क्या केवल प्रशासनिक पद पर बैठी बेटी ही मजबूत है -मिशन शक्ति अभियान पर सुलगता सवाल शालिनी कौशिक एडवोकेट का
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के मार्गदर्शन में ''महिलाओं तथा बच्चों की सुरक्षा, सशक्तिकरण व सम्मान'' के उदद्देश्यों के साथ ''मिशन शक्ति'' के रूप में वृहद अभियान की शुरुआत की गई. मिशन शक्ति अभियान के पहले चरण की शुरूवात 17 अक्टूबर 2020 को की गई थी. मिशन शक्ति अभियान के 4 चरणों में सफल संचालन के पश्चात् मिशन शक्ति फेज-5, उत्तर प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा, सम्मान, स्वावलंबन, स्वास्थ्य और सशक्तिकरण के लिए शुरू किया गया, जिसकी शुरुआत 20 सितंबर 2025 को हुई थी। यह अभियान महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और समाज में उनकी भागीदारी को बढ़ाने पर केंद्रित है, जिसमें स्वास्थ्य हेल्पलाइन का शुभारंभ, 'बीसी सखी' जैसी योजनाओं से जोड़ना और पुलिस द्वारा जागरूकता कार्यक्रम चलाना शामिल है।
अभी तक के मिशन शक्ति अभियान के यदि हम पांचो चरणों की बात करें तो हम पाते हैं कि इस अभियान में महिला शक्ति को प्रशासनिक क्षेत्र में ही आगे बढ़ाने का आदर्श स्थापित किया गया है -
✒️ अमरोहा: मिशन शक्ति के तहत, एमएस सीनियर सेकेंडरी स्कूल की छात्रा निष्ठा एक दिन की थानेदार बनीं. उन्होंने महिला अपराधों पर सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया.
✒️ जौनपुर: कक्षा 10 की छात्रा दिव्या यादव ने मिशन शक्ति के तहत एक दिन के लिए थानाध्यक्ष का पद संभाला और महिला सशक्तिकरण का संदेश दिया.
✒️ शाहजहांपुर: टियारा अरोरा को एक दिन के लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) बनाया गया. उन्होंने स्वास्थ्य विभाग का निरीक्षण किया और फरियादियों की समस्याएं सुनीं.
✒️ रायबरेली (सलोन): कन्या पूर्व माध्यमिक विद्यालय की छात्रा सोनाली जोशी ने एक दिन के लिए नगर पंचायत की कार्यकारी अधिकारी (EO) का पद संभाला और बालिकाओं को सशक्त बनाने के उद्देश्य से कार्य किया.
✒️ रायबरेली (महाराजगंज): उच्च प्राथमिक विद्यालय सलेथू की कक्षा सात की छात्रा अंशिका वर्मा को एक दिन के लिए खंड शिक्षा अधिकारी (BEO) बनाया गया, और उन्होंने विभागीय योजनाओं की जानकारी ली.
✒️ मिर्जापुर: पटेहरा कला के कंपोजिट विद्यालय की कक्षा 7 की छात्रा सुनैना को एक दिन के लिए खंड विकास अधिकारी (BDO) बनाया गया. उन्होंने स्वयं सहायता समूहों को जोड़ने पर जोर दिया.
✒️ शामली : उत्तर प्रदेश सरकार के 'मिशन शक्ति' अभियान के मद्देनजर शामली जनपद में सराहनीय और अनूठी पहल करते हुए महिलाओं को सशक्त और जागरूक बनाने के लिए ज़िले की 21 प्रतिभाशाली बेटियों को एक दिन के लिए प्रशासनिक पदों की जिम्मेदारी सौंपी गई। अभियान के तहत बेटियों के उम्दा प्रदर्शन ने न केवल जनपद का मान बढ़ाया, बल्कि होनहार बेटियों ने प्रशासनिक अनुभव प्राप्त कर सशक्त भारत का चेहरा भी प्रस्तुत किया।
मिशन शक्ति अभियान उत्तर प्रदेश में अपने पांच चरण पूर्ण कर चुका है. पांचो अभियान में बेटियों को डी एम, एस पी, मुख्य चिकित्सा अधिकारी जैसे वरिष्ठ प्रशासनिक पदों की जिम्मेदारी ही सौंपी गई. ये एक सराहनीय पहल है बेटियों में शक्ति व ऊर्जा भरने के संबंध में, किन्तु ये मिशन शक्ति अभियान सम्पूर्ण नहीं कहा जा सकता जब तक कि इसमें नारी शक्ति के आरम्भ से लेकर आज तक के स्वरूप को अनदेखा कर दिया जायेगा.
नारी पर आरम्भ से लेकर आज तक दो दो परिवारों की जिम्मेदारी रही है, इसलिए उसकी शक्ति को अनदेखा या उपेक्षित किया ही नहीं जा सकता. नारी सबसे पहले गृहणी होती है,
वह ही प्रथम शिक्षिका का मानद दर्जा पाती रही है. कहा भी जाता रहा है कि एक नारी का शिक्षित होना दो परिवारों का शिक्षित होना है. सावित्री बाई फुले की जयंती 3 जनवरी को पूरा देश मनाता है और वे प्रथम शिक्षिका के रूप में सम्मान पाती आई हैं,
नारी ने समाज सेवा के क्षेत्र में भी बड़े बड़े कीर्तिमान स्थापित किये हैँ,दीदी माँ साध्वी ऋतंभरा जी, हिंदू धर्म की शिक्षाओं के महत्व और समाज के लोगों पर पड़ने वाले इनके प्रभावों पर प्रवचन देती हैं। बेटियों की जिम्मेदारी संभालती हैं और उनके घर बसाने में पूर्ण सहयोग करती हैँ. उनके द्वारा पालन पोषण प्राप्त आज बहुत सी बेटियां प्रशासनिक पदों पर विराजमान हैँ और देश की शोभा बढ़ा रही हैँ.
