आगे बढ़कर हाथ मिला .
सन्दर्भ -समाचार सरहद पर अमन के बाद होगी बात .
पाकिस्तान हमेशा से भारत के शांति प्रयासों का मजाक उडाता आया है और अब भी वह इसी राह पर है कुछ यूँ -
आ रहे हैं तेरे दर पर ,आगे बढ़कर हाथ मिला .
दिल मिले भले न हमसे ,आगे बढ़कर हाथ मिला .
.....................................................................................................
घर तेरे आकर भले हम खून रिश्तों का करें ,
भूल जा तू ये नज़ारे ,आगे बढ़कर हाथ मिला .
............................................................................
जाहिरा तुझसे गले मिल भीतर चलायें हम छुरियां ,
क्या करेगा देखकर ये,आगे बढ़कर हाथ मिला .
............................................................................
हम सदा से ही निभाते दोस्त बनकर दुश्मनी ,
तू मगर है दोस्त अपना,आगे बढ़कर हाथ मिला .
........................................................................................
घर तेरा गिरने के दुःख में आंसू मगरमच्छी बहें,
पर दुखी न दिल हमारा,आगे बढ़कर हाथ मिला .
................................................................................
आग की लपटों से घिरकर तेरे अरमां यूँ जलें ,
मिल गयी ठंडक हमें ,अब आगे बढ़कर हाथ मिला .
.......................................................................................................................
जिंदगी में तेरी हमने क्या न किया ''शालिनी '',
भूल शहादत को अपनी, आगे बढ़कर हाथ मिला .
......................................................................................
शालिनी कौशिक
[कौशल ]
पाकिस्तान हमेशा से भारत के शांति प्रयासों का मजाक उडाता आया है और अब भी वह इसी राह पर है कुछ यूँ -
आ रहे हैं तेरे दर पर ,आगे बढ़कर हाथ मिला .
दिल मिले भले न हमसे ,आगे बढ़कर हाथ मिला .
.....................................................................................................
घर तेरे आकर भले हम खून रिश्तों का करें ,
भूल जा तू ये नज़ारे ,आगे बढ़कर हाथ मिला .
............................................................................
जाहिरा तुझसे गले मिल भीतर चलायें हम छुरियां ,
क्या करेगा देखकर ये,आगे बढ़कर हाथ मिला .
............................................................................
हम सदा से ही निभाते दोस्त बनकर दुश्मनी ,
तू मगर है दोस्त अपना,आगे बढ़कर हाथ मिला .
........................................................................................
घर तेरा गिरने के दुःख में आंसू मगरमच्छी बहें,
पर दुखी न दिल हमारा,आगे बढ़कर हाथ मिला .
................................................................................
आग की लपटों से घिरकर तेरे अरमां यूँ जलें ,
मिल गयी ठंडक हमें ,अब आगे बढ़कर हाथ मिला .
.......................................................................................................................
जिंदगी में तेरी हमने क्या न किया ''शालिनी '',
भूल शहादत को अपनी, आगे बढ़कर हाथ मिला .
......................................................................................
शालिनी कौशिक
[कौशल ]
टिप्पणियाँ
(mere blog me main HINDI me type nhi kar pa rha hun... please help me aout Email- rohitasghorela@gmail.com)
(mere blog me main HINDI me type nhi kar pa rha hun... please help me aout Email- rohitasghorela@gmail.com)
मेरी नई रचना :- जख्मों का हिसाब (दर्द भरी हास्य कविता)
आग की लपटों से घिरकर तेरे अरमां यूँ जलें ,
मिल गयी ठंडक हमें ,अब आगे बढ़कर हाथ मिला .
बहुत खूब