सनातनी नहीं हैँ कुत्तों से नफरत करने वाले
आरम्भ से इंसान की सेवा में लगा हुआ कुत्ता आज खतरे में है. इंसान/मालिक के ऊपर मंडराते हुए खतरे को भांपकर उसकी रक्षा में प्राणों को न्योछावर तक कर देने वाला कुत्ता अपनी सुरक्षा के लिए आज इंसान की ओर देख रहा है.देश की राजधानी दिल्ली में जनता उतर आई है आज save dog campaign के साथ और ये जरुरी भी है क्योंकि कुत्ता न केवल एक जीव है बल्कि सनातन धर्म व्यवस्था में अपना एक महत्वपूर्ण स्थान भी रखता है.
आजकल भाद्रपद मास चल रहा है. भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि से लेकर अश्वनि की अमावस्या तक का समय श्राद्ध व पितृ पक्ष कहलाता है. इन 16 दिनों में पितरों को खुश कराने के लिए ब्राह्मणों को भोजन करवाया जाता है. इसके साथ ही पंचबलि यानी गाय, कुत्ते, कौए, देवता और चीटियों को भोजन सामग्री दी जाती है।
पितृ पक्ष में कौवे, गाय और कुत्तों को भोजन कराना शुभ माना जाता है। कौवों को भोजन कराने का महत्व यह है कि वे पितरों का प्रतीक माने जाते हैं और उन्हें भोजन कराने से पितर संतुष्ट होते हैं। गाय को भोजन कराने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है और परिवार पर उनका आशीर्वाद बना रहता है। कुत्ते को भोजन कराने से पितरों की आत्मा को संतुष्टि मिलती है।
पितृ पक्ष, जिसे श्राद्ध पक्ष भी कहा जाता है, एक 16 दिवसीय अवधि है जब लोग अपने पूर्वजों को याद करते हैं और उनका श्राद्ध करते हैं। यह माना जाता है कि इन 16 दिनों में, पितर धरती पर आते हैं और अपने वंशजों से भोजन और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आते हैं।
➡️ कौवों को भोजन क्यों खिलाया जाता है?
✒️ पितरों का प्रतीक:
हिंदू धर्म में, कौवों को पितरों का प्रतीक माना जाता है। यह मान्यता है कि पितर कौवों के रूप में धरती पर आते हैं और अपने वंशजों द्वारा अर्पित भोजन ग्रहण करते हैं।
✒️ यम का प्रतीक:
कुछ मान्यताओं के अनुसार, कौवे यमराज के दूत माने जाते हैं। इसलिए, कौवों को भोजन कराने से पितरों के साथ-साथ यमराज भी प्रसन्न होते हैं।
✒️ कथा:
एक पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान राम ने कौवे को वरदान दिया था कि उसके द्वारा खाया गया भोजन पितरों को प्राप्त होगा।
✒️ शांति और संतुष्टि:
कौवों को भोजन कराने से पितरों को शांति और संतुष्टि मिलती है, और वे अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं।
➡️ गाय को भोजन क्यों खिलाया जाता है?
✒️ देवताओं का प्रतीक:
गाय को हिंदू धर्म में एक पवित्र पशु माना जाता है और उसे देवताओं का प्रतीक माना जाता है।
✒️ आशीर्वाद:
गाय को भोजन कराने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है और परिवार पर उनका आशीर्वाद बना रहता है।
✒️ पंचबली:
गाय को भोजन कराना पंचबली का एक हिस्सा है, जिसमें पांच तत्वों (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, और आकाश) के प्रतीकों को भोजन दिया जाता है।
➡️ कुत्ते को भोजन क्यों खिलाया जाता है?
✒️ यम का प्रतीक:
कुत्ते को यमराज का प्रतीक माना जाता है। पंचबली का एक भाग कुत्तों को खिलाया जाता है. एक अन्य धारणा के अनुसार कुत्ता यमराज का पशु माना गया है, श्राद्ध का एक अंश इसको देने से यमराज प्रसन्न होते हैं. जिसे श्वानबली कहा जाता है.
✒️ संतुष्टि:
कुत्ते को भोजन कराने से पितरों की आत्मा को संतुष्टि मिलती है।
✒️ रक्षा:
कुत्ते को भोजन कराने से यमराज प्रसन्न होते हैं और पितरों को यमलोक की यात्रा में कोई बाधा नहीं आती है।
इस प्रकार पितृ पक्ष में कौवे, गाय और कुत्तों को भोजन कराना एक प्राचीन परंपरा है जो पितरों के प्रति श्रद्धा और सम्मान व्यक्त करने का एक तरीका है। यह माना जाता है कि ऐसा करने से पितर प्रसन्न होते हैं और अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं।
इसके अतिरिक्त अगर हम ज्योतिष शास्त्र की बात करें, तो ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुत्ते का संबंध केतु ग्रह से है।
✒️ केतु ग्रह:
ज्योतिष में, केतु को एक छाया ग्रह माना जाता है और इसका संबंध कुत्तों से विशेष रूप से माना जाता है.
✒️ भगवान भैरव:
कुत्ते को भगवान भैरव की सवारी भी माना जाता है, जो शिव के एक उग्र रूप हैं.
✒️ शुभ फल:
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में केतु सकारात्मक स्थिति में है, तो कुत्ता पालना शुभ माना जाता है.
✒️ उपाय:
कुछ ज्योतिषीय उपायों में, कुत्ते को भोजन खिलाने या उसकी देखभाल करने से राहु और केतु के नकारात्मक प्रभावों को कम करने में मदद मिलती है.
✒️ अन्य ग्रह:
इसके अतिरिक्त, कुत्ते का संबंध शनि और मंगल ग्रहों से भी जोड़ा जाता है.
ज्योतिष शास्त्र कहता है कि कुत्ता पालने से ये ग्रह शांत रहते हैं-
शनि और राहु, केतु ग्रहों को शांत रखने के लिए सबसे अच्छा उपाय घर में कुत्ता पालना बताया गया है. ज्योतिष शास्त्र में ये भी पढ़ने को मिलता है कि यदि आप काले रंग का कुत्ता घर में पालते हैं तो इससे सभी ग्रह शांत रहेंगे. काला कुत्ता घर की नकारात्मक ऊर्जा को खत्म करने में और घर को बुरी नज़र से बचाने में भी बहुत फायदेमंद होता है. इसके अलावा कुत्ता पालने से शनि और केतु ग्रह शांत होते हैं और अच्छा फल देते हैं.
आज देश में कुत्तों को लेकर जो स्थिति न्यायालयों, सरकार और कुत्तों से नफरत करने वालों द्वारा पैदा की जा रही है उसे देखते हुए यही अपील की जा सकती है कि जो कुत्तों के साथ यह दुर्भावना पूर्ण बर्ताव कर रहे हैँ वे न तो पितृ पक्ष में पितरों की आत्मा की शांति के लिए कुत्तों को पंचबली दें और न ही ज्योतिष के अनुसार केतु ग्रह की शांति का कोई उपाय करें क्योंकि जब कुत्ते ही परेशान रहेंगे तो उनका केतु ग्रह कैसे शांत रह सकता है.
द्वारा
शालिनी कौशिक
एडवोकेट
कैराना (शामली)
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