ख्वाहिश "शालिनी" की ये..... (स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं)


तिरंगा शान है अपनी ,फ़लक पर आज फहराए ,

फतह की ये है निशानी ,फ़लक पर आज फहराए .
...
रहे महफूज़ अपना देश ,साये में सदा इसके ,

मुस्तकिल पाए बुलंदी फ़लक पर आज फहराए .
....

मिली जो आज़ादी हमको ,शरीक़ उसमे है ये भी,

शाकिर हम सभी इसके फ़लक पर आज फहराए .
...

क़सम खाई तले इसके ,भगा देंगे फिरंगी को ,

इरादों को दी मज़बूती फ़लक पर आज फहराए .
.......

शाहिद ये गुलामी का ,शाहिद ये फ़राखी का ,

हमसफ़र फिल हकीक़त में ,फ़लक पर आज फहराए .
....

वज़ूद मुल्क का अपने ,हशमत है ये हम सबका ,

पायतख्त की ये लताफत फ़लक पर आज फहराए .
......

दुनिया सिर झुकाती है रसूख देख कर इसका ,

ख्वाहिश ''शालिनी''की ये फ़लक पर आज फहराए .

.....
         शालिनी कौशिक [कौशल]














टिप्पणियाँ

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (16-08-2019) को "आजादी का पावन पर्व" (चर्चा अंक- 3429) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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स्वतन्त्रता दिवस और रक्षाबन्धन की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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