माइक्रो वेडिंग प्लान - वक्त की जरूरत
विवाह एक पारंपरिक सार्वजनिक समारोहों के रूप में प्राचीन समय से भारत में मनाया जाता रहा है. अपनी खुशी में अपने सभी प्रियजनों को शामिल किया जाना इसके पीछे की खास वजहों में से एक है किन्तु सबसे मुख्य कारण जो इसके पीछे है वह है समाज के एक बड़े वर्ग को यह जानकारी होना कि एक लड़का और एक लड़की इस तरह से विवाह बंधन में बंधने जा रहे हैं और इन्हें आज से समाज पति पत्नि के रूप में मान्यता प्रदान करे. ये परंपरा यूँ ही चलती आ रही थी किन्तु 2020 में पूरे विश्व में कोरोना के प्रसार को देखते हुए लोगों के आपस में मिलने पर प्रतिबन्ध लगाया गया. कोरोना कर्फ्यू घोषित किया गया, तब विवाह को केवल पारिवारिक संस्था तक ही सीमित कर दिया गया. फिर धीरे धीरे देश कोरोना के कहर से बाहर आया किन्तु कोरोना के समय में लगी बहुत सी आदतों को नहीं छोड़ पाया, जैसे कि चेहरे पर मास्क लगा कर घर से बाहर निकलना, बाहर से घर में आकर साबुन से हाथ पांव धोना आदि और इन्हीं आदतों में एक आदत आज भारतीय समाज में व्याप्त होती जा रही है विवाह समारोह का बेहद संक्षेप में आयोजन, जिसे नाम दिया गया है - "माइक्रो वेडिंग"
कोरोना काल में माइक्रो वेडिंग को वह प्रसिद्धि नहीं मिली जो अभी हाल ही में कुछ सेलिब्रिटी द्वारा विवाह के इस ढंग को अपनाए जाने से मिली है जिसमें सबसे प्रमुख हैं - भारत के स्टार जैवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा - दो बार के ओलंपिक मेडल विजेता और भारत के स्टार जैवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा ने शादी की, या कहें कि गुपचुप शादी की । 17 जनवरी 2025 को परिवार के बेहद करीबी रिश्तेदारों और अपने चुनिंदा दोस्तों के बीच 27 वर्षीय नीरज चोपड़ा ने हिमानी मोर के संग सात फेरे लिए। नीरज चोपड़ा की दुल्हन का नाम हिमानी मोर है। सोशल मीडिया पर शादी की फोटोज नीरज चोपड़ा द्वारा खुद शेयर की गई और इस तरह एक सेलिब्रिटी का विवाह यूँ "माइक्रो वेडिंग" की सुर्खियों में शामिल हो गया.
आज की भीड़भाड़ भरी जिंदगी में "माइक्रो वेडिंग" पसंद की जा रही है कुछ ज्यादा भीड़ भाड़ से बचने के लिए और कुछ अभी हाल ही में भीड़ भाड़ भरे वातावरण में हुए विवाह समारोहों में कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा किए गए अश्लील और आपराधिक कार्यों से बचने के लिए. सभ्यता और सुरक्षित सामाजिक परिदृश्य को देखते हुए" माइक्रो वेडिंग" का प्रसार आज धीरे धीरे भारतीय समाज में स्वीकार किया जा रहा है.
➡️ माइक्रो वेडिंग क्या है -
माइक्रो वेडिंग एक छोटी और अंतरंग शादी होती है जिसमें आमतौर पर 40 से 50 मेहमानों को ही आमंत्रित किया जाता है. जो लगभग परिवार के सदस्य या फिर परिवार के बेहद करीबी मित्र या रिश्तेदार ही होते हैं.
जिस प्रकार बड़े और भव्य विवाह समारोहों के लिए बड़े मेरिज होम लिए जाते हैं, बड़ी संख्या में बारातियों और घर के अतिथियों के स्वागत हेतु बड़े बड़े पकवान आदि के प्रबन्ध किए जाते हैं ऐसे में माइक्रो वेडिंग उन बड़े और भव्य विवाह समारोहों से अधिक निजी और कम खर्चीली होती है और परिवार की जेब पर भारी नहीं पड़ती है.
