सही हर सोच है इनकी,भले बैठें गलत घर पर .


तखल्लुस कह नहीं सकते ,तखैयुल कर नहीं सकते ,

तकब्बुर में घिरे ऐसे ,तकल्लुफ कर नहीं सकते .

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मुसन्निफ़ बनने की सुनकर ,बेगम मुस्कुराती हैं ,

मुसद्दस लिखने में मुश्किल हमें भी खूब आती है ,

महफ़िलें सुन मेरी ग़ज़लें ,मुसाफिरी पर जाती हैं ,

मसर्रत देख हाल-ए-दिल ,मुख्तलिफ ही हो जाती है .

मुकद्दर में है जो लिखा,पलट हम कर नहीं सकते ,

यूँ खाली पेट फिर-फिर कर तखल्लुस कह नहीं सकते .

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ज़बान पर अवाम की ,मेरे अशआर चढ़ जाएँ ,

मुक़र्रर हर मुखम्मस पर ,सुने जो मुहं से कह जाये ,

मुखालिफ भी हमें सुनने ,भरे उल्फत चले आयें ,

उलाहना न देकर बेगम ,हमारी कायल हो जाएँ .

नक़ल से ऐसी काबिलियत हैं खुद में भर नहीं सकते ,

यूँ सारी रात जग-जगकर तखैयुल कर नहीं सकते .

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शहंशाही मर्दों की ,क़ुबूल की है कुदरत ने ,

सल्तनत कायम रखने की भरी हिम्मत हुकूमत ने ,

हुकुम की मेरे अनदेखी ,कभी न की हकीकत ने ,

बनाया है मुझे राजा ,यहाँ मेरी तबीयत ने .

तरबियत ऐसी कि मूंछे नीची कर नहीं सकते ,

तकब्बुर में घिरे ऐसे कभी भी झुक नहीं सकते .

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मुहब्बत करके भी देखो, किसी से बंध नहीं सकते ,

दिलकश हर नज़ारे को, यूँ घर में रख नहीं सकते ,

बुलंद इकबाल है अपना ,बेअदबी सह नहीं सकते

चलाये बिन यहाँ अपनी ,चैन से रह नहीं सकते .

चढ़ा है मतलब सिर अपने ,किसी की सुन नहीं सकते ,

शरम के फेर में पड़कर, तकल्लुफ कर नहीं सकते .

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शख्सियत है बनी ऐसी ,कहे ये ”शालिनी ”खुलकर ,

सही हर सोच है इनकी,भले बैठें गलत घर पर .

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शब्दार्थ-तखल्लुस-उपनाम ,तखैयुल-कल्पना ,तकब्बुर-अभिमान ,तकल्लुफ-शिष्टाचार ,मुसन्निफ़-लेखक,मुसाफिरी-यात्रा ,मसर्रत-ख़ुशी ,मुख्तलिफ -अलग

मुसद्दस -उर्दू में ६ चरणों की कविता ,मुखम्मस-५ चरणों की कविता ,मुखालिफ-विरोधी ,उल्फत-प्रेम, उलाहना -शिकायत ,कायल-मान लेना ,तरबियत-पालन-पोषण ,बुलंद इकबाल -भाग्यशाली

शालिनी कौशिक

[woman about man ]

टिप्पणियाँ

रविकर ने कहा…
सुन्दर प्रस्तुति-
आभार-
Darshan jangra ने कहा…
बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा कल - शुक्रवार - 20/09/2013 को
अमर शहीद मदनलाल ढींगरा जी की १३० वीं जयंती - हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः20 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया आप भी पधारें, सादर .... Darshan jangra





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