संस्कार की महक
इस व्याख्यान से यह तो स्पष्ट हो ही गया है कि संस्कार के बीज हमारे मन में बहुत गहराई तक जगह बनाये होते हैं जो लाख कोशिशों के बावजूद मिटाये नहीं जा सकते. जैसे कि आप एक ऐसा जार लीजिये जिसमे आप चीनी रखते हैं, अब आप उस जार को खाली कीजिये और ध्यान दीजिये कि सारी चीनी जार में से निकाल देने के बाद भी चीनी जार में अपने निशान छोड़ जाती है बिल्कुल उसी तरह जैसे एक संस्कारी व्यक्तित्व अपने आस पास, अपने समाज, अपने देश में अपने कार्यों से अपने संस्कारों की महक छोड़ जाता है.
इसलिए अपने आदर्शो को संस्कार रूप में अपने बच्चों में रोपित कीजिये, वे खुद भी महकेंगे और महका देंगे आपके आदर्शो को.
द्वारा
शालिनी कौशिक
एडवोकेट
कैराना (शामली )
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