किस पर विश्वास करें?
आज विश्वास की वैसे भी सभी ओर कमी होती जा रही है.जिसे देखो वह यही कहता नज़र आता है कि किसी पर भी विश्वास नहीं करना चाहिए.लेकिन मैं यहाँ किसी व्यक्ति विशेष पर विश्वास को लेकर चिंतित नहीं हूँ बल्कि मैं चिंतित हूँ आज की नामी गिरामी कुछ पत्र-पत्रिकाओं और विश्व प्रसिद्द कंपनियों की बेईमान प्रवर्ति को लेकर .पहले तो ये बहुत बढ़ा चढ़ा कर विभिन्न प्रतियोगिताओं की घोषणा करते हैं और उनके विजेताओं के नाम प्रचारित करते हैं और कहते हैं कि महीने भर में पुरस्कार भेज दिए जायेंगे और जब पुरस्कार प्राप्त कर्ताओं तक उनके पहुँचने की बात आती है तो पहले महीने फिर साल बीत जाते हैं और प्रतीक्षा ही बनी रहती है.
सबसे पहले बात मैं करूंगी हिंदी समाचार पत्र "राष्ट्रिय सहारा"की जिसमे मुझे और मेरी बहन को पहले जो इनाम मिले आये लेकिन एक बार ७०० रूपए के गिफ्ट हेम्पर का पुरस्कार मिला तो तीन वर्ष बीत ने ही वाले थे और हमारा इनाम हमें नहीं मिला तब वह ईनाम पापा ने कानूनी नोटिस भेजकर हमें दिलवाया और पता है वह ईनाम ऐसा आया कि उसको हमें जल्दी जल्दी निबटाना पड़ा .दो बड़े बेग और खूब सारे धूपबत्ती के पैकट बेग तो सही थे किन्तु धूपबत्ती ऐसी कि जल्दी जला जला कर खत्म करनी पड़ी.
अब सुनिए "अमर उजाला हिंदी दैनिक "की पहले कई ईनाम टाइम से आये किन्तु एक बार इसने मेरी बहन को वी.सी.डी. का ईनाम घोषित किया और वह भी हमें कानूनी नोटिस भेजकर प्राप्त करना पड़ा.
अब बात करें ऍफ़.एम्.के कार्यक्रम "आओ दिल्ली संवारें "की जो ऍफ़.एम्.रेनबो पर हर इतवार सुबह ११.३० पर आता है .ईनाम तो घोषित कर दिए किन्तु भेजे नहीं वहां से भी कानूनी नोटिस ने कम कराया और समय सीमा से पूर्व ईनाम घर आया.
अब सुनिए बहुत प्रसिद्द "daimond pocket बुक्स" के बारे में
पहले हम इसकी पत्रिका "साधना पथ "के सदस्य बने और स्वयं इस पत्रिका ने हमारे पत्र को ईनाम घोषित किया और घर पर फोन कर पता पूछा पर ईनाम नहीं आया जब हमने फोन किया तो कहा गया कि कोरियर सेवा वहां नहीं है किन्तु जब उन्हें कानूनी नोटिस भेजा तो वही कोरियर कंपनी जो कही गयी थी कि यहाँ नहीं है उससे ही हमारा ईनाम दो घडी घर पर आ गयी .
किन्तु इसी कंपनी की एक और पत्रिका है "गृह लक्ष्मी "जिसमे मेरे और मेरी बहन के कुल चार ईनाम घोषित हैं और दो साल बीतने आ गए हैं पर हमारे ईनाम नहीं आये और यह पत्रिका ऐसी है कि इस पर कानूनी नोटिस का भी फर्क नहीं पड़ा .
अभी हल में "clinic plus "जैसे विश्व विख्यात ब्रांड ने ९ जनवरी में समाचार पत्र "अमर उजाला"में मेरा ईनाम घोषित किया और कहा कि पुरस्कार एक महीने के भीतर भेजने को कहा किन्तु आज दो महीने से ऊपर हो गए है किन्तु न तो ईनाम का पता है और न उस नंबर का जिससे कॉल कर मेरा पता पूछा गया था.
पर एक पत्रिका ऐसे समय में भी अपनी विश्वसनीयता बनाये है और वह है "प्रतियोगिता दर्पण"जो आगरा उत्तर प्रदेश से प्रकाशित होती है और जिसमे समय समय पर मैं और मेरी बहन "शिखा कौशिक "पुरस्कार पाते है और पत्रिका द्वारा महीने भर के भीतर ही भेजे गया पुरस्कार प्राप्त करते है.इसलिए मैं विश्वसनीयता के लिए बार बार परिवार सहित प्रतियोगिता दर्पण की तारीफ करना चाहूंगी.
मैं नहीं कहती कि ये सभी प्रतियोगिता करें ताकि ये ईनाम भेजने को बाध्य हो ,क्योंकि ये सभी जहाँ तक अपने कार्य की बात है बहुत उत्तम रूप से सम्पन्न करते हैं और इन्हें अपने प्रचार को ऐसी प्रतियोगिताओं की कोई आवश्यकता भी नहीं है,किन्तु यदि ये ऐसी प्रतियोगिता करते हैं तो अपने नाम को ख़राब न करें क्योंकि हमारे यहाँ से तो कानूनी नोटिस भेजना आसान है पर हर किसी के लिए यह आसान नहीं होता और इस तरह अपने उपभोक्ताओं से विश्वासघात किसी भी सूरत में अच्छा नहीं होता.
