संविधान को रौंदती तानाशाही

विकिपीडिया पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार  स्थिति  ये  है -

Amendment of Article 370[edit]

Under Article 370(3), consent of state legislature and the constituent assembly of the state are also required to amend Article 370. Now the question arises, how can we amend Article 370 when the Constituent Assembly of the state no longer exists? Or whether it can be amended at all? Some jurists say it can be amended by an amendment Act under Article 368 of the Constitution and the amendment extended under Article 370(1). But it is still a mooted question .
       अर्थात 370(3) में संशोधन के लिए राज्य विधान सभा और संविधान सभा की सहमति आवश्यक होगी और इसी वजह से आज तक यह अनुच्छेद संशोधित नहीं हो पाया था क्योंकि संविधान सभा का कोई सदस्य जीवित नहीं था और इस संबंध में कोई संशोधन भी नहीं किया गया था.
           और जहाँ तक वहां की संविधान सभा की रुचिबात है तो १ मई १९५१ को जम्मू कश्मीर के लिए पृथक संविधान सभा बनाने की उद्घोषणा युवराज कर्ण सिंह ने की जो ३१ अक्टूबर १९५१ को अस्तित्व में आई और 21 अगस्त 1952 को उसने  युवराज कर्ण सिंह को सदर-ए- रियासत के रूप में निर्वाचित किया .इस प्रकार जम्मू-कश्मीर राज्य में राजाओं का शासन समाप्त  हो गया और राज्य का प्रधान निर्वाचित व्यक्ति होने लगा .संविधान सभा के गठन के उपरांत ४० हज़ार की आबादी पर एक चुनाव क्षेत्र बना .७५ चुनाव क्षेत्रों से ७५ प्रतिनिधि आये इनमे ७३ पर शेख की नॅशनल कॉन्फ्रेंस निर्विरोध जीती तथा दो पर उसने चुनाव जीते २४ सीटें पाक अधिकृत कश्मीर के लिए सुरक्षित छोड़ी गयी जो अभी तक नहीं भरी जा सकी हैं .
वहां की तत्कालीन संविधान सभा के सदस्यों की सूची निम्नलिखित है -

