शत शत नमन





एक की लाठी सत्य अहिंसा एक मूर्ति सादगी की,

दोनों ने ही अलख जगाई देश की खातिर मरने की .

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जेल में जाते बापू बढ़कर सहते मार अहिंसा में ,

आखिर में आवाज़ बुलंद की कुछ करने या मरने की .

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लाल बहादुर सेनानी थे गाँधी जी से थे प्रेरित ,

देश प्रेम में छोड़ के शिक्षा थामी डोर आज़ादी की .

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सत्य अहिंसा की लाठी ले फिरंगियों को भगा दिया ,

बापू ने अपनी लाठी से नीव जमाई भारत की .

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आज़ादी के लिए लड़े वे देश का नव निर्माण किया ,

सर्व सम्मति से ही संभाली कुर्सी प्रधानमंत्री की .

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मिटे गुलामी देश की अपने बढ़ें सभी मिलकर आगे ,

स्व-प्रयत्नों से दी है बढ़कर साँस हमें आज़ादी की .

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दृढ निश्चय से इन दोनों ने देश का सफल नेतृत्व किया

ऐसी विभूतियाँ दी हैं हमको कृतज्ञ दुनिया इस दिन की .

शालिनी कौशिक

[कौशल]

टिप्पणियाँ

Rohitas Ghorela ने कहा…
दोनों महान नायकों को शत शत नमन।
सुंदर रचना।
पधारे- शून्य पार 
Anita ने कहा…
भारत माँ के दोनों महान सपूतों को शत शत नमन !
Sweta sinha ने कहा…
जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 2 अक्टूबर 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
QTC ने कहा…
In your situation, I strongly recommend that you should make a Career Plan and work according to it. Because, If you fail to Plan, you are planning to Fail.

If you want we can help you with your Career Plan. For this you would need work with a Career Advisor for 14 hours. Let me know if you want to know more about the LifePage Career Plan.
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 3.10.2019 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3477 में दिया जाएगा

धन्यवाद
मन की वीणा ने कहा…
जी दोनों महाविभूतियों को कोटि-कोटि नमन ।
बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति।
अनीता सैनी ने कहा…
बहुत सुन्दर सृजन
नमन

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