मीडिया को संभलना होगा....

राही कुरैशी के शब्दों में-
   सबको पहचान लिया,देख लिया जान लिया,
   एक दिन खुद को भी आईने में देखा जाये."
    अक्सर हम देखते हैं कि मीडिया में लगभग हर बड़ी हस्ती कटाक्ष की शिकार होती है .कटाक्ष भी ऐसे कि पढ़ते-पढ़ते पेट दुःख जाये किन्तु ऐसा लगता है   कि मीडिया खुद इन बड़ी हस्तियों की ख़बरों की आदी हो चुकी है   इनसे सम्बंधित कोई खबर न मिले तो मीडिया का काम ठप सा ही हो जाता है .ऐसी ही एक बड़ी हस्ती है  "गाँधी परिवार"और  ये गाँधी परिवार कुछ करता है  तो मीडिया परेशान कुछ न करे तो मीडिया परेशान  .आजकल वरुण गाँधी के विवाह की ख़बरों से समाचार पत्र भरे पड़े हैं.कभी यामिनी से शादी पक्की होने की खबर,कभी ताई सोनिया को आमंत्रित करने की खबर,कभी वाराणसी में मंडप सजने की खबर ,तो कभी प्रियंका के जाने की खबर,तो कभी राहुल के हड्डी टूटने के कारण जाने न जाने के कयास की खबर आखिर क्या आज के समाचार पात्र इतने खाली पेज रखते हैं कि इनके समाचारों से ही भरे जाते हैं फिर देश की अन्य समस्याओं के लिए मीडिया इन बड़ी हस्तियों को क्यों दोषी ठहरता है  जबकि "लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ "के रूप में ख्यात मीडिया अपने कर्तव्यों को पूर्ण करने में कोताही बरतता है .आज देश समाज में अपराधों की बाढ़ सी आयी है  और  यह मीडिया ही है  जो इन ख़बरों को मुस्तैदी से देश में उठा सकता है .मीडिया का यदि ऐसे मामलों में सकारात्मक कार्य हो तो पीड़ित अपनी पीड़ा बताने व् उस पर कदम उठाने से नहीं चूकेगा किन्तु मीडिया द्वारा केवल अपने प्रचार हेतु जब खबर नयी नयी हो तो रूचि लेना और  मामला ठंडा पड़ते ही मुहं मोड़ लेना पीड़ित को होंठ सी लेने को मजबूर करता है  .
       हमारे ही क्षेत्र में विधायक महोदय ने एक पीड़ित महिला से जिसके घर पर एक फ्रॉड ने कब्ज़ा कर लिया था से कहा"कि यदि मीडिया में ये मुद्दा उठ जाये तो मैं तुम्हारी कुछ मदद कर सकता हूँ."अब इसमें कितनी सच्चाई है  ये तो वे ही जाने किन्तु ये तो मानना ही पड़ेगा कि मीडिया की ताक़त से वे भी अपने कदम को जायज़ ठहराने की ताक़त रखते हैं.ऐसे में मीडिया को देखना होगा कि वह इन मुद्दों को सामान्य मुद्दे मान कर ज्यादा तूल न दे और  आम आदमी जिन कारणों से त्रस्त है  ,प्रभावित है ,उन मुद्दों  को मजबूती से उठाये और  उन्हें न्यायपूर्ण अंत तक पहुंचाए.
    मीडिया के लिए अंत में यही कहूँगी-
"पूरी धरा भी साथ दे तो और  बात है ,
पर तू जरा भी साथ दे तो और  बात है  ,
चलने को तो एक पांव से भी चल रहे हैं लोग
ये दूसरा भी साथ दे तो और बात है."  