पारंपरिक रीति रिवाजों का पालन करने वाली माइक्रो वेडिंग में दूल्हा और दुल्हन पारंपरिक विवाह समारोह की सभी रस्मों को निभाते हैं क्योंकि इसमें केवल अतिथियों की संख्या को ही कम किया जाता है, शादी की रस्मों-रिवाजों में कोई कमी नहीं की जाती, जिसके कारण न तो परिवार को बहुत अधिक स्वागत-सम्मान के कार्यों में व्यस्त होना पड़ता है और न ही दूल्हा दुल्हन को अधिक औपचारिक होना पड़ता है. ऐसे में सहजता से पंडित विधि विधान से सभी रस्मों को दूल्हा दुल्हन को सही तरीके से समझा पाता है और परिवार भी अन्य कार्यों में उलझने से बचकर एक नए जीवन की शुरुआत में अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान बिना थके हँसी खुशी दे पाता है.
➡️अतिथियों का चयन -
माइक्रो वेडिंग में अतिथि चयन बहुत ही सोच समझकर परिवार के खास और करीबी मित्रों या रिश्तेदारों का किया जाता है जिससे अनावश्यक भीड़ भाड़ भी नहीं होती है और एक भारी भरकम समारोह शांति पूर्वक हँसी खुशी के माहौल में सम्मान पूर्वक सम्पन्न होता है.
➡️ माइक्रो वेडिंग प्लान-
माइक्रो वेडिंग प्लान उसका प्रबंधन एक आसान कार्य है, क्योंकि इसमें आमंत्रित अतिथि जानकारी के होते हैं और उनकी रुचि, आदतें लगभग पता होती हैं. विवाह सम्पन्न कराने वाले पंडित जी के तौर तरीके सब वे ही स्वयं बता देते हैं. स्वागत सत्कार सब अपनी समझ से किया जाता है और अधिक भीड़ भाड़ न होने पर हर अतिथि का व्यक्तिगत रूप से आगे बढ़कर सम्मान किस तरह करना है यह सब प्लान सुविधाजनक रूप से तैयार कर लिया जाता है.
➡️ माइक्रो वेडिंग व्यय-
विवाह समारोहों का सबसे बड़ा खर्च अतिथियों का स्वागत सम्मान ही होता है. अब इस वेडिंग प्लान में अतिथियों की संख्या ही काफी कम होती है ऐसे में ये वेडिंग प्लान काफी किफायती होता है और बहुत से झंझटों से बचाने वाला होता है जो कि अधिक भीड़ भाड़ से स्वयं ही सृजित हो जाते हैं.
➡️ प्रदर्शन-
माइक्रो वेडिंग्स की लोकप्रियता आज तेजी से बढ़ती जा रही है. आए दिन विवाह समारोह में होने वाले भौंडे प्रदर्शनों और आपराधिक गतिविधियों को देखते हुए विवाह समारोह को निजी रूप से आयोजित किए जाने की प्रवृत्ति बढ़ती ही जा रही है.
➡️ माइक्रो वेडिंग भारत में-
भारत में माइक्रो वेडिंग का प्रचलन बढ़ा है, भारत में परिवार सूक्ष्म और अधिक व्यक्तिगत समारोहों का विकल्प चुन रहे हैं और आए दिन विवाह समारोह में होने वाले तमाशाई प्रदर्शनों से बचने के लिए माइक्रो वेडिंग प्लान को अपना रहे हैं.
➡️माइक्रो वेडिंग आयोजन के प्रकार-
* चौखट पर बारात का स्वागत - पहले शादी घरों में ही आयोजित की जाती थी, उसमें एक धारणा घर की चौखट को लेकर भी थी. बेटी की बारात का स्वागत घर की चौखट पर ही किया जाता था ताकि चौखट कुंवारी न रह जाए और फिर फेरे आदि घर में ही हवन कुंड के चारों ओर लिए जाते थे, ये भारत में ही पूर्व में माइक्रो वेडिंग प्लान का एक तरीका था, जिसमें परिवार के सदस्यों को ही सम्मिलित किया जाता था.
*अभिनेत्री श्वेता त्रिपाठी की माइक्रो वेडिंग: अभिनेत्री श्वेता त्रिपाठी की शादी भी माइक्रो वेडिंग प्लान के अनुसार की गई शादी है उन्होंने गोवा में माइक्रो वेडिंग की जिसमें छोटे, अंतरंग समारोहों का चलन प्रचलित किया गया.
