हिन्दू मुस्लिम एकता की मिसाल-फ़तेह खां का मकबरा

ऐतिहासिक दृष्टिकोण से मुज़फ्फरनगर जिले का इतिहास काफी उल्लेखनीय है एक ओर जहाँ मुज़फ्फरनगर में किरण ''कर्ण नगरी ''के नाम से विख्यात है वहीँ कांधला''कर्ण दल'' का अपभ्रंश है.हिन्दू मुस्लिम एकता के लिए मुज़फ्फरनगर जिला मिसाल है.शामली तहसील जो आज जिला बनने  की ओर  अग्रसर है इतिहास के पन्नो में अपनी एक अलग पहचान रखता है.देखने वाले इसे पुरानी दिल्ली की संज्ञा देते हैं वहीँ धार्मिक रूप से भी इसका अपना एक विशेष स्थान है.
     शामली कस्बे के बाबरी थाना क्षेत्र के गाँव बंतिखेरा  में   हिन्दू मुस्लिम एकता का प्रतीक ''शेरशाह सूरी के सिपहसालार फ़तेह खां का मकबरा है.''
      

बंतिखेरा   एक  ऐसा गाँव जो बन काटकर बसाया गया और इसलिए बंतिखेरा  नाम से प्रसिद्द हुआ.करीब ३०० साल पुराने इस गाँव में एक  प्राचीन गुम्बद हैजिसके बारे में यह कहा जाता है कि ये गुम्बद बादशाह शेरशाह सूरी के सिपहसालार फ़तेह खां का मकबरा है जिसकी यहाँ आकर मृत्यु हो गयी थी और बादशाह द्वारा उसकी याद में यह मकबरा बनवाया  गया था.
        जहाँ तक एतिहासिक तथ्यों की बात है तो शेरशाह सूरी का शासन सन १५४० इसवी से १५४५ इसवी तक रहने का अनुमान है तो ऐसा माना  जाता है कि यह गुम्बद भी इसी बीच में बनवाया गया होगा..गाँव के बुजुर्गों का मानना है कि आज़ादी से पूर्व दोनों समुदायों के लोग मन्नत मांगकर चढ़ावा  चढाते थे .प्रतिदिन शाम को वहां दिया जलाते थे.सन १९४७ में हिंदुस्तान पाकिस्तान का बंटवारा होने के साथ ही इसमें फर्क आया .बताया जाता है कि कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा गुम्बद में स्थित कब्र को बिस्मार कर दिया गया लेकिन फिर  भी यहाँ तीज त्यौहार  को लोग  आते  रहते  हैं .
             करीब २ दशक पूर्व पुरातत्व विभाग ने  इस गुम्बद को अपने कब्ज़े में लिया और इस पर ताला  डाल  दिया.यहाँ चपरासी भी नियुक्त  किया गया जिसकी लगभग 15 वर्ष  पूर्व मृत्यु हो गयी.गुम्बद बदहाली  के कगार  पर है और आस  पास  की खाली पड़ी   भूमि पर ग्रामीणों  ने कब्ज़ा कर लिया है और पुरातत्व विभाग पूरी  तरह  अंजान   बना   हुआ है.इस तरह  मुगलकालीन    संस्कृति   का एक  अंश   विलुप्तता    की ओर  अग्रसर     है.

टिप्पणियाँ

अगर इस बात के प्रमाणिक तथ्य हो की ये फ़तेह खा का मकबरा ही था..किसी अन्य स्थल को इस मकबरे का नाम नहीं दिया गया है तो भारत सरकार और हम सभी को चाहिए की पुरातात्विक रूप से महत्ता वाली इस ईमारत के जीर्णोधार हेतु आवश्यक कदम उठायें...
सुन्दर जानकारी..
kshama ने कहा…
Bahut badhiya jaankaaree dee aapne!
मनोज कुमार ने कहा…
ऐतिहासिक तथ्यों की जानकारी देता यह आलेख काफ़ी प्रशंसनीय है।
Patali-The-Village ने कहा…
सुन्दर जानकारी|धन्यवाद|
Shikha Kaushik ने कहा…
बहुत बढ़िया एतिहासिक जानकारी देती पोस्ट आभार
पुरातत्व के हिसाब से ठीक है... लेकिन भारत में व्याप्त यह सहिष्णुता बाकी देशॊं में क्यों नहीं पाई जाती और दूसरे देशों में इसे बढ़ाने के प्रयास क्यों नहीं किये जाते...
उम्मतें ने कहा…
पुरातात्विक महत्त्व के स्मारकों को संरक्षित ज़रूर किया जाना चाहिए !
Rajnish tripathi ने कहा…
बहुत बढिया लिखा है आप को बधाई हो...हा हमें इस तहज़ीब पर एक शेर याद आया... हम नमाज़ पढ़ते है गंगा में वजू करके...

आप कभी हमारे ब्लॉग पर दस्तखत करे हमें अच्छा लगेगा।
Sawai Singh Rajpurohit ने कहा…
बहुत ही सुंदर जानकारी

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"सुगना फाऊंडेशन जोधपुर" "हिंदी ब्लॉगर्स फ़ोरम" "ब्लॉग की ख़बरें" और"आज का आगरा" ब्लॉग की तरफ से सभी मित्रो और पाठको को " "भगवान महावीर जयन्ति"" की बहुत बहुत शुभकामनाये !

सवाई सिंह राजपुरोहित
Kunwar Kusumesh ने कहा…
very informative and nice post.
Patali-The-Village ने कहा…
बहुत बढ़िया एतिहासिक जानकारी |धन्यवाद|
हरीश सिंह ने कहा…
बहुत अच्छी पोस्ट, शुभकामना, मैं सभी धर्मो को सम्मान देता हूँ, जिस तरह मुसलमान अपने धर्म के प्रति समर्पित है, उसी तरह हिन्दू भी समर्पित है. यदि समाज में प्रेम,आपसी सौहार्द और समरसता लानी है तो सभी के भावनाओ का सम्मान करना होगा.
यहाँ भी आये. और अपने विचार अवश्य व्यक्त करें ताकि धार्मिक विवादों पर अंकुश लगाया जा सके.,
मुस्लिम ब्लोगर यह बताएं क्या यह पोस्ट हिन्दुओ के भावनाओ पर कुठाराघात नहीं करती.
रोचक और प्रेरक जानकारी के लिए आभार।
यह एकता सुदृढ़ हो , यही कामना है।
hamarivani ने कहा…
अच्छे है आपके विचार, ओरो के ब्लॉग को follow करके या कमेन्ट देकर उनका होसला बढाए ....
adil farsi ने कहा…
jankari ke liye .badhai
Asha Lata Saxena ने कहा…
नई जानकारी मिली |अच्छी पोस्ट
आशा

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