टिप्पणियाँ

Shikha Kaushik ने कहा…
आप ने बिलकुल ठीक कहा है .कभी मीडिया गाँधी परिवार को खलनायक के रूप में प्रस्तुत करता है तो कभी इन्हें रोल मॉडल के रूप में प्रस्तुत करता है .समझ में नहीं आता इस देश में एक ही परिवार रह गया है क्या ?बहुत अच्छी प्रस्तुति .
आजकल के पत्रकारों मे ज़ज्बा नही है काम के प्रति, वे भी शार्टकट लगाना चाहते हैं ऐसे मे वो किसी खबर को कैसे पकड़ पाएंगे, मात्र जो चल रहा है उसके पीछे ही दौडेंगे। इन्हे खुद समझ मे बिल्कुल ही नही आता है कि देश की समस्याएं क्या हैं, देश का गौरव क्या है? ये तो मूर्ख बंदर की भांति नकल भर करते हैं। अब कसाब के मामले मे ही कई बार तो उसका इस प्रकार से कवरेज किया गया जैसे किसी महान आदमी का किया जा रहा हो।
अफ़सोस है की मिडिया आम जीवन के असली और ज़रूरी मुद्दों को हाशिये पर रखता है..... सहमत हूँ आपके विचारों से
Suman ने कहा…
sahi kahati hai....
उम्मतें ने कहा…
बेशक मीडिया की ताकत ज़बरदस्त है पर हमें फिलहाल ...बन्दर के हाथ उस्तरा वाली कहावत याद आ रही है !
Kunwar Kusumesh ने कहा…
मीडिया पर सही टिप्पणी की आपने.
कमल शर्मा ने कहा…
nice post keep rocking......
http://aghorupanishad.blogspot.com
एकदम सही मुद्दा उठाया है आपने। सामाजिक सरोकार वाली घटनाओं की ओर मीडिया ध्यान ही नहीं देता।
नमस्कार शालिनी जी । सच कहूँ । आप दोनों बहनों का परिचय । शिखा जी और आपका । जानकर बहुत प्रसन्नता और आत्मिक सुख मिला । खासकर आपके भाव और सभी के लिये प्रेमभाव जानकर । खैर..मुझे लगता है कि आप आनलाइन टायपिंग करके लिखती हैं । आपने जो शिखा जी के परिचय में कमेंट दिया था । उसमें एक दो शब्द dayabhav..इंगलिश में ही रह गये थे । इसी हेतु आपको जानकारी दे रहा हूँ । आप आफ़लाइन टायपिंग के लिये http://www.baraha.com/download.htm यहाँ से साफ़्टवेयर डाउनलोड कर लें । ये भी आप dayabhav..इस तरह लिखेंगी । तो उसको " दयाभाव " कर देगा । सीधे क्लिक द्वारा इस पेज पर जाने के लिये मेरे ब्लाग " सत्यकी्खोज " पर मेरा नया लेख " ये जीव कालमाया का कैदी है " पर
देखें । सत्यकीखोज पर इसी टिप्पणी के प्रोफ़ायल से जायँ । कोई अन्य जानकारी चाहिये हो । तो मुझे लिखें । आपकी सहायता करके मुझे प्रसन्नता ही होगी ।
नमस्कार शालिनी जी । सच कहूँ । आप दोनों बहनों का परिचय । शिखा जी और आपका । जानकर बहुत प्रसन्नता और आत्मिक सुख मिला । खासकर आपके भाव और सभी के लिये प्रेमभाव जानकर । खैर..मुझे लगता है कि आप आनलाइन टायपिंग करके लिखती हैं । आपने जो शिखा जी के परिचय में कमेंट दिया था । उसमें एक दो शब्द dayabhav..इंगलिश में ही रह गये थे । इसी हेतु आपको जानकारी दे रहा हूँ । आप आफ़लाइन टायपिंग के लिये http://www.baraha.com/download.htm यहाँ से साफ़्टवेयर डाउनलोड कर लें । ये भी आप dayabhav..इस तरह लिखेंगी । तो उसको " दयाभाव " कर देगा । सीधे क्लिक द्वारा इस पेज पर जाने के लिये मेरे ब्लाग " सत्यकी्खोज " पर मेरा नया लेख " ये जीव कालमाया का कैदी है " पर
देखें । सत्यकीखोज पर इसी टिप्पणी के प्रोफ़ायल से जायँ । कोई अन्य जानकारी चाहिये हो । तो मुझे लिखें । आपकी सहायता करके मुझे प्रसन्नता ही होगी ।
सहम्त हूँ। शुभकामनायें।
Sawai Singh Rajpurohit ने कहा…
आज मंगलवार 8 मार्च 2011 के
महत्वपूर्ण दिन "अन्त रार्ष्ट्रीय महिला दिवस" के मोके पर देश व दुनिया की समस्त महिला ब्लोगर्स को "सुगना फाऊंडेशन जोधपुर "और "आज का आगरा" की ओर हार्दिक शुभकामनाएँ.. आपका आपना
jai ho mein vani ji ka naam rah gaya hai ... jo mahatwpurn hai
पर तू जरा भी साथ दे तो और बात है
phir to jeet hi jeet hai
aapka ने कहा…
बहुत सुन्दर पोस्ट है। धन्यवाद।
ZEAL ने कहा…
I fully agree with you on this post.
Dinesh pareek ने कहा…
बहुत सुन्दर अच्छी लगी आपकी हर पोस्ट बहुत ही स्टिक है आपकी हर पोस्ट कभी अप्प मेरे ब्लॉग पैर भी पधारिये मुझे भी आप के अनुभव के बारे में जनने का मोका देवे
दिनेश पारीक
http://vangaydinesh.blogspot.com/ ये मेरे ब्लॉग का लिंक है यहाँ से अप्प मेरे ब्लॉग पे जा सकते है
Dinesh pareek ने कहा…
बहुत अच्छा लगा अप्प मेरे ब्लॉग पे आये |
Dinesh pareek ने कहा…
परछाईयां हमेशा साथ रहती है
आईने टूट जाया करते है..
दिल के बंधन चलते है उम्र भर दूर तलक
दिमाग के रिश्ते राह में छूट जाया करते है…
Dinesh pareek ने कहा…
परछाईयां हमेशा साथ रहती है
आईने टूट जाया करते है..
दिल के बंधन चलते है उम्र भर दूर तलक
दिमाग के रिश्ते राह में छूट जाया करते है…
mridula pradhan ने कहा…
चलने को तो एक पांव से भी चल रहे हैं लोग
ये दूसरा भी साथ दे तो और बात है."
bahut achchi lagi.....

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

मेरी माँ - मेरा सर्वस्व

बेटी का जीवन बचाने में सरकार और कानून दोनों असफल

बदनसीब है बार एसोसिएशन कैराना