AI जिंदगी नहीं हो सकती.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 28 दिसंबर को पुलिस को निर्देश दिए कि विदेश से फंडिंग पाने वाले धर्मांतरण गिरोहों को खत्म करने के लिए AI तकनीक, साइबर निगरानी और आधुनिक संसाधनों का इस्तेमाल किया जाए। सोशल मीडिया दुरुपयोग, दुष्प्रचार और अराजकता फैलाने वालों पर त्वरित और कठोर कार्रवाई सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए. मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि
"धर्मांतरण एक गंभीर समस्या बन चुका है। उन्होंने कहा कि बलरामपुर जैसी घटनाएं बताती हैं कि धर्मांतरण के प्रयास संगठित तरीके से किए जा रहे हैं।"
➡️ बलरामपुर की धर्मान्तरण की घटना विस्तार-
बलरामपुर में धर्मांतरण की घटना अवैध धार्मिक रूपांतरण रैकेट से संबंधित है, जिसका कथित मास्टरमाइंड जलालुद्दीन उर्फ 'छंगुर बाबा' है। इस मामले में कई गंभीर आरोप सामने आए हैं और उत्तर प्रदेश एटीएस (ATS), प्रवर्तन निदेशालय (ED), और अन्य केंद्रीय एजेंसियां जांच कर रही हैं।
🌑 मुख्य विवरण:
✒️ मुख्य आरोपी: जलालुद्दीन, जिसे 'छंगुर बाबा' या 'पीर बाबा' भी कहा जाता है, को इस रैकेट का मुख्य सरगना बताया गया है।
✒️ कार्यप्रणाली: आरोप है कि छंगुर बाबा और उसके सहयोगी गरीब, कमजोर वर्गों की महिलाओं, विधवाओं और अनुसूचित जाति के लोगों को आर्थिक सहायता, शादी के वादे, या डरा-धमकाकर इस्लाम धर्म अपनाने के लिए मजबूर करते थे।
✒️ विदेशी फंडिंग: जांच में खुलासा हुआ है कि इस धर्मांतरण रैकेट को विदेशों से, खासकर मध्य पूर्व के देशों से, लगभग 100 करोड़ रुपये से अधिक की फंडिंग मिली थी, जिसे लगभग 40 बैंक खातों के माध्यम से भेजा गया था।
✒️ अन्य आरोप: पीड़ितों ने यह भी आरोप लगाया है कि धर्मांतरण के लिए "रेट लिस्ट" (दर सूची) बनाई गई थी और कुछ मामलों में नाबालिग लड़कियों को भी निशाना बनाया गया। कुछ पीड़ितों ने लव जिहाद और यौन शोषण के भी आरोप लगाए हैं।
✒️ प्रशासनिक कार्रवाई: उत्तर प्रदेश सरकार ने इस मामले में सख्त रुख अपनाते हुए मुख्य आरोपी जलालुद्दीन के अवैध निर्माण वाली संपत्ति पर बुलडोजर चलाया है।
✒️ जांच एजेंसियां: यूपी एटीएस ने जलालुद्दीन और उसके सहयोगियों को गिरफ्तार किया है। ईडी मनी लॉन्ड्रिंग और विदेशी फंडिंग की जांच कर रही है, और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) भी इस मामले को देख रही है, क्योंकि इसे राष्ट्रविरोधी साजिश माना जा रहा है।
यह घटना राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बनी हुई है, जिसमें बड़े पैमाने पर अवैध धर्मांतरण और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के आरोप शामिल हैं और इसकी गंभीरता को देखते हुए ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश पुलिस को रविवार को लखनऊ में पुलिस मुख्यालय में विशेष निर्देश जारी किए.
