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प्रोटेम स्पीकर चयन - विवेकाधिकार का इस्तेमाल होना चाहिए था.

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            देश में 18 वीं लोकसभा गठित होने जा रही है. भारतीय परंपरा के अनुसार जब भी कोई नई लोकसभा गठित होती है तो संसद के निचले सदन अर्थात लोकसभा में सबसे लम्बा समय गुजारने वाले सदस्य या निर्वाचित सबसे वरिष्ठ सदस्य को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया जाता है। संसदीय मामलों के मंत्रालय के माध्यम से सत्तारूढ़ पार्टी या गठबंधन प्रोटेम स्पीकर का नाम राष्ट्रपति के पास भेजता है। इसके बाद राष्ट्रपति प्रोटेम स्पीकर को नियुक्त करते रहे हैं, प्रोटेम स्पीकर नवनिर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाते है। नए सांसदों को शपथ दिलाने में प्रोटेम स्पीकर की सहायता के लिए सरकार दो-तीन नामों की सिफारिश करती है। करीब दो दिनों तक सदस्यों को शपथ दिलाने का काम चलता है और इसके बाद सदस्य अपने लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव करते हैं।       इस प्राचीन परंपरा के अनुसार कांग्रेस के आठ बार के सांसद कोडिकुनिल सुरेश को 18 वीं लोकसभा में प्रोटेम स्पीकर चुना जाना चाहिए था. किन्तु कटक से भाजपा सांसद भतृहरि महताब जो कि कॉंग्रेस पार्टी के सांसद के. सुरेश से 1 बार कम 7 बार के सांसद हैं इसलिए वरिष्ठता में उनसे कम हैं, को लोकसभा के अध्यक्ष का चुना

इस तरह से नहीं बचेगी दुनिया

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     आग बरस रही है पिछले डेढ़ महीने से पूरे उत्तर भारत में और आगे भी जो समाचार आ रहे हैं उनमे भी गर्मी से राहत की कोई खबर नहीं आ रही है. दिल्ली में लू का ओरेंज एलर्ट जारी किया गया है, आम जनता से घरों के अंदर रहने के लिए कहा जा रहा है, ज्यादा से ज्यादा पानी पीते रहें - फलां फलां निवेदन किए जा रहे हैं जो कि धरातल पर पूरे किए जाने मे लगभग असंभव है. तेज झुलसाने वाली धूप से, गर्मी से सब परेशान हैं किन्तु एक भी आवाज इसके मूल कारण को सामने लाने के लिए नहीं उभर रही है और न ही किसी के द्वारा भी सूर्य देव के इस तरह से फट पड़ने की जिम्मेदारी उठाई जा रही है. बस इतना है कि कहीं हाईवे निर्माण के नाम पर तो कहीं कांवड़ मार्ग बनाए जाने के लिए करोड़ों पेड़ों की अन्धाधुन्ध कटाई जारी है.       नेचर जर्नल के अध्ययन में वृक्ष आवरण हानि की वर्तमान और ऐतिहासिक दरों का अनुमान लगाया गया है। इसमें कहा गया है कि 12,000 साल पहले कृषि की शुरुआत के बाद से दुनिया भर में पेड़ों की संख्या में 46 प्रतिशत की गिरावट आई है और हर साल 15 अरब से अधिक पेड़ काटे जाते हैं। प्रतिदिन लगभग 42,000,000 पेड़ काटे जाते हैं । पहली बार अ

परीक्षाओं की धांधली से डूबता युवाओं का भविष्य

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        परीक्षाओं में धांधली इस समय चरम पर है. वैसे ऐसा कभी नहीं रहा है जब परीक्षाओं में और उनके परिणामों में धांधली न की गई हो. बस इतना है कि कॉंग्रेस पार्टी द्वारा आरटीआई कानून लाने के बाद से परीक्षार्थियों को इन धांधलियों को खोलने का एक हथियार हाथ लग गया. आजकल के समाचारों में पी सी एस(जे)  मुख्य परीक्षा 2022 और NEET परिक्षा मे हुई धांधली को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है.     NEET और पी सी एस (जे) जैसी परीक्षाओं में लाखों बच्चे मेहनत से तैयारी करते हैं और अपनी जिंदगी के महत्वपूर्ण घण्टे इस तैयारी में लगाते हैं। पूरा परिवार अपने बच्चे के इस प्रयास में अपनी श्रद्धा और शक्ति डालता है। लेकिन साल दर साल इन परीक्षाओं में पेपर लीक, रिजल्ट से जुड़ी गड़बड़ियाँ सामने आ रही है।         NEET परीक्षा का परिणाम 4 जून को घोषित किया जाता है. लखनऊ की आयुषी पटेल का रिजल्ट नेट पर नहीं दिखाई देता है बाद में उसके मोबाइल पर मैसेज आता है कि आपका रिजल्ट जेनेरेट नहीं किया जा सकता है क्योंकि आपकी ओ एम आर शीट फटी हुई है. अब क्या करे आयुषी पटेल, सिवाय कोर्ट की शरण में जाने के.      पी सी एस (जे)  मुख्य परीक्षा

कांधला के हिन्दू धर्म गुरु भी सम्मान दें कांधला के मुस्लिम धर्म गुरुओं के एलान को

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      उत्तर प्रदेश के जनपद शामली के कस्बा कांधला में मुस्लिम धर्म गुरुओं द्वारा दो दिन पूर्व किया गया एलान "शादी में डीजे बजाया तो मौलाना नहीं पढ़ाएंगे निकाह" उनकी समाज और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी निभाने का प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत कर गया.       आज दावतों, पार्टियों, जुलूसों, शादी विवाहों में डीजे बजाया जाना एक प्रचलन बन चुका है जिसकी तीव्रता ध्वनि न केवल कान फोड़ू है बल्कि मस्तिष्क की नसों तक को झंझोड देने वाली होती है. शादी विवाहों आदि में डीजे बजाया जाना इस कदर हावी है कि जहां शादी-विवाह, जुलूस आदि के आयोजन होते हैं वहां तो इनकी कोई समय सीमा होती ही नहीं है बल्कि सड़कों पर भी बारात के साथ चलने वाले बाराती भी घण्टों घण्टों अपनी पसंद का गीत डीजे वाले से बजवाकर मस्त होकर नाचते रहते हैं और जितनी देर तक डीजे वाली बारात सड़क पर होती है तो सड़क के दोनों ओर के घरों के निवासी और दुकानों के दुकानदार एवं ग्राहक किसी न किसी अनहोनी की आशंका से घिरे रहते हैं, अनहोनी पहली तो डीजे वाले से बारात में, जुलूस में नाचने वालों का विवाद और दूसरे डीजे की मस्तिष्क की नसें फाडने वाली ध्वनि स