वकालत के क्षेत्र में झंडे गाड़ने में भी नारी पीछे नहीं हैं और बहुत पहले से ही महिला अधिवक्ता भी समाज को मिलती रही हैँ.कॉर्नेलिया सोराबजी (15 नवंबर 1866 - 6 जुलाई 1954) एक भारतीय महिला थी, जो मुम्बई विश्वविद्यालय से पहली महिला स्नातक, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में कानून का अध्ययन करने वाली पहली महिला थी(वास्तव में, किसी भी ब्रिटिश विश्वविद्यालय में अध्ययन करने वाली पहली भारतीय राष्ट्रीय, भारत में पहली महिला वकील , और भारत और ब्रिटेन में कानून का अभ्यास करने वाली पहली महिला। 2012 में, लंदन के लिंकन इन में उनकी प्रतिमा का अनावरण किया गया था।
भारत क़ृषि प्रधान देश है और भारतीय खेती मूलतः वर्षा पर निर्भर है. ये कठिन कार्य भारतीय पुरुष प्रधान समाज नारी के सहयोग के बिना करने में सक्षम नहीं है. भारत का इतिहास साक्षी है खेती के कठिन क्षेत्र में नारी के गरिमामय योगदान का और आरम्भ से लेकर आज तक नारी केवल खेत पर पति के लिए खाना लाने का ही कार्य नहीं करती रही बल्कि किसान बनकर भी अपना योगदान देने से पीछे नहीं रही है.
घर में झाडू को लक्ष्मी का दर्जा दिया गया है.यहाँ तक कि अगर गलती से झाड़ू को पैर लग जाये तो उससे माफ़ी मांगने तक की भारतीय परंपरा है. पहले महात्मा गाँधी जी द्वारा और अब प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी द्वारा झाड़ू को हाथ में लेकर स्वच्छता अभियान की शुरुआत की गई. सफाई में ही भगवान का वास होता है यही सन्देश देते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा कुम्भ आयोजन के दौरान सफाई कर्मियों के पैर भी स्वयं धोये गए. ऐसे में हम शक्ति के इस स्वरूप को अनदेखा व उपेक्षित कैसे कर सकते हैँ जबकि हम स्वयं की निजी जिंदगी में भी सफाई कर्मियों महिला के सहयोग से ही स्वच्छ वातावरण में रहने का सुख प्राप्त कर पाते हों.
राजनीति एक ऐसा क्षेत्र जिसमें आने से पुरुष भी कतराते हैँ क्योंकि यहाँ खींचतान कुछ ज्यादा होती हैँ, जिम्मेदारी बहुत ज्यादा होती है. सामान्य बैकग्राउंड के व्यक्ति का इसमें स्थान बनाना बहुत कठिन होता है किन्तु भारतीय नारी अपनी योग्यता और मेहनत के दम पर राजनीति के शीर्ष स्थानों पर काबिज होने मे सफल रही है और जनता की सेवा करने के अपने जज्बे को सदैव ईमानदारी से निभाती रही है.
और भी बहुत से दायित्व हैँ जो आज की बेटियां निभा रही हैं किन्तु मिशन शक्ति अभियान के लिए जो पद प्रशासन द्वारा चुने गए हैँ वे मात्र प्रशासनिक पद हैँ जहाँ नारी खुद निर्णय लेने का अधिकार भी नहीं रखती. एक शिक्षिका के रूप मे वह सोचने समझने की शक्ति देती है, एक समाज सेविका के रूप मे वह जीवन मे उन्नति का पथ प्रशस्त करती है, एक वकील के रूप मे वह न्याय दिलाती है, एक नेता के रूप में वह गलत के खिलाफ मजबूती से लड़ना सिखाती है, आंगनबाड़ी के रूप मे वह सरकारी योजनाओं का जनता से परिचय कराती है एक सफाईकर्मी के रूप मे वह स्वच्छता से जीना सिखाती है किन्तु इतने सब महत्वपूर्ण योगदानों के बावजूद सरकारी योजनाओं मे नारी के इन शक्ति स्वरूपों का कोई महत्व नहीं है. मिशन शक्ति के तहत किसी बेटी को यह सन्देश नहीं दिया जाता कि नारी के इनमें से किसी भी शक्ति स्वरुप को जीवन मे उतारा जाये. नहीं बताया जाता कि नारी का सबसे बड़ा शक्ति स्वरुप उसका गृहणी होना है और अगर वह एक गृहणी के रूप मे एक दिन भी अगर घर को अच्छी तरह से संभाल सके तो यह शक्ति की सच्ची पहचान होगी और अगर वह देश और समाज में सभ्यता, ईमानदारी की नस्लें तैयार कर सके तो एक सुन्दर भविष्य का निर्माण होगा, समाज और देश का भविष्य उज्ज्वल बनेगा. नारी शक्ति के दायित्व बहुत अधिक हैँ और उन्हें ध्यान में रखते हुए सरकार को मिशन शक्ति का दायरा अभियान के छठवें चरण में बढ़ाना ही होगा.
धन्यवाद 🙏🙏
द्वारा
शालिनी कौशिक
एडवोकेट
कैराना (शामली )

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