महिला अधिवक्ताओं की उपेक्षा

 


शामली जिले में 8 मार्च 2025 को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस बड़े उत्साह के साथ मनाया गया जिसमें कहीं महिला न्यायाधीशों को, कहीं महिला प्रशासनिक अधिकारी को, कहीं समाज सेविकाओं को, कहीं महिला साहित्यकारों को, कहीं आँगन बाड़ी कार्यकर्तियो को, कहीं शिक्षिकाओं को, कहीं महिला खिलाड़ियों को सम्मानित किया गया, स्पष्ट रूप से महिला शक्ति के रूप में शामली जिले में इन्हीं के योगदान को महत्व दिया गया. यह एक आश्चर्य की बात ही है कि न्याय की पैरोकार महिला अधिवक्ताओं को प्रशासन द्वारा तो छोड़िए उनकी बार एसोसिएशन द्वारा भी सम्मान के योग्य नहीं समझा गया. जहां एक तरफ महिला अधिवक्ताओं की न्याय के प्रति प्रतिबद्धता के कारण उन पर हमले बढ़े हैं, उनके प्रति मुवक्किलों का विश्वास बढ़ा है वहीं उनका सम्मान करने को लेकर यह उपेक्षा न्याय नहीं कही जा सकती है. इस समय शामली जिले में लगभग 50 महिला अधिवक्ता आम आदमी को न्याय दिलाने के लिए प्रयासरत हैं वहीं ऊन तहसील में मात्र एक महिला अधिवक्ता बहुत सी विपरीत परिस्थितियों का सामना करते हुए आम जनता को न्याय दिला रही है. ऐसे में महिला अधिवक्ताओं के लिए प्रशासन के साथ साथ उनकी बार एसोसिएशन का उपेक्षित रवैय्या किसी भी तरह से महिला दिवस आयोजन को न्यायोचित नहीं ठहराता. यह केवल एक ही संकेत देता है कि अभी महिला अधिवक्ताओं को पुरुष वकीलों की सत्ता की दीवारों को भेदने के लिए कड़े संघर्ष की आवश्यकता है.

शालिनी कौशिक

एडवोकेट

कैराना (शामली)

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