साफ़ हो गया अंतर राहुल-अरविन्द का
आख़िरकार साफ़ हो गया कि दिल्ली में ''आप''पार्टी सरकार बनाएगी और उसके मुखिया होंगे 'अरविन्द केजरीवाल 'और एक यही बात साफ कर गयी 'अंतर राहुल गांधी व् अरविन्द केजरीवाल का ',कहने वाले इस बात पर यही कहेंगें कि राहुल गांधी में योग्यता नहीं नेतृत्व करने की और अरविन्द केजरीवाल में क्षमता है सत्ता सँभालने की ,नहीं दिखेगी उन्हें वह 'लालसा 'जो अरविन्द केजरीवाल को देश की राजनीती में प्रमुखता दिलाने वाले अन्ना से भी उन्हें अलग कर गयी और जिसके कारण इनके मतभेद इतने गहरे हुए कि अन्ना ने उसी लोकपाल को मान्यता देते हुए अपना आंदोलन समाप्त कर दिया जिसे उन्ही के किसी समय साथी रहे अरविन्द केजरीवाल ने ''जोकपाल बिल ''करार दिया .
आज जब लोकसभा चुनाव सिर पर हैं और 'आप'को दिल्ली की ही नहीं सारे देश की जनता नई उम्मीदों से देख रही है ऐसे में ये कयास लगाये जा रहे थे कि शायद अरविन्द दिल्ली के मुख्यमन्त्री का सेहरा आप के किसी अन्य नेता के सिर सजायेंगे किन्तु ऐसा नहीं हुआ वैसे भी भगवान राम ने भी कहा है कि ''राजमद केवल मेरे भरत को नहीं छू सकता '' फिर ऐसा मौका बार बार हाथ आये ये सम्भव भी तो नहीं है स्वयं अरविन्द केजरीवाल भी इस जनतंत्र को नौटंकी कह चुके हैं और वे स्वयं २६ दिसंबर को अब तक लगातार कई नौटंकी करने के बाद एक और नौटंकी करने के लिए आगे बढ़ लिए हैं रामलीला मैदान में शपथ ग्रहण करने .
स्वयं को जनता की पसंद कहने वाले ,जनता के कहे अनुसार करने वाले ये जनतंत्री अपना मुकाबला राहुल गांधी से करते हैं जो पिछले कितने ही वर्षों से देश के सबसे मजबूत संगठन 'कॉंग्रेस 'को देश की जनता के अनुसार बनाने व् पूर्ण रूप से जनता के हित में लगाने के लिए अपने को संगठन से ही जोड़े हुए हैं वर्ना देश का कोई भी मंत्री पद हो या प्रधानमंत्री पद उन्हें देने के लिए उनका पूरा संगठन कबसे तैयार खड़ा है किन्तु वे जानते हैं कि जनता का हित देखने के लिए उन्हें अभी यह बलिदान करना ही होगा .उनकी मंशा तो कलीम देहलवी के शब्दों में तो मात्र यही नज़र आती है -
''हमारा फ़र्ज़ है रोशन करें चराग-ए-वफ़ा ,
हमारे अपने मवाफिक हवा मिले न मिले .''
और रही विपक्षियों की घटिया उक्ति ''पैराशूट से उतरे गए तो 'ज्योतिष के रहस्य 'पुस्तक में पंडित रामप्रकाश त्रिवेदी जी के अनुसार [पेज 92 ]-.''.....योग्यतम व् कुशलतम ज्योतिषी द्वारा की गयी भविष्यवाणी भी अधिकतम ६०% या ७०% तक ही सही हो सकती है क्योंकि किसी व्यक्ति के भाग्य के १०% अंश को उसके पूर्वज प्रभावित करते हैं .......'' तो राहुल गांधी को उनके पूर्वजों के द्वारा देश हित में किये गए कार्यों का लाभ मिलना लाज़मी है और उस प्रभाव को जो उन्हें अपने पूर्वजों से मिला है आजकल के आये-गए ये नेता अपनी असभ्य भाषा के प्रयोग द्वारा ''फूंक से नहीं उड़ा सकते '' क्योंकि ये उस सीमेंट की तरह है जिसके लिए कहा जाता है कि
''इस सीमेंट में जान है .''
शालिनी कौशिक
[कौशल ]
टिप्पणियाँ