सबसे पहले बात मैं करूंगी हिंदी समाचार पत्र "राष्ट्रिय सहारा"की जिसमे मुझे और मेरी बहन को पहले जो इनाम मिले आये लेकिन एक बार ७०० रूपए के गिफ्ट हेम्पर का पुरस्कार मिला तो तीन वर्ष बीत ने ही वाले थे और हमारा इनाम हमें नहीं मिला तब वह ईनाम पापा ने कानूनी नोटिस भेजकर हमें दिलवाया और पता है वह ईनाम ऐसा आया कि उसको हमें जल्दी जल्दी निबटाना पड़ा .दो बड़े बेग और खूब सारे धूपबत्ती के पैकट बेग तो सही थे किन्तु धूपबत्ती ऐसी कि जल्दी जला जला कर खत्म करनी पड़ी.
अब सुनिए "अमर उजाला हिंदी दैनिक "की पहले कई ईनाम टाइम से आये किन्तु एक बार इसने मेरी बहन को वी.सी.डी. का ईनाम घोषित किया और वह भी हमें कानूनी नोटिस भेजकर प्राप्त करना पड़ा.
अब बात करें ऍफ़.एम्.के कार्यक्रम "आओ दिल्ली संवारें "की जो ऍफ़.एम्.रेनबो पर हर इतवार सुबह ११.३० पर आता है .ईनाम तो घोषित कर दिए किन्तु भेजे नहीं वहां से भी कानूनी नोटिस ने कम कराया और समय सीमा से पूर्व ईनाम घर आया.
अब सुनिए बहुत प्रसिद्द "daimond pocket बुक्स" के बारे में
पहले हम इसकी पत्रिका "साधना पथ "के सदस्य बने और स्वयं इस पत्रिका ने हमारे पत्र को ईनाम घोषित किया और घर पर फोन कर पता पूछा पर ईनाम नहीं आया जब हमने फोन किया तो कहा गया कि कोरियर सेवा वहां नहीं है किन्तु जब उन्हें कानूनी नोटिस भेजा तो वही कोरियर कंपनी जो कही गयी थी कि यहाँ नहीं है उससे ही हमारा ईनाम दो घडी घर पर आ गयी .
किन्तु इसी कंपनी की एक और पत्रिका है "गृह लक्ष्मी "जिसमे मेरे और मेरी बहन के कुल चार ईनाम घोषित हैं और दो साल बीतने आ गए हैं पर हमारे ईनाम नहीं आये और यह पत्रिका ऐसी है कि इस पर कानूनी नोटिस का भी फर्क नहीं पड़ा .
अभी हल में "clinic plus "जैसे विश्व विख्यात ब्रांड ने ९ जनवरी में समाचार पत्र "अमर उजाला"में मेरा ईनाम घोषित किया और कहा कि पुरस्कार एक महीने के भीतर भेजने को कहा किन्तु आज दो महीने से ऊपर हो गए है किन्तु न तो ईनाम का पता है और न उस नंबर का जिससे कॉल कर मेरा पता पूछा गया था.
पर एक पत्रिका ऐसे समय में भी अपनी विश्वसनीयता बनाये है और वह है "प्रतियोगिता दर्पण"जो आगरा उत्तर प्रदेश से प्रकाशित होती है और जिसमे समय समय पर मैं और मेरी बहन "शिखा कौशिक "पुरस्कार पाते है और पत्रिका द्वारा महीने भर के भीतर ही भेजे गया पुरस्कार प्राप्त करते है.इसलिए मैं विश्वसनीयता के लिए बार बार परिवार सहित प्रतियोगिता दर्पण की तारीफ करना चाहूंगी.
मैं नहीं कहती कि ये सभी प्रतियोगिता करें ताकि ये ईनाम भेजने को बाध्य हो ,क्योंकि ये सभी जहाँ तक अपने कार्य की बात है बहुत उत्तम रूप से सम्पन्न करते हैं और इन्हें अपने प्रचार को ऐसी प्रतियोगिताओं की कोई आवश्यकता भी नहीं है,किन्तु यदि ये ऐसी प्रतियोगिता करते हैं तो अपने नाम को ख़राब न करें क्योंकि हमारे यहाँ से तो कानूनी नोटिस भेजना आसान है पर हर किसी के लिए यह आसान नहीं होता और इस तरह अपने उपभोक्ताओं से विश्वासघात किसी भी सूरत में अच्छा नहीं होता.
टिप्पणियाँ
चलिए आपको बधाई
आपने अपने ब्लॉग में साइड बार को बड़ा कर रखा है और मुख्य बार (जिस पर आप लिखतीं हैं) को छोटा - इससे पढ़ने में तकलीफ होती है, हो सके तो इसको सुधार लें
inka mukhya maksad grahak aakarshit karna hai..isliye ye aaisi pratiyogitayen karate rahten hai...
सार्थक प्रविष्टि !
इतने ...
ढेरों पुरस्कार / उपहार मिल रहे हैं आपको !!
और ये विश्वास घात
तो मानो आज जड़ों तक ही फ़ैल चुका है
अभिवादन .
फुर्सत मिले तो अप्प मेरे ब्लॉग पे भी पधारिये
कभी फुर्सत मिले तो नाचीज़ की दहलीज़ पर भी आयें-
http://vangaydinesh.blogspot.com/
http://pareekofindia.blogspot.com/
http://kuchtumkahokuchmekahu.blogspot.com/
विष वास
विष देने के लिए जब किसी के यहाँ वास किया जाता है उसी को विश्वास कहते हैं |
पहले उसकी प्रसंशा की जाती है फिर उसके साथ रहा जाता है फिर उसे मौका देखर विष दिया जाता और विष देकर उसका घात किया जाता है |