Members of J&K Constituent Assembly

Members of J&K Constituent Assembly

S.No.MembersConstituency
1.Maulana Mohammad SayeedMasudi Amira Kadal
2.Sheikh Mohammed AbdullahHazratbal
3.Bakshi Ghulam MohammedSafa Kadal
4Mirza Mohammed Afzal BegAnantnag
5Girdhari Lal DograJasmergarh
6Sham Lal Saraf HabbaKadal
7Abdul Aziz ShawlRajouri
8Abdul Gani TraliRajpora
9Abdul Gani GoniBhalesa
10Syed Abdul QadusBiruwa
11Bakshi Abdul RashidCharar-i-Sharief
12Abdul Kabir KhanBandipora (Gurez)
13Abdul KhaliqSaniwara
14Syed Allaudin GilaniHandwara
15Assad UllahMir Ramban
16Bhagat Ram LanderTikri
17Bhagat Chhajju RamRanbirsinghpora
18Sardar Chela SinghChhamb
19Chuni Lal KotwalBhaderwah
20Durga Prashad DharKulgam
21Ghulam Ahmad MirDachinpara
22Master Ghulam AhmedHaveli
23Ghulam Ahmad DevDoda
24Pirzada Ghulam GilaniPampore
25Ghulam Hassan KhanNarwah
26Ghulam Hassan BhatNandi
27Ghulam Hassan MalikDevasar
28Pir Ghulam Mohammad MasoodiTral
29Ghulam Mohammad SadiqTankipora
30Mirza Ghulam Mohammad BegNaubag Brang Valley
31Ghulam Mohammad ButtPattan
32Ghulam Mohi-ud-Din KhanKhansahib
33Ghulam Mohi-ud-Din HamdaniKhanyar
34Mirwaiz Ghulam Nabi HamdaniZaddibal
35Ghulam Nabi WaniDarihgam
36Ghulam Nabi WaniLolab
37Ghulam Qadir BhatKangan
38Ghulam Qadir MasalaDrugmulla
39Ghulam Rasool SheikhShopian
40Ghulam Rasool KarHamal
41Ghulam Rasool KraipakKishtwar
42Hakim Habibullah KhanSopore
43Hem Raj JandialRamnagar
44Sardar Harbans Singh AzadBaramulla
45Syed Ibrahim ShahKargil
46Ishar Devi MainiJammu city (Northern)
47Janki Nath KakrooKothar
48Jamal-ud-DinDrahal
49Maulvi Jamaitali ShahMendhar
50Kushak BakulaLeh
51Kishen Dev SethiNowshera
52Sardar Kulbir SinghPoonch city
53Mohammad Afzal KhanUri
54Sheikh Mohammad AkbarTangmarg
55Mohammad Anwar ShahKarnah
56Mohammad Ayub KhanArnas
57Syed Mohammad JalaliBadgam
58Pir Mohd Maqbool ShahRamhal
59Syed Mir Qasim DoruShahabad
60Mubarik ShahMagam
61Mansukh RaiReasi
62Mahant RamBasohli
63Moti Ram BaigraUdhampur
64Mahasha Nahar SinghBishnah
65Noor DarKowapora
66Noor-ud-Din SufiGanderbal
67Major Piara SinghKathua
68Ram Chand KhajuriaBillawar
69Lala Ram Piara SarafSamba
70Ram DeviJammu city (Southern)
71Ram Rakha MalKahanachak
72Wazir Ram Saran JandrahGarota
73Ram LalAkhnoor
74Sagar SinghParmandal
75Sona Ullah SheikhPulwama
एक देश में दो संविधान दो प्रधानमंत्री व् दो ध्वज को लेकर इसका विरोध भी किया गया  और ऐसा अनुच्छेद 370 को लेकर बदनाम हुई काँग्रेस द्वारा भी किया गया. अक्सर कश्मीर का नाम आते ही यह ध्यान में आता है कि वहां के सारे काम पंडित जवाहरलाल नेहरू ने किए. लेकिन कम ही लोग इस तथ्य पर ध्यान दे पाते हैं कि भारतीय संविधान में धारा 370 जोड़ने का बड़ा काम सरदार वल्लभ भाई पटेल ने किया.उस समय पूरी कांग्रेस पार्टी कश्मीर को विशेष दर्जा देने के सख्त खिलाफ थी, लेकिन जब पंडित नेहरू अमेरिका में थे, तब पटेल ने पार्टी को कश्मीर के हालात समझाए और संविधान सभा में धारा 370 को स्वीकृत करा दिया और अनुच्छेद ३७० के अंतर्गत यह व्यवस्था थी और संविधान सभा चुनी हुई संस्था थी  जो राज्य के लोगों की इच्छा को दर्शा रही थी परन्तु शेख अब्दुल्लाह ने अपने लोगों को ये बताया कि संविधान सभा सर्वोच्च संस्था है जो कि भारतीय संवैधानिक बाध्यताओं से स्वतंत्र है .शेख अब्दुल्लाह की ऐसी ही बयानबाजी  व् अन्य गतिविधियों के कारण मई १९७१ में उन्हें राज्य से निष्कासित किया गया उसके बाद वे कभी विपक्ष में बोलते थे कभी पक्ष में .भारत और प्लैय्बिसित फ्रंट के प्रतिनिधियों के बीच बहुत सी वार्ताएं हुई और अंत में २४ फरवरी १९७५ को एक करार की घोषणा की गयी इस समझौते का शुद्ध राजनितिक परिणाम यह हुआ कि जनमत संग्रह की मांग को शेख अब्दुल्लाह और उनके अनुयायिओं ने त्याग दिया और यह तय किया गया कि जम्मू कश्मीर राज्य की भारतीय संविधान के अनुच्छेद ३७० के उपबंधों के अधीन विशेष स्थिति बनी रहेगी।
