क्या करेगी जन्म ले बेटी यहाँ




क्या करेगी जन्म ले बेटी यहाँ

साँस लेने के काबिल फिजा नहीं ,

इस अँधेरे को जो दूर कर सके

ऐसा एक भी रोशन दिया नहीं !

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क्या करेगी तरक्की की सोचकर

तेरे लिए ये जहाँ बना नहीं ,

हौसलों को तेरे जो पर दे सके

ऐसा दिलचला कोई मिला नहीं !

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क्या करेगी सोच साथ देने की

तेरी नहीं कोई ज़रुरत यहाँ ,

कद्र जो तेरी मदद की कर सके

ऐसा कदरदान है हुआ नहीं !

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क्या करेगी उनके ग़मों को बांटकर

तुझसे साझा उन्होंने किये नहीं ,

सह रही जो सदियों से तू आज तक

उनका साझीदार है यहाँ नहीं !

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''शालिनी''ही क्या अनेकों बेटियां

बख्तरों में बंद हो आई यहाँ ,

मुजरिमों की जिंदगी क्यूं है मिली

इसका खुलासा कभी किया नहीं !

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शब्दार्थ -दिलचला-दिलेर ,साहसी .बख्तर-लोहे का कवच .

शालिनी कौशिक

[कौशल ]

टिप्पणियाँ

वातावरण सबके योग्य बनाना होगा, तभी जीवन अपना पूर्ण रूप ले जी पायेगा।
ऐसे माहोल में बदलाव लाने की जरूरत है .. बेटियों को सुरक्षा देने की उनके विकास में सहभागी बनने की जरूरत है ...
बढ़िया रचना -निराशा में आशा को जीवित रखना है
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डॉ सुरेश राय ने कहा…
बेटियों का जन्म, इस धरा पे, बेवजह नही है
ईश्वर का वरदान हैं, बेटियाँ सज़ा नही हैं
suresh rai.
kindly visit and bless me
http://mankamirror.blogspot.in/
सामायिक रचना.. बदलाव की जरुरत है..
स्थितियां बदलेगी तभी सब संभव है...
vartamaan parishthitiyo ko ujagar kati uttam rachna .. shubhkamnaye :)

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