➡️ मुख्यमंत्री द्वारा धर्मांतरण रोकने में AI और तकनीक का इस्तेमाल करने के निर्देश-
मुख्यमंत्री ने अंतरराष्ट्रीय फंडिंग से चल रहे धर्मांतरण गिरोहों पर लगाम लगाने के लिए AI, वित्तीय लेन-देन की जांच, तकनीकी विश्लेषण और आधुनिक संसाधनों का प्रभावी उपयोग करने पर जोर दिया। उन्होंने गो-तस्करी और धर्मांतरण से जुड़े संगठित गिरोहों पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए।
धर्मांतरण (विशेषकर जबरन या धोखाधड़ी से धर्मांतरण) को नियंत्रित करने में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग एक जटिल और संवेदनशील मुद्दा है, जिसमें तकनीकी क्षमताओं के साथ-साथ नैतिक और कानूनी चिंताएँ भी शामिल हैं।
➡️ AI का संभावित उपयोग-
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पुलिस को "अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वित्त पोषित धार्मिक धर्मांतरण गिरोहों" को खत्म करने के लिए AI और आधुनिक तकनीकी उपकरणों का प्रभावी ढंग से उपयोग करने का निर्देश दिया है। AI का उपयोग मुख्य रूप से निम्नलिखित तरीकों से किया जा सकता है:
🌑 डेटा विश्लेषण:
AI बड़ी मात्रा में डेटा (जैसे वित्तीय लेनदेन, संचार रिकॉर्ड) का विश्लेषण करके धर्मांतरण में शामिल संगठित नेटवर्क या रैकेट की पहचान करने में मदद कर सकता है, खासकर यदि इसमें अवैध धन का प्रवाह शामिल हो।
🌑 सोशल मीडिया निगरानी:
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर उन गतिविधियों, फर्जी खातों या दुष्प्रचार अभियानों पर नज़र रखने के लिए AI का उपयोग किया जा सकता है जो सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने या लोगों को बरगलाने का प्रयास करते हैं।
🌑 पैटर्न पहचान:
AI संदिग्ध पैटर्न या व्यवहार की पहचान कर सकता है जो संभावित रूप से जबरन धर्मांतरण के प्रयासों का संकेत देते हैं, जिससे जांच एजेंसियों को समय पर कार्रवाई करने में मदद मिलती है।
🌑 साइबर अपराध नियंत्रण:
AI साइबर अपराधों और डीपफेक तकनीक के दुरुपयोग पर भी लगाम लगा सकता है, जिनका इस्तेमाल गलत सूचना फैलाने और लोगों को प्रभावित करने के लिए किया जा सकता है।
➡️ मुख्यमंत्री की सोशल मीडिया पर ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति-
सीएम योगी ने सोशल मीडिया के दुरुपयोग, दुष्प्रचार, डीपफेक, डार्कवेब, साइबर अपराध और आतंकी नेटवर्क को बड़ी चुनौती बताया। उन्होंने कहा कि कानून-व्यवस्था, जातीय और धार्मिक सौहार्द बिगाड़ने वाली किसी भी पोस्ट या सामग्री पर तुरंत और कठोर कार्रवाई होनी चाहिए।
आज AI हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में जबरदस्त तरीके से घुसपैठ कर रहा है ऐसे मै सरकारी स्तर पर ऐसे निर्देश कहाँ तक सही हैँ और कहाँ तक हमारी निजी जिन्दगी में दखल देने वाले हैँ, ये एक विचारणीय विषय है. इसकी चुनौतियाँ और नैतिक चिंतायें निम्न लिखित हैं-
🌑 चुनौतियाँ और नैतिक चिंताएँ-
AI के इस तरह के उपयोग से कई गंभीर नैतिक और कानूनी सवाल उठते हैं:
🌑 मानवाधिकारों का उल्लंघन:
निगरानी प्रौद्योगिकियों (जैसे चेहरे की पहचान और बायोमेट्रिक ट्रैकिंग) का उपयोग धार्मिक अल्पसंख्यकों पर नज़र रखने के लिए किया जा सकता है, जो गोपनीयता और धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन करता है।
🌑 पक्षपातपूर्ण एल्गोरिदम:
AI मॉडल में डेटा पूर्वाग्रह (algorithmic bias) हो सकता है, जिससे किसी विशेष समुदाय के खिलाफ भेदभाव या अनुचित जांच का जोखिम होता है।
🌑 निजता का अधिकार:
धार्मिक मान्यताओं और प्रथाओं पर डेटा संग्रह और विश्लेषण व्यक्तियों की निजता के अधिकार को कमजोर कर सकता है, जो स्वतंत्र रूप से अपने विश्वासों को बनाए रखने के लिए आवश्यक है।
🌑 मानवीय निर्णय:
धर्मांतरण जैसे संवेदनशील मामलों में मानवीय संबंध, सहानुभूति और संदर्भ महत्वपूर्ण होते हैं, जिन्हें AI द्वारा पूरी तरह से समझा या संभाला नहीं जा सकता है।
संक्षेप में, AI का उपयोग केवल अवैध गतिविधियों (जैसे जबरन धर्मांतरण गिरोहों या धन के दुरुपयोग) की जांच तक ही सीमित होना चाहिए, जबकि स्वैच्छिक धार्मिक स्वतंत्रता और व्यक्तिगत अधिकारों का सम्मान किया जाना चाहिए। इसके लिए मजबूत जवाबदेही ढांचे और नैतिक दिशानिर्देशों की आवश्यकता है। इसी के साथ साथ देश प्रदेश में रोजगार मुखी शिक्षा और व्यवस्था की ओर ध्यान देना होगा क्योंकि गरीबी वह दशा है जो जिंदगी को अपराध की ओर मोड़ देती है, यदि जिंदगी के पास अपनी जरूरतों को पूरा करने की व्यवस्था होगी तो शायद ये बहकावे उसे भटका नहीं सकते. AI मात्र एक तकनीक है जिंदगी उससे बहुत ऊपर है AI गलत हो सकती है किन्तु जिंदगी जो मजबूर नहीं है वह गलत नहीं हो सकती, भटक नहीं सकती. इसलिए AI को जिंदगी से दूर ही रखा जाये.
द्वारा
शालिनी कौशिक
एडवोकेट
कैराना (शामली )

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