aaj ka yuva verg
आज युवा वर्ग बहुत जोश में है.चारों ओर युवा वर्ग का आह्वान हो रहा है .हर क्षेत्र में युवाओं की भूमिका की चर्चा है किन्तु यह स्थिति केवल सही दिशा में ही नहीं गलत दिशा में भी है.युवाओं में बड़ों के प्रति सम्मान घटा है.स्वयं को बड़ों के मुकाबले अक्लमंद समझने की भावना युवाओं में हावी है.मैं जिस क्षेत्र से ताल्लुक रखती हूँ वहां मैने युवाओं में यह भावना बढ़ चढ़ कर देखी है.अपनी आवाज़ बुलंद करने के लिए युवा बड़े बुजुर्गों की आवाज़ दबा रहे हैं और यहाँ तक की खुलें उनका अपमान भी कर रहे हैं. उनके ऐसे व्यवहार के कारण बड़ों की सार्वजनिक जीवन में उपस्थिति घटी है और इसका प्रत्यक्ष प्रभाव सार्वजनिक कार्यक्रमों में व्याप्त उद्दंडता में दिखाई दे रहा है.कहने पर यदि आ जायें तो आज का युवा बहुत जल्दी में है.वह अतिशीघ्र सब कुछ पा लेना चाहता है चाहे इस के लिए उसे कुछ भी करना पड़े. ग़ालिब के शब्दों में मुझे तो उनसे यही कहना है की सबसे पहले इन्सान बनो जो की सबसे मुश्किल है-------
"बस क़ि दुश्वार है हर काम का आसाँ होना,
आदमी को भी मयस्सर नहीं इंसा होना."
"बस क़ि दुश्वार है हर काम का आसाँ होना,
आदमी को भी मयस्सर नहीं इंसा होना."
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