'' न कोशिश ये कभी करना .''


दुखाऊँ दिल किसी का मैं -न कोशिश ये कभी करना ,
बहाऊँ आंसूं उसके मैं -न कोशिश ये कभी करना.

नहीं ला सकते हो जब तुम किसी के जीवन में सुख चैन ,
करूँ महरूम फ़रहत से-न कोशिश ये कभी करना .

चाहत जब किसी की तुम नहीं पूरी हो कर सकते ,
करो सब जो कहूं तुमसे-न कोशिश ये कभी करना .

किसी के ख्वाबों को परवान नहीं हो तुम चढ़ा सकते ,
हक़ीकत इसको दिखलाऊँ-न कोशिश ये कभी करना .

ज़िस्म में मुर्दे की जब तुम सांसे ला नहीं सकते ,
बनाऊं लाश जिंदा को-न कोशिश ये कभी करना .

समझ लो ''शालिनी ''तुम ये कहे ये जिंदगी पैहम ,
तजुर्बें मेरे अपनाएं-न कोशिश ये कभी करना .
                                  शालिनी कौशिक 
                                       [कौशल]

टिप्पणियाँ

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (28-03-2016) को "होली तो अब होली" (चर्चा अंक - 2293) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
Shikha Kaushik ने कहा…
bahut sundar abhivyakti .badhai

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