कांधला में व्यापार की रीढ़ तोड़कर रख दी ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफार्म ने
कांधला कस्बा शामली जिले का एक अमन पसंद, संतुष्ट समाज के रहने की जगह, खेतो और बागो से घिरा कस्बा है. यहाँ विकास के लिए आधुनिकता से जुड़ने की कोई चाह यहाँ के क्षेत्रवासियों में नहीं है. तरक्की के नाम पर आज तक कस्बा कांधला ने केवल यह हासिल किया है कि यहाँ के लोग रोजमर्रा की जरूरतों की बेहद जरुरी चीजें जैसे अनाज, सब्जी, दाल आदि खरीद सकें और रोटी, कपड़ा, मकान आदि की सामान्य आवश्यकता पूर्ण कर सकें. ऐसा नहीं है कि कांधला को विकास की राह पर आगे बढ़ने का कभी कोई प्रस्ताव या अवसर नहीं मिला किन्तु कांधला के भौतिक रूप से सम्पन्न समाज ने उन प्रस्तावो को एक कान से सुन दूसरे कान से निकाल दिया. आज जिस शुगर मिल की बदौलत शामली एक जिले के रूप में विकसित हुआ है उसका पहला प्रस्ताव कांधला को ही मिला था लेकिन उस प्रस्ताव को कांधला के जमींदारों ने ठुकरा दिया. जसाला गांव में जो खेल स्टेडियम है, उसके लिए पहले क्षेत्र के प्रतिष्ठित मंत्री जी ने कांधला के बड़े जमींदारों से ही जमीन मांगी थी, जिसमें विफल रहने पर मंत्री जी ने अपने गांव में ही स्टेडियम की स्थापना की. ऐसे रूढ़िवादी, पुरातन सोच में डूबे क़स्बा कांधला के व्यापार की रीढ़ की हड्डी ही तोड़कर रख दी है -ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफार्म ने, जिससे घरेलू सामान मंगाना क्षेत्रवासियों के शौक में शामिल हो गया है और जिसके कारण आज कस्बे का मेन बाजार ठप्प होता ही दिखाई दे रहा है.
ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्म आम जनता को ग्रोसरी आइटम्स में कोई भी सामान हो, कैसा भी सामान हो, 10 मिनट में उनके बताये पते पर भेजने का प्रस्ताव दे रहे हैं ग्रोसरी आइटम्स (Grocery items) का मतलब है वे खाद्य पदार्थ और घरेलू सामान जो हम अपनी दैनिक जरूरतों के लिए खरीदते हैं, जैसे कि चावल, आटा, दाल, तेल, मसाले, साबुन, शैम्पू, आदि।
➡️ ग्रोसरी आइटम्स में आमतौर पर शामिल हैं:
✒️अनाज और दालें: चावल, आटा, दालें, बेसन, सूजी
✒️तेल और मसाले: खाना पकाने का तेल, नमक, हल्दी, मिर्च, धनिया, आदि
✒️दूध और डेयरी उत्पाद: दूध, दही, पनीर, घी
✒️फल और सब्जियां: ताज़े फल और सब्जियां
✒️बेकरी उत्पाद: ब्रेड, बिस्कुट, केक
✒️नाश्ते के सामान: स्नैक्स, चिप्स, नमकीन, चॉकलेट
✒️पेय: चाय, कॉफी, जूस
✒️सफाई का सामान: डिटर्जेंट, साबुन, शैम्पू, टूथपेस्ट, आदि
✒️अन्य: सूखे मेवे, मसाले, अचार, आदि
इन वस्तुओं को ही आमतौर पर कस्बा कांधला के किराने की दुकानों से खरीदा जाता रहा है और यहाँ कस्बे के मेन बाजार में मुख्यतः सर्राफ और कपड़े की दो चार दुकानों को छोड़कर बहुतायत ग्रोसरी आइटम्स की दुकानों की ही है जिन पर पिछले वर्ष लगभग अश्विन नवरात्रि से ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफार्म ने तगडी सेंध लगाई है और अब हालात ये हैं कि लगभग हर तीसरी या चौथी दुकान बंद पड़ी है. जो व्यापारी दुकान पर बैठे भी हैं वे ग्राहक के बाजार में न आने की ही कहानी कह रहे हैं और मौजूदा हालात से बैचेन और व्याकुल हैं. स्थिति यह हो गई है कि आम आदमी ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफार्म से लुटने के बावजूद भी कांधला के मेन बाजार से ग्रोसरी आइटम्स तक लेने आने में अपना समय व्यर्थ समझ रहा है क्योंकि ज़ब सामान घर पर ही दस मिनट में पहुँचने की सुविधा मिली हो तो बाजार जाने की जहमत क्या उठानी.
ऐसे मे लगता तो यही है कि अगर इसी तरह ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफार्म स्थानीय व्यापारी भाइयों के व्यापार को यूँ ही चूना लगाते रहे तो कांधला कस्बा अपनी एकमात्र तरक्की के क्षेत्र व्यापार के पलायन की ओर ही खिसक जायेगा, जिससे उबरने का फिलहाल कोई रास्ता नजर नहीं आता है.
द्वारा
शालिनी कौशिक
एडवोकेट
कैराना (शामली )
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