होली को खेलो होली और नहीं कुछ ....

  आज मुझे ब्लॉग परिवार में बहुत सी होली की शुभकामनायें मिली किन्तु दुःख यह रहा कि  इंटरनेट के सही रूप से काम  न कर पाने के कारण  मैं अभी तक किसी को भी होली की शुभकामनायें प्रेषित नहीं कर पाई हूँ फिर मैंने सोचा की क्यों न मैं एक पोस्ट के माध्यम से ये पुनीत कार्य कर ही डालूँ.
  •     आज जब मैं बाज़ार से घर लौट रही थी तो देखा कि स्कूलों से बच्चे रंगे हुए लौट रहे हैं और वे खुश भी थे जबकि मैं उनकी यूनीफ़ॉर्म के रंग जाने के कारण ये सोच रही थी कि जब ये घर पहुंचेंगे तो इनकी मम्मी ज़रूर इन पर गुस्सा होंगी .बड़े होने पर हमारे मन में ऐसे ही भाव आ जाते हैं जबकि किसी भी त्यौहार का पूरा आनंद   बच्चे ही लेते हैं क्योंकि वे बिलकुल निश्छल भाव से भरे होते हैं और हमारे मन चिंताओं से ग्रसित हो जाते हैं किन्तु ये बड़ों का ही काम है कि वे बच्चों में ऐसी भावनाएं भरें जिससे बच्चे अच्छे ढंग से होली मनाएं.हमें चाहिए कि हम उनसे कहें कि होली आत्मीयता का त्यौहार है इसमें हम सभी को मिलजुल कर आपस में ही त्यौहार मानना चाहिए और कोशिश करनी चाहिए की हमारे काम से किसी के दिल को चोट न पहुंचे.ये कह कर कि "बुरा न मानो  होली है "कहने से गलत काम को सही नहीं किया जा सकता इसलिए कोशिश करो कि हम सबको ख़ुशी पहुंचाएं .किसी उदास चेहरे पर मुस्कुराहट  लाना हमारा त्यौहार मनाने का प्रमुख लक्ष्य होना चाहिए.फिर इस त्यौहार पर हम आज कुछ गलत वस्तुओं का प्रयोग कर दूसरों को परेशान करने की कोशिश करते हैं यह  भी एक गलत बात है त्यौहार पर हमें केवल प्राकृतिक रंगों से खेलना चाहिए.हम निम्न प्रकार रंग तैयार भी कर सकते हैं-
  • पिसे हुए लाल चन्दन के पाउडर को लाल रंग के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं.
  • हल्दी को पीले रंग के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं.
  • मेहँदी पाउडर को हरे रंग के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं.
  • गुडहल के फूलों को धूप में सुखाकर लाल रंग तैयार कर सकते हैं.
साथ ही रंग छुड़ाने के लिए भी आप इन तरकीबों का इस्तेमाल कर सकते हैं-
  • जहाँ रंग लगा हो उस स्थान पर खीरे की फांक रगड़ कर रंग छुड़ा सकते हैं.
  • नीम्बूँ के रस में चीनी मिलकर व् कच्चे पपीते के गूदे को रगड़ कर भी रंग छुड़ाया जा सकता है.
इस पर्व से जुडी सबसे प्रमुख कथा भक्त प्रह्लाद की है जिसमे उन्हें मारना  के लिए होलिका उन्हें लेकर अग्नि में बैठी  और भगवन भोलेनाथ द्वारा दिया गया दुशाला ओढ़ लिया किन्तु भक्त प्रह्लाद इश्वर  के सच्चे भक्त थे दुशाला उन पर आ गया और होलिका जल कर भस्म हो गयी इसी याद में हर वर्ष होलिका दहन किया जाता है और दुश्प्रवर्तियों   के शमन की कामना की जाती है.
आज आवश्यकता इसी बात की है की हम इस त्यौहार के मानाने  के कारण  पर ध्यान दें न की इसके ढंग पर .और आपस में भाईचारे को बढ़ाने  का काम करें न की नई दुश्मनिया बढ़ने का.जो ढंग इस वक़्त इस त्यौहार को मनाने का चल रहा है वह सही नहीं है.हम देखते हैं की रंग लगने के बाद सभी एक जैसे हो जाते हैं कोई बड़ा छोटा नहीं रह जाता .कोई अमीर  गरीब नहीं रह जाता तो हमारी भी कोशिश सभ्यता के दायरे में रहते हुए आपसी  प्रेम को बढाने की होनी चाहिए.मैं सोचती हूँ की मेरा यह लेख इस दिशा में आपको ज़रूर प्रेरित करेगा.मैं आपको अंत में साधक गुरुशरण के शब्दों में होली मनाने के उत्तम ढंग बताते हुए होली की शुभकामनायें प्रेषित करती हूँ.
"आओ खेलें ज्ञान की होली,
राग द्वेष भुलाएँ,
समता स्नेह  बढ़ा के दिल में
प्रेम का रंग लगायें."
     
            शालिनी कौशिक

टिप्पणियाँ

Dr. Yogendra Pal ने कहा…
आपकी सलाह का ध्यान रखता यदि इस बार होली मनाता

आपको होली मुबारक हो

कमेन्ट में लिंक कैसे जोड़ें? वीडियो
सुंदर जानकारी ,सार्थक आव्हान .

