phir aa gayee 6 december
[शालिनी कौशिक एडवोकेट मुज़फ्फरनगर ] |
तब मैं छोटी थी और अगले दिन परीक्षा होने के कारण उसकी तैयारी में जुटी थी और यह बात सारे में थी कि यदि मस्जिद टूट जाती है तो हमारी परीक्षा टल जाएगी इसीलिए चाह रही थी कि ऐसा हो जाये किन्तु आज जब मैं उस वक़्त कि बात सोचती हूँ तो वास्तव में मन यही सोचता है कि भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश में क्या ऐसी घटना होनी चाहिए थी? भारत सदैव से हिन्दू-मुस्लिम भाई-भाई का गीत गाता रहा है और इस भाईचारे के दम पर ही भारत से ब्रिटिश ताक़त को भगाया जा सका था.हालाँकि अंग्रेजो की फूट डालो शासन करो की नीति से हिंदुस्तान भारत-पाकिस्तान में बाँट गया किन्तु इससे हिन्दू मुस्लिम प्रेम पर कोई फर्क नहीं पड़ा.आज भी हिन्दू मुस्लिम भारत में अपने सभी कार्यों में मिलजुल कर साथ निभाते हैं.हर पर्व पर जब तक दोनों की भागीदारी ना हो तब तक उसमे पूर्णता नहीं आती.कहीं दशहरे का रावन का पुतला मुसलमान बनाते हैं तो कहीं ईद की मिठाई हिन्दू बनाते हैं.हमारे देश में बड़े लोगों द्वारा हमेशा भाईचारे का सन्देश दिया जाता है और बच्चों को मिलजुल कर रहना सिखाया जाता है ऐसे में भले ही जोश में ऐसी घटना घटित हो गयी हो किन्तु होश में हम सब एक हैं.कविवर सीताराम शर्मा के शब्दों में मैं इस मौके पर केवल यही कहूँगी---
"आ मिटा दें वह स्याही,जो दिलों पे आ गयी है,
मैं तुझे गले लगा लूं तू मुझे गले लगा ले,
मेरे दोस्त दोस्ती की वह करें मिसाल कायम,
तेरी ईद मैं मनाऊँ मेरी होली तू मना ले.
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मैं तुझे गले लगा लूं तू मुझे गले लगा ले,
मेरे दोस्त दोस्ती की वह करें मिसाल कायम,
तेरी ईद मैं मनाऊँ मेरी होली तू मना ले.
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एकता के लिए आपने बहुत सुन्दर संदेश दिया है!