मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें.
''तुम्हारे दर पर आने तक बहुत कमजोर होता हूँ. मगर दहलीज छू लेते ही मैं कुछ और होता हूँ.'' ''अशोक 'साहिल'जी की ये पंक्तियाँ कितनी अक्षरशः खरी उतरती हैं दोस्ती जैसे पवित्र शब्द और भावना पर .दोस्ती वह भावना है जिसके बगैर यदि मैं कहूं कि एक इन्सान की जिंदगी सिवा तन्हाई के कुछ नहीं है तो शायद अतिश्योक्ति नहीं होगी.ये सत्य है कि एक व्यक्ति जो भावनाएं एक दोस्त के साथ बाँट सकता है वह किसी के साथ नहीं बाँट सकता.दोस्त से वह अपने सुख दुःख बाँट सकता है ,मनोविनोद कर सकता है.सही परामर्श ले सकता है.लगभग सभी कुछ कर सकता है.मित्र की रक्षा ,उन्नति,उत्थान सभी कुछ एक सन्मित्र पर आधारित होते हैं - '' कराविव शरीरस्य नेत्र्योरिव पक्ष्मनी. अविचार्य प्रियं कुर्यात ,तन्मित्रं मित्रमुच्यते..'' अर्थार्त जिस प्रकार मनुष्य के दोनों हाथ शरीर की अनवरत रक्षा करते हैं उन्हें कहने की आवश्यकता नहीं होती और न कभी शरीर ही कहता है कि जब मैं पृथ्वी पर
टिप्पणियां
लेशन लिव-इन-रिलेशनी, जीने के उपरान्त |
जीने के उपरान्त, सोच क्या खोया पाया |
हरदम रहे अशांत, स्वार्थ सुख आगे आया |
त्याग समर्पण छोड़, ओढ़ ले चादर रविकर |
है समाज का कोढ़, वासना चढ़े देह पर ||
*मद्य
One Blog post: Why Live-in relation not possible in India ?
http://merisoc.blogspot.fr/2013/10/why-live-in-relation-not-possible-in.html
नई पोस्ट वो दूल्हा....
लेटेस्ट हाइगा नॉ. २