रंग पर्व की मंगलकामनाएं
hanirahit rangon ki sahi jaankari di aapne ... holi ki shubhkamnayen
kshama ने कहा…
Behad achhe lage aapke khayalat.Tyohar ke din kisee ko dukh nahee pahuchana chahiye!
Rangon ke wikalp aur chhudane ke tareeqebhee bahut badhiya hai!
Holi mubarak ho!
आपको पूरे परिवार सहित होली की बहुत-बहुत शूभकामनाएँ!
कविता रावत ने कहा…
बहुत सुन्दर होली प्रस्तुति
आपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनाएं
Unknown ने कहा…
होली रंगों के इस त्यौहार की हार्दिक शुभकामनाये।


jai baba banaras..............
उम्मतें ने कहा…
रंगपर्व की अशेष शुभकामनाएं !
प्रशंसनीय.........लेखन के लिए बधाई।
==========================
देश को नेता लोग करते हैं प्यार बहुत?
अथवा वे वाक़ई, हैं रंगे सियार बहुत?
===========================
होली मुबारक़ हो। सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी
प्रशंसनीय.........लेखन के लिए बधाई।
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देश को नेता लोग करते हैं प्यार बहुत?
अथवा वे वाक़ई, हैं रंगे सियार बहुत?
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होली मुबारक़ हो। सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी
मनोज कुमार ने कहा…
साल में एक दिन का त्योहार है।
रंगोत्सव मनाएं जी भर कर।
हैप्पी होली!
होली की शुभकामनायें
बहुत अच्छी जानकारी दी आपने, शुक्रिया।

होली की शुभकामनाओं के लिये आपका धन्यवाद, आप सबके लिये भी शुभकामनायें।
G.N.SHAW ने कहा…
शालिनी जी होली दिल जितने के लिए मनानी चाहिए ...दिल हारने के लिए नहीं ....आप के सुझाव बेहद उपयोगो ..साल का दिन है ...परहेज भी करना जरुरी है..हैपी होली !
नमस्कार शालिनी जी । आपके लिये भेजा गया ।श्री भोला जी का ये मेल असावधानी से मेरे पास आ गया । इसे आपको कमेंट द्वारा पहुँचा रहा हूँ ।
Mon, 21 March, 2011 1:33:21 AM
Re: [महावीर बिनवउँ हनुमाना] अनुभवों का रोजनामचा # 3 2 2 पर नई टिप्पणी.

From: VN Shrivastav
Cc: RAJEEV KUMAR KULSHRESTHA

आदरणीया बहिन शालिनी जी। मैने नही लिखा है । कुछ भी और न कुछ भी गाया है । मेरी कलम पकड कर वह सब सत्गुरु ने लिख्वाया है । चित मन बुद्धि विवेक भाव सब मैने "उनसे" पाया है । बहिना ! मेरा परम गुरु -" ऊपर वाला रघुराया " है । वह सर्वशक्तिमान , सर्वज्ञ पर्मेश्वर जो सर्वत्र है , आपमे है मुझमे है ! फ़िर भय किसका ? और कैसी निराशा ? बहिन मै अस्वस्थ नही हूँ ! ८२ वर्ष की अवस्था मे खाता पीता लिखता पढता गाता बजाता हूँ ! और क्या चाहिये ? "उनकी" अनन्त कृपा का आनन्द लूट रहा हूँ ! सादर आपका । भोला भैया

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2011/3/20 शालिनी कौशिक
शालिनी कौशिक ने आपकी पोस्ट " अनुभवों का रोजनामचा # 3 2 2 " पर एक टिप्पणी छोड़ी है:
भोला जी ,
बहुत अच्छा लिखते हैं आप.बीमारी ने आपमें निराशा जरूर भर दी है किन्तु अब आप ब्लॉग परिवार से जुड़े हैं और राजीव जी जैसे सहयोगी आपके साथ हैं तो आप निराशा की बातें छोड़ दें वैसे भी आप हनुमान जी के भक्त हैं जो बड़ी से बड़ी परेशानी को हिम्मत से दूर हटा देते हैं.
शालिनी कौशिक द्वारा महावीर बिनवउँ हनुमाना के लिए March 20, 2011 2:02 PM को पोस्ट किया गया
लाजबाब शालिनी जी
होली की अनेक शुभ कामनाओं सहित
Dinesh pareek ने कहा…
आपका ब्लॉग पसंद आया....इस उम्मीद में की आगे भी ऐसे ही रचनाये पड़ने को मिलेंगी कभी फुर्सत मिले तो नाचीज़ की दहलीज़ पर भी आयें-

रंग के त्यौहार में
सभी रंगों की हो भरमार
ढेर सारी खुशियों से भरा हो आपका संसार
यही दुआ है हमारी भगवान से हर बार।

आपको और आपके परिवार को होली की खुब सारी शुभकामनाये इसी दुआ के साथ आपके व आपके परिवार के साथ सभी के लिए सुखदायक, मंगलकारी व आन्नददायक हो।
प्रेरक प्रस्तुति,
काश, सभी ऐसा ही सोचते और करते।

होली की हार्दिक शुभकामनाएं।
amar jeet ने कहा…
"आओ खेलें ज्ञान की होली,
राग द्वेष भुलाएँ,
समता स्नेह बढ़ा के दिल में
प्रेम का रंग लगायें."
बहुत अच्छी जानकारिया आपने दी वास्तव में इस पर्व में हम यह कहकर बुरा न मानो होली है और कुछ भी कर गुजरते है परन्तु यह नहीं सोचते है की इससे सामने वाले के दिल पर क्या बीतती होगी
Vijuy Ronjan ने कहा…
Holi ka rang man ko rangne ko hota hai...na ki tan ko rangne ko...jo tan ko rangte hain wo holi nahi khelte....asli holi to man ko rangne ka hi naam hai...

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