         और ऐसा 6 अगस्त 2019 तक चला किन्तु वर्तमान की मोदी सरकार, जो अपने पूर्व के संकल्प को लेकर प्रतिबद्ध थी और इस सम्बंध में अपने पूर्व नेता श्यामा प्रसाद मुखर्जी की मृत्यु को भी इस अनुच्छेद को हटाने के लिए दिए गए बलिदान का नाम देती रही, ने संविधान को दरकिनार कर अनुच्छेद 370 के भाग 2 व 3 को हटा दिया. 
         भारतीय जनता पार्टी संविधान के अनुच्छेद 370 और जम्मू-कश्मीर को मिलने वाले विशेष दर्जे के प्रावधानों पर आज जो कहे, सच यह है कि इसके प्रेरणा पुरुष श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने संविधान सभा में इस अनुच्छेद का ज़बरदस्त समर्थन किया था और इसके पक्ष में वोट किया था। बीजेपी के लोग यह कहते नहीं अघाते हैं कि इस अनुच्छेद को ख़त्म करना मुखर्जी का सपना था और इसके लिए उन्होंने अपना बलिदान दिया था, सच यह है कि इस अनुच्छेद को तैयार करने और लागू करने में वह पूरी तरह जवाहर लाल नेहरू और शेख अब्दुल्ला के साथ थे। मुखर्जी का मानना था कि जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा मिलना ही चाहिए क्योंकि इससे वहाँ के लोगों में देश से जुड़ने की भावना प्रबल होगी और देश की अखंडता मजबूत होगी और यही नहीं पूर्व में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार की योजनाओं में भी अनुच्छेद 370 को हटाना शामिल था लेकिन वे बहुमत के अभाव में संविधान के साथ  वह खिलवाड़ नहीं कर पाए जो नरेंद्र मोदी व अमित शाह ने की और अपने पूर्व नेताओं के सपने का नाम लेकर मोदी और शाह ने संविधान को एक खिलौना बना दिया. 
       संविधान के अनु .370 [3] के अनुसार -
-इस अनुच्छेद के पूर्वगामी उपबंधों में किसी बात के होते हुए भी ,राष्ट्रपति लोक अधिसूचना द्वारा  घोषणा कर सकेगा कि यह अनुच्छेद प्रवर्तन में नहीं रहेगा या ऐसे अपवादों और उपानतरनो सहित ही और ऐसी तारीख  से ,जो विनिर्दिष्ट करें ,प्रवर्तन में रहेगा .
परन्तु राष्ट्रपति द्वारा ऐसी अधिसूचना जारी किये जाने से पहले खंड[२] में निर्दिष्ट उस राज्य की संविधान सभा की सिफारिश आवश्यक होगी .
        और वर्तमान में संविधान सभा का कोई सदस्य जीवित नहीं है और जो 24 सीटें पाक अधिकृत कश्मीर की खाली रह गई थी वे आजतक भरी नहीं जा सकीं हैं. ऐसे में मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने स्वयं ही संविधान को धता बता फैसला किया कि संविधान सभा का कोई सदस्य जीवित नहीं है इसलिए वहां की विधान सभा ही संविधान सभा है और क्योंकि वहां राज्यपाल का शासन है ऐसे में सारी शक्ति संसद में निहित है और क्योंकि इनकी बहुमत की सरकार है इसलिये ये संसद के मालिक हैं और अब इनके आगे संविधान कहीं नहीं ठहरता इसलिए मनमर्जी से राज्य सभा में बिल रखा और संविधान के अनुच्छेद 368 मे दिए गए संशोधन के तरीके को एक तरफ रख वहां से पास कराकर राष्ट्रपति की मंजूरी दिला दी और दूसरे सदन में राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद पास कराया. ऐसे में जो भी कार्यवाही हुई है उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि वह दिन दूर नहीं जब मोदी सरकार इस देश को अनुच्छेद 370 से ही क्या हमारे संविधान से ही मुक्ति दिला देगी और इस देश को लोकतंत्र की बेड़ियों से निकाल कर तानाशाही की ओर धकेल देगी. 
शालिनी कौशिक एडवोकेट
(कौशल) 

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