कांधला के हिन्दू धर्म गुरु भी सम्मान दें कांधला के मुस्लिम धर्म गुरुओं के एलान को



      उत्तर प्रदेश के जनपद शामली के कस्बा कांधला में मुस्लिम धर्म गुरुओं द्वारा दो दिन पूर्व किया गया एलान "शादी में डीजे बजाया तो मौलाना नहीं पढ़ाएंगे निकाह" उनकी समाज और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी निभाने का प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत कर गया.

      आज दावतों, पार्टियों, जुलूसों, शादी विवाहों में डीजे बजाया जाना एक प्रचलन बन चुका है जिसकी तीव्रता ध्वनि न केवल कान फोड़ू है बल्कि मस्तिष्क की नसों तक को झंझोड देने वाली होती है. शादी विवाहों आदि में डीजे बजाया जाना इस कदर हावी है कि जहां शादी-विवाह, जुलूस आदि के आयोजन होते हैं वहां तो इनकी कोई समय सीमा होती ही नहीं है बल्कि सड़कों पर भी बारात के साथ चलने वाले बाराती भी घण्टों घण्टों अपनी पसंद का गीत डीजे वाले से बजवाकर मस्त होकर नाचते रहते हैं और जितनी देर तक डीजे वाली बारात सड़क पर होती है तो सड़क के दोनों ओर के घरों के निवासी और दुकानों के दुकानदार एवं ग्राहक किसी न किसी अनहोनी की आशंका से घिरे रहते हैं, अनहोनी पहली तो डीजे वाले से बारात में, जुलूस में नाचने वालों का विवाद और दूसरे डीजे की मस्तिष्क की नसें फाडने वाली ध्वनि से मकान दुकान में किसी टूट फूट का डर. जब डीजे की तेज ध्वनि पुरानी हवेलियों के किवाड़ों को झनझना सकती है तो आज के डेढ़ दो ईंट के मकानों का क्या करती होगी उसकी कल्पना करना भी दहशत भरा हुआ है, सिर्फ यही नहीं डीजे की हाई-वाईब्रैशन खिड़कियों के शीशे तोड़ रही है, घरों में पड़े हृदय रोगियों पर कहर बरसा रही हैं, शादी, विवाह आदि पार्टियों में नाचते हुए युवाओं की हृदय गति को हृदयाघात पहुंचा कर उन्हें असमय मौत के द्वार पर पहुंचा रही हैं किन्तु सरकार और प्रशासन इस ओर चुप्पी साधे बैठे हैं.

   ऐसे में कस्बा कांधला में मुस्लिम धर्म गुरुओं द्वारा डीजे बजाये जाने पर निकाह पढ़ाने से मना करने का जो सर्व हितकारी एलान किया गया है वह वास्तव में काबिले-तारीफ है और ऐसा इस दशा में भी कि मुस्लिम समुदाय में सड़कों पर बारात निकलने का प्रचलन काफी कम ही है, ऐसे में हिंदू धर्म गुरुओं को भी इनसे प्रेरणा ग्रहण करते हुए हिन्दू धर्मावलम्बियों को शादी विवाह में डीजे बजाये जाने पर विवाह में मंत्र आदि कराए जाने से मना कर देना चाहिए और हिन्दू धर्म गुरुओं के इस तरह की घोषणा को हिन्दू विवाह कराए जाने के लिए मानने हेतु बाध्य भी रहेंगे क्योंकि माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा भी हिन्दू विवाह को मान्यता तभी दी जाती है जब वह हिन्दू धर्म के वैवाहिक रीति रिवाजों का पालन कर सम्पन्न किया गया हो. इसलिए अब देश, समाज, पर्यावरण और हमारी आने वाली पीढ़ियों को बचाए रखने की जिम्मेवारी हमारे हिन्दू धर्म गुरुओं को भी संभाल लेनी चाहिए और मरहूम मौलवी इफ्तिखार-उल-हसन के नाम से अरब देशों में प्रसिद्ध कांधला में मुस्लिम धर्म गुरुओं द्वारा की गई इस पहल को सराहनीय रूप से सफल बनाने की पूरी कोशिश कर कांधला का नाम विश्व स्तर पर साम्प्रदायिक सद्भाव के लिए भी ऊंचा कर देना चाहिए. साथ ही, अतिथि भवनों, बैकेट हाल और धर्मशालाओं के लिए भी सरकारी तौर पर यह नियम बना दिया जाना चाहिए कि इनमें किए जाने वाले आयोजनों में डीजे नहीं बजाया जाएगा, यदि हमारी सरकारें और हमारे धर्म गुरु अपनी यह जिम्मेदारी निभा पाते हैं तभी वे आगे आनी वाली पीढ़ियों को स्वस्थ मस्तिष्क, स्वस्थ श्रवण शक्ति और स्वस्थ पर्यावरण दे पाएंगे. 

शालिनी कौशिक

एडवोकेट 

कैराना (शामली) 

टिप्पणियाँ

हमारे गुरु तो गुरु घंटाल की वोट के इंतजामात में मशरूफ हैं :)
Shalini kaushik ने कहा…
आजकल हर ओर राजनीति ही हावी है, किन्तु हमारे धर्म गुरुओं को राजनीति से बाहर आकर सर्व हितकारी निर्णय लेने चाहिए. टिप्पणी हेतु हार्दिक धन्यवाद सर 🙏🙏

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