प्रदीप कुमार को गिरफ्तार करो.


एक तरफ  8 और 9 नवम्बर को राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) द्वारा लीगल सर्विसेज डे मनाया जाता है. कार्यक्रम में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी भी शिरकत करते हैँ और कहते हैँ कि

 'तकनीक बदल सकती है व्यवस्था, अगर उसका फोकस जनता पर हो'

चीफ़ जस्टिस बी.आर. गवई महात्मा गांधी के शब्दों को उद्धृत करते हुए कहते हैं कि —

“जब भी कोई निर्णय लेने में संदेह हो, तो सबसे गरीब और कमजोर व्यक्ति का चेहरा याद करें और सोचें कि आपका निर्णय उसके किसी काम आ पाएगा या नहीं।” उन्होंने कहा कि यही विचार कानूनी सहायता आंदोलन का सच्चा सार है।"

    और दूसरी तरफ शिक्षा के संस्थान "डी ए वी (PG) कॉलेज, बुढ़ाना (मुजफ्फरनगर) में एक छात्र उज्ज्वल राणा कॉलेज में अपनी क्लास में ही पेट्रोल डालकर खुद को आग लगा रहा है, किस लिए, मात्र 7 हजार रूपये फीस के जमा न कर पाने के कारण, छात्र कह रहा था कि गन्ना भुगतान के लिए 1 हफ्ते का समय देते हुए कॉलेज प्रशासन उसका फॉर्म जमा कर ले ताकि उसकी परीक्षा न छूटे, लेकिन कॉलेज प्रशासन इसके लिए तैयार नहीं होता, ऊपर से पूरे क्षेत्र में अभद्र व्यवहार के लिए प्रसिद्ध प्राचार्य प्रदीप कुमार उसे गालियां देते हैँ, उसके बाल नोंचते हैँ, उसे मारते हैँ.

  ये कहाँ की शिक्षा व्यवस्था है कि पढ़ने के लिए, परीक्षा के लिए, एक उज्जवल भविष्य के लिए मेहनत करने वाले युवा के साथ मात्र कुछ हज़ार रुपयों की फीस के लिए कॉलेज के प्राचार्य को क़ानून हाथ में लेने का अधिकार देती है, यही नहीं, छात्र उज्ज्वल राणा द्वारा उस पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ मीडिया, एस डी एम के पास जाने पर प्राचार्य के हिमायती पुलिस वालों को भी छात्र से बदतमीजी की हदे पार करने तक का अधिकार दे देती है कि आख़िरकार स्थिति इतनी बिगड़ जाती है कि उम्मीद का दामन छोड़ आहत छात्र उज्ज्वल राणा खुद को आग लगाने का फैसला कर लेता है.

  मीडिया से हुई बातचीत में छात्र उज्ज्वल राणा ने आरोप लगाया कि तीन पुलिसकर्मियों ने भी उसके साथ गाली-गलौज की। एसडीएम बुढ़ाना के कार्यालय में भी मांगपत्र दिया गया। निराश हुए छात्र ने आख़िरकार शनिवार को कॉलेज पहुंचकर 11 बजे अपने ऊपर पेट्रोल छिड़ककर छिड़ककर आग लगा ली।

 मीडिया से प्राप्त समाचारों के मुताबिक कॉलेज कार्यालय ने छात्र को छह नवंबर को बुलाकर फीस जमा कराने के लिए कहा। छात्र द्वारा फीस तत्काल जमा करने में परेशानी का मामला प्राचार्य प्रदीप कुमार के पास पहुंचा और जैसा कि प्रदीप कुमार को जानने वाला हर व्यक्ति जानता था कि समाधान नहीं निकलना था और न ही निकला। छात्र ने परेशानी की इस घड़ी में कॉलेज के बाहर आकर फीस पर वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दी। जिसके तूल पकड़ने पर कॉलेज प्रशासन द्वारा सात नवंबर को छात्र से पांच हजार रुपये परीक्षा शुल्क जमा कराने के लिए कहा गया। छात्र की ओर से लिखे गए प्रार्थनापत्र में गन्ने का भुगतान मिलने तक के लिए कॉलेज से एक सप्ताह का समय मांगा गया लेकिन कुछ नहीं हुआ.

     मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बुढ़ाना के मोहल्ला खाकरोबान में रहने वाले उज्ज्वल के माँ बाप भी इस दुनिया में नहीं हैँ, उसके केवल एक बड़ी बहन है और वह उसी के साथ बागपत के गांव भड़ल से यहाँ आकर बस गया है. जीवन में पढ़ लिखकर कुछ बनने की इच्छा को टूटता देख छात्र टूट गया और उसने खुद को आग लगाने का फैसला कर लिया, आग लगाने से पहले जारी वीडियो में उसने आरोप लगाया कि

" सात नवंबर को प्राचार्य प्रदीप कुमार ने अपने ऑफिस बुलवाया और यूनिवर्सिटी फीस के नाम पर पांच हजार रुपये जमा करने की बात कही। मैंने प्राचार्य को बताया कि मैं परीक्षा शुल्क विश्वविद्यालय में ऑनलाइन जमा कर चुका हूं। एक सप्ताह में गन्ने का भुगतान मिलने पर कॉलेज की फीस भी जमा कर दूंगा। इस पर प्राचार्य प्रदीप कुमार ने पहले अपने दफ्तर में गाली गलौज करते हुए पीटा और उसके बाद कॉलेज के गेट पर लाकर मेरी पिटाई की। मैंने मुख्यमंत्री, एसडीएम और पुलिस से शिकायत की। कॉलेज पहुंची पुलिस ने भी मेरे साथ बदसलूकी की। "

"मेरे साथ ऐसी घटना हुई, जिसने मुझे तोड़कर रख दिया। प्राचार्य प्रदीप कुमार ने मेरे साथ अपमानजनक व्यवहार किया। मुझे गाली दी, मेरे बाल नोंचे और मेरी पिटाई की। मैंने सिर्फ गरीब और असहाय छात्र, जो फीस नहीं होने के कारण परीक्षा फार्म जमा नहीं कर पा रहे थे, उनकी मदद करने के लिए आवाज उठाई थी। इसकी सजा अपमान कर और डरा-धमकाकर दी गई। न्याय की बात की तो कॉलेज में पुलिस बुला ली गई। पुलिसकर्मी धर्मवीर, नंद किशोर और विनीत, जिनसे मुझे मदद की उम्मीद थी, उन्होंने भी मुझे गालियां दी। मुझे डराने-धमकाने की कोशिश की। इन सबके शब्दों ने मेरी आत्मा को गहरी ठेस पहुंचाई है। मुझे तोड़ दिया। ईमानदारी और कानून के प्रति सच्चाई की कड़ी टूट गई है। मैं खुद से ही सवाल पूछने लगा हूं कि क्या सच्चाई के लिए आवाज उठाना गलत है। में दर्द से गुजर रहा हूं लेकिन डरूंगा नहीं। यदि में आत्महत्या करता हूं तो इसका दोष प्राचार्य प्रदीप कुमार, पुलिसकर्मी नंद किशोर, धर्मवीर और विनीत पर होगा।"

  और मीडिया में यह बयान देने के बाद छात्र उज्ज्वल राणा ने कॉलेज में जाकर अपनी कक्षा में खुद पर पेट्रोल डालकर आग लगा ली. जिसे देख कॉलेज में ह्ड़कंप मच गया, कानूनी कार्रवाई के डर से कॉलेज स्टॉफ और अध्यापक भाग खडे हुए साथी छात्रों ने किसी तरह आग बुझाई और करीब 80 फीसदी जले छात्र को सीएचसी में भर्ती कराया जहाँ से गंभीर हालत में पहले मेरठ फिर दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया। 

सर्किल ऑफिसर गजेंद्र पाल सिंह के अनुसार पीड़ित उज्ज्वल की बहन की ओर से प्राचार्य प्रदीप कुमार के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है और कॉलेज में डीएम और एसएसपी भी पहुंच गए हैँ.

   आलेख लिखें जाने तक कुछ अपुष्ट खबरों के मुताबिक छात्र उज्ज्वल शायद इस संघर्ष में हार गया है किन्तु अगर वह हारता है तो यह हार उसकी अकेले की नहीं है, ये हार शिक्षा के लिए संघर्ष करने वाले हर उस देश की हार है जो एक छात्र को मात्र 7 हजार रूपये की फीस जमा करने का इरादा रखने पर भी ऐसी दुःखद मृत्यु के लिए मजबूर कर देता है. हादसा अलग बात होती है, ये हत्या है और यह हत्या की है बुढ़ाना के डी ए वी कॉलेज के प्राचार्य प्रदीप कुमार ने, और अगर भारत सरकार कहीं भी युवा के या गरीब के साथ ख़डी है तो प्रदीप कुमार को सजा दो.

प्रदीप कुमार को गिरफ्तार करो.

द्वारा

शालिनी कौशिक

एडवोकेट

कैराना (शामली)



टिप्पणियाँ

Anita ने कहा…
बेहद अफ़सोसजनक घटना, लेकिन सवाल यह भी है क्या उस कॉलेज में ऐसा कोई नहीं था जो उस छात्र की सहायता कर देता, उसके मित्र या उसके अध्यापक, वह किसी से उधार ले सकता था
Shalini kaushik ने कहा…
बेचारे बच्चे का दुर्भाग्य ही कहा जायेगा कि मात्र 7 हज़ार रूपये के लिए देश के उज्ज्वल भविष्य उज्ज्वल राणा को अपने प्राण न्योछावर कर देने पड़े.

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