* बैक डोर विवाह : यदि परिवार के मकान का परिसर इतना बड़ा है तो वहां भी शादी का आयोजन किया जा सकता है प्राचीन समय में घरों में ही विवाह आयोजित होते रहे हैं और सूक्ष्म विवाह का आयोजन करने का ये एक शानदार और कम खर्चीला तरीका रहे हैं.
➡️ माइक्रो वेडिंग से लाभ-
आप जितनी ज्यादा भीड़ में होंगे उतने ही ज्यादा औपचारिक होंगे. भीड़ में आप सामान्य नहीं रह सकते हैं तो आत्मीयता तो दूर की बात है. माइक्रो वेडिंग प्लान विवाह को आत्मीय जनों को करीब ला रहा है. जब आप अपने लोगों से बिना किसी झंझट के, बिना किसी उलझन के मिलते हैं तो आपस में प्यार बढता है और तब आप एक दूसरे की समस्या को सही से समझते हैं और समझते हुए एक दूसरे की मदद के लिए कन्धे से कन्धा मिलाकर खड़े होते हैं ऐसे में विवाह के दोनों पक्षकारों पर भी इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है और इस तरह से परिवार की मजबूती नए पति पत्नि बनने जा रहे दूल्हा दुल्हन के सुन्दर जीवन की नींव सृजित करती है.
➡️ कम बोझ-कम तनाव-
विवाह में सबसे बड़ा तनाव खर्च का होता है और माइक्रो वेडिंग प्लान में कम खर्च होता है जिससे कम बोझ पड़ता है और इसलिए तनाव भी कम ही रहता है.
➡️ अवगुण -
परिवार समाज की एक छोटी सी इकाई है और समाज में परिवार से जुड़े बहुत से लोग होते हैं, बहुत से ऐसे लोग होते हैं जिनके विवाह आदि समारोह में परिवार सम्मिलित होता आ रहा है किन्तु न तो वह आपके परिवार में से हैं और न ही बेहद करीबियों में से, वे केवल समाज से जुड़े होने के कारण परिवार को अपने यहां आमंत्रित करते रहे हैं ऐसे में वे निराश हो सकते हैं जब परिवार द्वारा उन्हें अपने यहां आयोजित समारोह में सम्मिलित न किया जाए.
➡️ समाज से पलायन-
माइक्रो वेडिंग प्लान को आज सामजिक रीति रिवाज से पलायन के रूप में भी देखा जा रहा है. इसे यह कहकर भी प्रचारित किया जा रहा है कि परिवार गुपचुप तरीके से इस वेडिंग प्लान को अपनाकर समाज से कुछ छिपा रहा है.
इस तरह से आज माइक्रो वेडिंग प्लान भारत में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा है. विवाह समारोह में बढ़ते जा रहे खर्च परिवार के लिए एक बड़ी समस्या बनते जा रहे हैं. इसमे लड़के पक्ष द्वारा असीमित दहेज की मांग को तो कानून द्वारा नियंत्रित किए जाने की कोशिश की जाती है हालांकि वह भी आज तक सम्भव नहीं हो पाई है और असंख्य बेटियां दहेज की बलि चढ़ गई हैं. ऐसे में ये विवाह समारोह के आयोजन भी परिवार के लिए कर्ज में दबने का बहुत बड़ा कारण बन गए हैं जिन पर समाज का दबाव है और कानून परिवार की इस मामले में कोई मदद करने के लिए आज तक आगे नहीं बढ़ पाया है. विवाह समारोहों में अश्लील और आपराधिक गतिविधियों के बढ़ते जा रहे प्रभाव को देखते हुए कुछ समझदार परिवारों द्वारा "माइक्रो वेडिंग प्लान" को अपनाया गया है जो आज धीरे धीरे भारत में प्रभावी हो रहा है. परिवार और करीबी मित्र इस विवाह संस्करण में शामिल कर नव युगल के विवाह के साक्षी बनाए जा सकते हैं और अन्य प्रियजनों को परिवार द्वारा मिष्ठान का वितरण कर अपनी खुशियों का साझीदार बनाया जा सकता है. समझदारी इसी में है कि बढ़ती महंगाई और अनैतिक गतिविधियों को देखते हुए विवाह जैसे पवित्र समारोह को निजी और अंतरंग बनाया जाए और दूल्हा दुल्हन को नव जीवन में उल्लासपूर्ण वातावरण में प्रवेश कराया जाए.
द्वारा
शालिनी कौशिक
एडवोकेट
कैराना (शामली)
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