मतलब नहीं रहा..

हम तुमसे मिलने आयें हैं सब काम छोड़कर ,
तुम पर ही हमसे मिलने को वक़्त  न हुआ.
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सुनना तो चाहते थे तुमसे बहुत कुछ मगर ,
तुमने ही हमसे अपने दिल का हाल न कहा.
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गायब तो तुम ही हो गए थे बीच राह में,
मिलने को तुमसे हमने कितनी बातों को सहा.
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सब कुछ गवां के हमने रखी दोस्ती कायम,
तुम कहते हो हमसे कभी मतलब नहीं रहा.
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टिप्पणियाँ

Shikha Kaushik ने कहा…
बहुत खूबसूरत भावाभिव्यक्ति ....
बहुत सुंदर पंक्तियाँ.....
केवल राम ने कहा…
सब कुछ गवां के हमने रखी दोस्ती कायम,
तुम कहते हो हमसे कभी मतलब नहीं रहा.


वक्त के किसी पड़ाव पर लोग अक्सर ऐसा कह देते हैं ..................आपके प्रस्तुतीकरण का अंदाज निराला है ...बहुत सुंदर
Patali-The-Village ने कहा…
बहुत खूबसूरत भावाभिव्यक्ति|धन्यवाद |
उम्मतें ने कहा…
शिकवों के दरम्यान इत्ते सारे डालर्स जैसे क्यों बनाये हैं आपने ? :)

हम तुमसे मिलने आये हैं सब काम छोड़कर
'तुम हो जो हमसे मिलने की फुर्सत नहीं हुई'

'ये' बस एक नमूनार्थ सुझाव जैसा है ! बहुत बेहतर लिखा है आपने !
सुंदर भावों के साथ अच्छा प्रयास....
Arvind Jangid ने कहा…
बहुत ही सुन्दर !

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