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जून, 2025 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

पूर्व पीठिका : Reason behind book creation

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  पूर्व पीठिका: Reason behind book creation Useless to say better than misfortune When the mind analysed on the reason behind the creation of the book "Kaushal Prasad: Synonyms with Truth - Barefoot on Kantak Path", then got the gist in the lines of the poem "Kamal Ke Phool" (Flowers of Lotus) which was written by the famous Hindi lyricist respected Bhavani Prasad Mishra -  I have brought flowers of lotus.  What should I do?  Spread you aanchal ( border of a dress, dupatta or sari, etc.)  leave; Be light!  but what will happen of lotus flower? ............... don't fill the  aanchal by mistake  don't hold them in your lap  I should not die under their burden ! (that is Saying the deepest feelings of the heart to someone removes the heavy burden of the mind & heart , but whether the person in front will give respect to his/her expressed expressions or not, it cannot be guessed, it is possible that the person will make fun of your deep...

Contribution To The World Of Work Part -1

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 Babuji had affection like a real brother to the former Judge Late Mr Mahesh Agrawal ji, a native of Kandhla. Mahesh ji's youngest brother  Ex-District Judge Respected Mr. Bharat Bhushan Agrawal ji was  on the post of District Judge, Meerut in 2004. When Babu ji went to Meerut for some work, he reached his residence to meet him. I was with him too. As soon as Bharat Bhushan ji got the information from the orderly ; he immediately came out to meet Babu ji and welcomed Babu ji with a warm embrace. His spontaneity and intimacy had made Babuji and my heart affectionate. The son of the next generation of this family, Mr. Shekhar Agrawal ji [IAS] has brought laurels to the Kandhla region while holding high administrative posts. Shalini Kaushik Advocate Dr Shikha kaushik 'nutan'

मेरे पापा सर्वश्रेष्ठ -सादर नमन 💐

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  झुका दूं शीश अपना ये बिना सोचे जिन चरणों में , ऐसे पावन चरण मेरे पिता के कहलाते हैं . .................................................................. बेटे-बेटियों में फर्क जो करते यहाँ , ऐसे कम अक्लों को वे आईना दिखलाते हैं . ............................................................... शिक्षा दिलाई हमें बढाया साथ दे आगे , मुसीबतों से हमें लड़ना सिखलाते हैं . ......................................................................... मिथ्या अभिमान से दूर रखकर हमें , सादगी सभ्यता का पाठ वे पढ़ाते हैं . ................................................................. कर्मवीरों की महत्ता जग में है चहुँ ओर, सही काम करने में वे आगे बढ़ाते हैं . ............................................................. जैसे पिता मिले मुझे ऐसे सभी को मिलें , अनायास दिल से ये शब्द निकल आते हैं . .................................... शालिनी कौशिक [कौशल]

पितृ दिवस -पुत्री शालिनी कौशिक की विनम्र श्रद्धांजलि पिता स्व बाबू कौशल प्रसाद एडवोकेट जी के चरणों में 💐

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 Father is a relation on which both life and honor of a daughter depends. My father Babu Kaushal Prasad Advocate Ji has completely fulfilled both these criteria. My father was trying hard to get us higher education, but my father was never going to interfere in our hobbies and interests. Our mother used to take full responsibility of our education. Papa was familiar with the school and college teachers and clerk's office. If our teachers also needed legal help, they met papa and papa never let them go to Kairana court to get their work done, but didn't try to take illegal advantage of this introduction in relation to education or increase in marks.  Not only our teachers but also the citizens of the area have been praising the kindness of Papa's nature without any hesitation . It was because of my father's kind nature that Saini Bahan ji  (the school had the same rules for calling the teachers as Didi and Behenji) who was a teacher in our Government Girls Inter College,...

