ऐसी कामना कर जायेंगे....
पुष्प समान समझ कर तुमको,
सुगंध तुम्हारी बन जायेंगे.
जग में गर खो दिया जो तुमको,
शायद कुछ ना पा पाएंगे.
मस्त हवा सा चलना तेरा,
अपलक मुझको देखना तेरा.
तेरे हस्त को ना छू पाए,
क्या फिर कुछ हम छू पाएंगे.
ये जीवन है एक कठपुतली,
चलना इसका हाथ में तेरे.
तुमने हाथ जो नहीं हिलाए,
कैसे फिर हम चल पाएंगे.
नहीं जानते तेरे मन को,
क्या देखा है तुमने सपना.
तेरा फिर भी पूर्ण स्वप्न हो ,
ऐसी कामना कर जायेंगे.
सुगंध तुम्हारी बन जायेंगे.
जग में गर खो दिया जो तुमको,
शायद कुछ ना पा पाएंगे.
मस्त हवा सा चलना तेरा,
अपलक मुझको देखना तेरा.
तेरे हस्त को ना छू पाए,
क्या फिर कुछ हम छू पाएंगे.
ये जीवन है एक कठपुतली,
चलना इसका हाथ में तेरे.
तुमने हाथ जो नहीं हिलाए,
कैसे फिर हम चल पाएंगे.
नहीं जानते तेरे मन को,
क्या देखा है तुमने सपना.
तेरा फिर भी पूर्ण स्वप्न हो ,
ऐसी कामना कर जायेंगे.
टिप्पणियाँ
आशा
ऐसी कामना कर जायेंगे.
समर्पण भाव से भरपूर
विचारणीय कृति ...
क्या देखा है तुमने सपना।
तेरा फिर भी पूर्ण स्वप्न हो,
ऐसी कामना कर जायेंगे।
भावनाओं की सुंदर अभ्व्यिक्ति। आपकी रचना ने मन को प्रभावित किया...शुभकामनाएं।
nikalee huyee ye kavita ek shubhra kumudini kee tarah kisi chaand ko dekhatee hai . is chaahat mein ek asar hai ..jabardasht !
हां आपकी कविताओं में मात्रा दोष होता है...समान पन्क्तियों में समान मात्रायें रखें बस लय गति ठीक रहेगी जैसे----जग में गर खो दिया जो तुमको,-- गर और जो समानार्थी हैं अतः दोनों का प्रयोग महीं करना है...
नहीं जानते तेरे मन को,
क्या देखा है तुमने सपना.
तेरा फिर भी पूर्ण स्वप्न हो ,
ऐसी कामना कर जायेंगे.
बडी ही सुन्दर व भावपूर्ण पंक्तियाँ हैं। साधुवाद ।