यह चिंगारी मज़हब की."

यह चिंगारी मज़हब की."


 

  "स्वयं सवारों को खाती है,
         गलत सवारी मज़हब की.
 ऐसा  न हो देश जला दे,
     यह चिंगारी मज़हब की."
          आज राजनीति में सबसे ज्यादा प्रमुखता पा रहा है "धर्म-जाति का मुद्दा".आज वोट पाने के  लिए राजनेता जिस मुद्दे को सर्वाधिक भुना रहे हैं वह यही है और इसी मुद्दे को सिरमौर बना आज सपा उत्तर प्रदेश में सत्ता पाने में सफल रही है और ये उसकी बड़ी बात है कि वह सत्ता पाने के बाद भी अपने वादे को भूली नहीं है और इसी अहसानमंदगी का सबूत है सपा के सत्तासीन होते ही  उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद पर आसीन होने  वाले 33 वें  मुख्यमंत्री माननीय अखिलेश यादव जी द्वारा मुस्लिम बालिकाओं को कक्षा १० पास  करने पर तीस हज़ार के अनुदान की घोषणा .घोषणा प्रशंसनीय है क्योंकि हम सभी देखते हैं कि मुस्लिम बालिकाएं शिक्षा के क्षेत्र में उतनी  आगे नहीं जा पा रही हैं जितनी आगे अन्य धर्मों की बालिकाएं पहुँच रही हैं किन्तु यदि यह घोषणा सभी धर्मों की बालिकाओं के लिए की जाती तो इसकी महत्ता चार गुनी  हो जाती क्योंकि हमारे क्षेत्र में भी बहुत सी अन्य धर्मों की बालिकाएं ऐसी हैं जो आर्थिक कमी के कारण योग्य होते हुए भी बी.एड.करने से वंचित  हो रही हैं .आज उत्तर प्रदेश को विकास के रास्ते पर आगे बढ़ाने के लिए सत्ता को धर्म जाति के फेर से बाहर निकलना होगा क्योंकि ये मुद्दे विकास को बाधित कर देते हैं .आज जो सहायता मुख्यमंत्री केवल मुस्लिम बालिकाओं को दे रहे हैं उसकी हकदार सभी धर्मों जातियों की  योग्य बालिकाएं हैं भले ही उनके क्षेत्र से या घर से मुख्यमंत्री के दल को वोट न मिली हों क्योंकि अब वे  सरकार हैं और अब उन्हें इन  छोटी बातों को दरकिनार कर सभी को साथ लेकर आगे बढ़ना चाहिए.क्योंकि वैसे  भी एक  शायर कह ही गए हैं-
"दबी आवाज़ को गर ढंग से उभरा न गया,
    सूने आँगन को गर ढंग से बुहारा  न गया,
ऐ!सियासत के सरपरस्तों ज़रा गौर  से सुन लो ,
  जलजला आने को है गर उनको पुकारा न गया."
          
 

             शालिनी  कौशिक [कौशल ]
         

टिप्पणियाँ

Shikha Kaushik ने कहा…
aapne bilkul thheek kaha hai aaj rajneeti me jati-dharm sabse bada mudda ban gaya hai .sabko sochna hoga ki aakhir iska bhavishy kya hai ?
sarthak post .aabhar
kshama ने कहा…
Bilkul sahee kah rahee hain aap!
सदा ने कहा…
बहुत सही ।
उम्मतें ने कहा…
दबे कुचले और वंचित लोग चाहे किसी भी धर्म के हों उनकी सहायता ज़रूर की जानी चाहिये !
सबको बिना भेदभाव समान रूप से आगे बढ़ने का मौक़ा देना ही सच्चे लोकतंत्र की निशानी है !
कविता रावत ने कहा…
वोट के लिए घोषणा तो सभी ऐसे कर लेते हैं जैसे बच्चों का कोई खेल हो ..लेकिन करनी और कथनी देख कर भी फिर से वही ढ़ाक के तीन पात देखने की शायद जनता आदी हो चली है ..
सियासतदारों को खबरदार करती सुन्दर जागरूक प्रस्तुति अच्छी लगी ..
रविकर ने कहा…
लोकतंत्री-बिडम्बना, संख्याबल का खेल।
जाति-धर्म के बैंक से, चलती सत्ता रेल ।

चलती सत्ता रेल, लूट-लो नहीं झमेला ।
कभी न होगी जेल, जमा भेड़ों का रेला ।

नब्बे फीसद वोट, मिले मुस्लिम के दीदी ।
देते तीस-हजार, इसी से सपा खरीदी ।
रविकर ने कहा…
लोकतंत्री-बिडम्बना, संख्याबल का खेल।
जाति-धर्म के बैंक से, चलती सत्ता रेल ।

चलती सत्ता रेल, लूट-लो नहीं झमेला ।
कभी न होगी जेल, जमा भेड़ों का रेला ।

नब्बे फीसद वोट, मिले मुस्लिम के दीदी ।
देते तीस-हजार, इसी से सपा खरीदी ।
Sunil Kumar ने कहा…
आपसे सहमत सही बात मगर यह नेता कब समझेंगे
स्वयं सवारों को खाती है
गलत सवारी मज़हब की.
ऐसा न हो देश जला दे,
यह चिंगारी मज़हब की."

शालिनी जी आपने सही कहा मिया आपसे सहमत हूँ
Atul Shrivastava ने कहा…
सार्थक पोस्‍ट।
Udan Tashtari ने कहा…
एकदम सटीक!!
udaya veer singh ने कहा…
सियासत का किसी जाति -धर्म से आत्मिक रूप से सम्बन्ध नहीं रहा है ,हाँ सियासत के लिए,जाति- धर्म को संगठित कर हथियार जरुर बनाया गया, सिमित स्वार्थ के लिए असीमित सर्वकालिक उद्देश्य को भुला दिया गया / विदेशी तो अपने उद्देश्य में सफल रहे ,भरत- वंशी अपना उद्देश्य भूल गए / हम गुलाम होते गए कभी किसी के हाथों ,कभी किसी के ....../ इतिहास गवाह है सियासत के लिए हमारे तथा-कथित बुद्ध जीवियों ने ,धर्म -परिवर्तन किये ,सत्ता के लिए समझौते किये,ना-मुनासिब रिश्ते किये , जो विश्व के इतिहास में सबसे शर्मनाक सावित हुआ / सामायिक आलेख का स्वागत ,शुक्रिया /
बहुत ही शालीन तरीके से बात कही गई है, इस पर सभी प्रांतों को गम्भीरता से विचार करना चाहिये.
Bhola-Krishna ने कहा…
सत्य कहा आपने शालिनी जी ! काश यह सच्चाई सब समझ पाते !
Bhola-Krishna ने कहा…
सत्य कहा आपने! काश अधिक से अधिक भारतीय यह समझ पाते -

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