धूप में रखी कोल्ड ड्रिंक जहर नहीं...... पर जहर से कम भी नही

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   जून का महीना चल रहा है और चल रहा है ऐसी भीषण गर्मी का मौसम, जिसमें गला सूख जाता है और मन एकदम भागता है कोल्ड ड्रिंक की दुकान की ओर, जहाँ प्लास्टिक की बोतल मे कोल्ड ड्रिंक/शीतल पेय की चुनिंदा बोतल ही होती हैं जो फ्रिज मे रखी हुई होती हैं बहुतायत मे कोल्ड ड्रिंक की प्लास्टिक की बोतल धूप मे ही रखी हुई मिलती हैं, यही नहीं, बहुत सी बार जो गांव के लोग आते हैं वे भी कोल्ड ड्रिंक की प्लास्टिक की बोतलों को तेज धूप में मोटर बाइक के पीछे बांधकर या फिर लोहे की तेज धूप में तपती ट्रेक्टर ट्रॉली पर रखकर गांव में ले जाते हैं जो कि लगभग 7 से 12 किलोमीटर तक यूँ ही तपती हुई गांव में पहुँचती हैं और गर्मी से सूखते ग्रामीणों के गलों को ठंडक के साथ साथ क्या क्या बीमारियां मुफ्त में दे रही हैं, इसका उन्हें पता भी नहीं होता. ➡️ प्लास्टिक की बोतल कैसे बनती हैं- ऐसे में सबसे पहले जरुरी ये है कि प्लास्टिक की बोतल की निर्माण प्रक्रिया जानी जाये ताकि हमें पता लग सके कि हम प्लास्टिक की बोतल में रखा पानी या कोल्ड ड्रिंक जो पी रहे हैं वह वास्तव में कितना खतरनाक है प्लास्टिक की बोतलें PET (पॉलीएथिलीन टेरेफ्...

अब अच्छे लड़कों का शादी करना मुश्किल

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आख़िरकार वही हुआ जो बिल्कुल भी नहीं होना चाहिए था. आज तक पुरुष पर दरिंदगी के आरोप लगते रहे किन्तु आज की भारतीय नारी ने पिछले कुछ समय से यह साबित करके दिखा ही दिया है कि वह पुरुषो से किसी भी मामले मे पीछे नहीं है. अपने सकारात्मक स्वरुप से नारी देवी का स्वरुप तो सृष्टि के आरम्भ से ही दिखाती आ रही थी किन्तु वह राक्षसी भी हो सकती है, चुड़ैल भी हो सकती है यह आधुनिकता की ओर बढ़ते नये भारत में ही नजर आया है.       लड़कियों के लिए तो आधुनिक सामाजिक संस्कृति के आरम्भ से ही विवाह मौत का द्वार बनता रहा है दहेज़ के दानव के कारण, किन्तु लड़कों को नहीं पता था कि एक दिन शादी करना उनके लिए भी मृत्यु के घाट उतरने के समान ही हो जायेगा. अभी तो भारतीय संस्कृति मुस्कान द्वारा किये गए सौरभ के टुकड़ों पर ही आंसू बहाकर शांत नहीं हुई थी कि भारतीय संस्कृति को धक्का पहुँचाने वाली सोनम और निकल आई.         भारतीय संस्कृति में पत्नी हमेशा पति की प्रेरणा, जीवन रक्षक रही है. पति की मंगलकामना के लिए पत्नियों ने हर कष्ट को सहा है, हर संकट का सामना किया है. सोनम और राजा रघुवंशी की शादीशुदा जिं...

संस्कार की महक

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संस्कार न केवल एक शब्द है बल्कि एक ऐसा भाव है जो एक बच्चे के मन में तभी से उत्पन्न होना कहा जा सकता है जब से वह अपनी माँ की कोख में अपना स्थान बनाता है. अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु के द्वारा जब कौरवों के साथ युद्ध में चक्रव्यूह में प्रवेश कर कौरवों का सामना किया गया तब यह तथ्य सभी के सामने आया कि अर्जुन द्वारा पत्नी सुभुद्रा से जब चक्रव्यूह के संबंध में वार्ता की गई तब अभिमन्यु सुभुद्रा के गर्भ में आ चुके थे, इसलिए वे चक्रव्यूह में प्रवेश करने की विधि तभी जान गए थे किन्तु चक्रव्यूह से बाहर कैसे निकलना है ये अभिमन्यु नहीं जान पाए क्योंकि अर्जुन वह विधि बता पाते इससे पूर्व सुभुद्रा को नींद आ गई थी, जिस कारण अभिमन्यु चक्रव्यूह से बाहर निकलने की विधि नहीं जान पाए.           इस व्याख्यान से यह तो स्पष्ट हो ही गया है कि संस्कार के बीज हमारे मन में बहुत गहराई तक जगह बनाये होते हैं जो लाख कोशिशों के बावजूद मिटाये नहीं जा सकते. जैसे कि आप एक ऐसा जार लीजिये जिसमे आप चीनी रखते हैं, अब आप उस जार को खाली कीजिये और ध्यान दीजिये कि सारी चीनी जार में से निकाल देने के बाद भी चीनी ज...