रुखसार-ए-सत्ता ने तुम्हें बीमार किया है .



 ये राहें तुम्हें कभी तन्हा न मिलेंगीं ,
तुमने इन्हें फरेबों से गुलज़ार किया है .


ताजिंदगी करते रहे हम खिदमतें जिनकी ,
फरफंद से अपने हमें बेजार किया है .


कायम थी सल्तनत कभी इस घर में हमारी ,

मुख़्तार बना तुमको खुद लाचार किया है .


करते कभी खुशामदें तुम बैठ हमारी ,
हमने ही तुम्हें सिर पे यूँ सवार किया है .


एहसान फरामोश नहीं हम तेरे जैसे ,

बनेंगे हमसफ़र तेरे इकरार किया है .


गुर्ग आशनाई से भरे भले रहें हो संग ,
रुखसार-ए-सत्ता ने तुम्हें बीमार किया है .


फबती उड़ाए ''शालिनी''करतूतों पर इनकी ,
हमदर्दों को मुखौटों ने बेकार किया है .

शब्दार्थ ;गुलज़ार-चहल-पहल वाला ,ताजिंदगी-आजीवन ,गुर्ग आशनाई   -कपटपूर्ण मित्रता ,फबती उड़ाए -चुटकी लेना .

शालिनी कौशिक 

      [कौशल]



टिप्पणियाँ

Rajendra kumar ने कहा…
आपकी यह रचना कल गुरुवार (13-06-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
बहुत ख़ूब और दमदार
बहुत उम्दा ग़ज़ल ,बहुत बढ़िया
अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
latest post: प्रेम- पहेली
LATEST POST जन्म ,मृत्यु और मोक्ष !
क्या बात, बहुत सुंदर

मीडिया के भीतर की बुराई जाननी है, फिर तो जरूर पढिए ये लेख ।
हमारे दूसरे ब्लाग TV स्टेशन पर। " ABP न्यूज : ये कैसा ब्रेकिंग न्यूज ! "
http://tvstationlive.blogspot.in/2013/06/abp.html
nayee dunia ने कहा…
बहुत सुन्दर .....एक कटाक्ष ,एक दर्द ...साथ -साथ बयान किया है आपने
Ramakant Singh ने कहा…
एहसान फरामोश नहीं हम तेरे जैसे ,

बनेंगे हमसफ़र तेरे इकरार किया है .

दर्द किसके दिल का लफ़्ज़ों में उतर आया है
Bhola-Krishna ने कहा…
बहुत खूब ! अति सरस रचना !
कब तक चलेंगे साथ केवल राम ही जानें फिलहाल साथ चलने का इकरार किया है = आगे आगे देखिये होता है क्या ?
Kailash Sharma ने कहा…
बहुत ख़ूबसूरत सटीक प्रस्तुति....
Unknown ने कहा…
tir sahi nishane par, sundar vyng
vishvnath ने कहा…
बिलकुल सही कहा आपने ,,अच्छा लिखा है .

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