बढ़ चलो ए जिंदगी

हर अँधेरे को मिटाकर बढ़ चलो ए जिंदगी
आगे बढ़कर ही तुम्हारा पूर्ण स्वप्न हो पायेगा.


गर उलझकर ही रहोगी उलझनों में इस कदर,
डूब जाओगी भंवर में कुछ न फिर हो पायेगा.


आगे बढ़ने से तुम्हारे चल पड़ेंगे काफिले,
कोई अवरोध तुमको रोक नहीं पायेगा.

तुमसे मिलकर बढ़ चलेंगे संग सबके होसले,
जीना तुमको इस तरह से सहज कुछ हो पायेगा.

संग लेकर जब चलोगी सबको अपने साथ तुम,
चाह कर भी कोई तुनसे दूर ना हो पायेगा.

जुड़ सकेंगे पंख उसमे आशा और विश्वास के ,
''शालिनी'' का नाम भी पहचान नयी पायेगा.

टिप्पणियाँ

Shikha Kaushik ने कहा…
bahut sundar bhavabhivyakti.vastav me aapka nam ek nayee pahchan payega..
आगे बढ़ने से तुम्हारे चल पड़ेंगे काफिले,
कोई अवरोध तुमको रोक नहीं पायेगा

यही सोच.... और कोशिश जारी रहे....
Udan Tashtari ने कहा…
बहुत खूब!!
उम्मतें ने कहा…
आशावाद कायम रहे ! सुन्दर रचना !
तुमसे मिलकर बढ़ चलेंगे संग सबके होसले,
जीना तुमको इस तरह से सहज कुछ हो पायेगा।

आगे बढ़ते रहने का नाम ही ज़िदगी है।
अच्छी रचना।
शुभकामनाएं।

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