ये वंशवाद नहीं है क्या?

ये वंशवाद नहीं है क्या?
           
   उत्तर  प्रदेश में नयी सरकार  का गठन जोरों पर है .सपा ने बहुमत हासिल किया और सबकी जुबान पर एक ही नाम चढ़ गया माननीय मुख्यमंत्री पद के लिए और वह नाम है ''अखिलेश यादव''.जबकि चुनाव के दौरान अखिलेश स्वयं लगातार माननीय नेताजी शब्द का उच्चारण इस पद के लिए करते रहे  जिसमे साफ साफ यही दिखाई दे रहा था कि उनका इशारा कभी अपने पिताजी तो कभी अपनी ओर है  क्योंकि माननीय नेताजी तो कोई भी हो सकते हैं पिता हो या पुत्र और फिर यहाँ तो कहीं भी वंशवाद की छायामात्र   भी नहीं है दोनों ही राजनीतिज्ञ हैं और दोनों ही इस पद के योग्य भी .वे इस बारे में भले  ही कोई बात कहें  कहने के अधिकारी भी हैं और फिर उन्हें भारतीय माता की संतान होने  के कारण भारतीय मीडिया ने बोलने  का हक़ भी दिया है किन्तु कहाँ  है वह मीडिया जो नेहरु-गाँधी परिवार  के बच्चों  के राजनीति में आने पर जोर जोर से ''वंशवाद ''के खिलाफ बोलने लगता है क्या यहाँ उन्हें वंशवाद की झलक नहीं दिखती.  अखिलेश को चुनाव से पूर्व मुख्यमंत्री के रूप में प्रस्तुत नहीं किया गया और चुनावों के बाद पिता के दम पर हासिल जीत को पुत्र को समर्पित कर राजनीति में ''अपनी ढपली अपना राग''शुरू कर दिया गया.पर यहाँ कोई नहीं कहेगा  कि यहाँ कुछ भी ऐसा हुआ है जिसकी आलोचना स्वयं वे ही करते रहे हैं जो आज यही कर रहे हैं.सबको उनमे युवा वर्ग का भविष्य दिख रहा है सही है चढ़ते सूरज को सलाम करने से कोई भी क्यों चूकना चाहेगा.
                  शालिनी कौशिक 

टिप्पणियाँ

kshama ने कहा…
Jahan,jahan jis jis ka bas chalta hai,apni dhapli apna raag shuru ho jata hai!
Raravi ने कहा…
सच कहा आपने, पहले तो मुझे इसका ख्याल ही नहीं आया था. नेताओं और अभिनेताओं के मामले में हमें अब तो इसकी आदत सी हो गयी है. दुसरे प्रोफेशन में भी इसे अनुमति दी जनि चाहिए. आपने सही सवाल उठाया है.
अब शायद हम नेहरु गाँधी परिवार के प्रति नकारात्मक रूप से पूर्वाग्रह ग्रस्त हो गए हैं.
बेनामी ने कहा…
ye kahi se bhi vanshvaad nahi hain, akhilesh mein pratibhaa hain aur usi dam par vo jeet kar aaye hain,kai log ye bhi kah rahe hain ke ab UP mein gundaaraaz aa gaya hain.ye kahna bhi galat hain. akhilesh ko shashan karne dijiye dekhiye parkhiye fir boliye
Anita ने कहा…
सही सवाल उठाया है...
रचना ने कहा…
vansh vaad kaa arth hota haen jab kisi pratibhavaan ko kewal is liyae mauka naa diyaa jaaye ki wo hamaraa betaa yaa beti nahin haen

parivaar me ek doctor kaa beta doctor banta haen to kyaa usko vansh vaad kahaegae

baaki sab mahatmaa gandhi nahin ho saktey jo apnae bachcho ki sochtae hi nahin they

par kyaa aap jaantee haen unkae bachhae unsae kitni nafrat kartae they

gandhi my father daekh kar bahut kuchh samjhaa jaa saktaa haen
Atul Shrivastava ने कहा…
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर की गई है।
चर्चा में शामिल होकर इसमें शामिल पोस्ट पर नजर डालें और इस मंच को समृद्ध बनाएं....
आपकी एक टिप्‍पणी मंच में शामिल पोस्ट्स को आकर्षण प्रदान करेगी......
सदा ने कहा…
बहुत सही कहा है आपने ...

कल 14/03/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.
आपके सुझावों का स्वागत है .. धन्यवाद!


सार्थक ब्‍लॉगिंग की ओर ...
Udan Tashtari ने कहा…
बच्चा खेले भी न क्या बाप के राज में .....हद करते हैं आप....इसमें कैसा वंशवाद...वो सिर्फ गाँधी परिवार के लिए रिजर्व है जी.हा हा!!
अपनी ढफली अपना राग अलापते लोग - विचार कर रही हूँ आपकी बातों पर..सुन्दर पोस्ट
ये वंशवाद ही है ... सभी कहते हैं डाक्टर के बेटा डाक्टर हो सकता है हो राजनेता का क्यों नहीं ... मैं इत्तेफाक नहीं रखता इस बात से ... क्या आप किसी भी डाक्टर के बेटे के पास इसलिए जायंगे की उसका बेटा है चाहे वो बेटा डाक्टर नहीं हो ... शायद नहीं पर इन नेताओं के बच्चों को जबरदस्ती चुनना पढता है क्योंकि विकल्प ही नहीं छोड़ते वो ....
बहुत सही कहा है आपने...ये वंशवाद ही है

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