorela ने कहा…
सेना में उनकी सेवा काबिले तारीफ है लेकिन राजनेता बनने के बाद हर कोई बदल सा जाता है।
या बदलना पड़ जाता है।

एक जाल है दलदल का उससे बाहर निकल ही नही सकते।
बढ़िया लोग सुधार चाहते हैं तो राजनीति से दूर रह कर कहीं बेहतर काम कर सकते हैं।

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