इसलिए राहुल सोनिया पर ये प्रहार किये जाते हैं .


इसलिए राहुल सोनिया पर ये प्रहार किये जाते हैं .

Sunita Williams
जगमगाते अपने तारे गगन पर गैर मुल्कों के ,
तब घमंड से भारतीय सीने फुलाते हैं .
टिमटिमायें दीप यहाँ आकर विदेशों से ,
धिक्कार जैसे शब्द मुहं से निकल आते हैं .

नौकरी करें हैं जाकर हिन्दुस्तानी और कहीं ,
तब उसे भारतीयों की काबिलियत बताते हैं .
करे सेवा बाहर से आकर गर कोई यहाँ ,
हमारी संस्कृति की विशेषता बताते हैं .
Sonia Gandhi, Rahul Gandhi and Prime Minister Manmohan Singh look at newly elected party state presidents of the Indian Youth Congress seek blessings at a convention in New Delhi. Sonia in action
राजनीति में विराजें ऊँचे पदों पे अगर ,
हिन्दवासियों के यशोगान गाये जाते हैं .
लोकप्रिय विदेशी को आगे बढ़ देख यहाँ ,
खून-खराबे और बबाल किये जाते हैं.
Demonstrators from the Samajwadi Party, a regional political party, shout slogans after they stopped a passenger train during a protest against price hikes in fuel and foreign direct investment (FDI) in retail, near Allahabad railway station September 20, 2012 (Reuters / Jitendra Prakash)
क़त्ल होता अपनों का गैर मुल्कों में अगर ,
आन्दोलन करके विरोध किये जाते हैं .
अतिथि देवो भवः गाने वाले भारतीय ,
इनके प्रति अशोभनीय आचरण दिखाते हैं .

विश्व व्यापी रूप अपनी संस्था को देने वाले ,
संघी मानसिकता से उबार नहीं पाते हैं .
भारतीय कहकर गर्दन उठाने वाले ,
वसुधैव कुटुंबकम कहाँ अपनाते हैं 

भारत का छोरा जब गाड़े झंडे इटली में ,
भारतीयों की तब बांछें खिल जाती हैं .
इटली की बेटी अगर भारत में बहु बने ,
जिंदादिल हिंद की जान निकल जाती है .

अलग-अलग मानक अपनाने वाले ये देखो ,
एक जगह एक जैसे मानक अपनाते हैं ,
देशी हो विदेशी हो भारत की या इटली की ,
बहुओं को सारे ये पराया कह जाते हैं .


मदर टेरेसा आकर घाव पर लगायें मरहम ,
सेवा करवाने को ये आगे बढ़ आते हैं .
सोनिया गाँधी जो आकर राज करे भारत पर ,
ऐसी बुरी हार को सहन न कर पाते हैं.
The dead Indira Gandhi with her son, Prime Minister Ranjiv Ghandi.
सारा परिवार देश हित कुर्बान किया ,
ऐसी क़ुरबानी में ये ढूंढ स्वार्थ लाते हैं .
नेहरु गाँधी परिवार की देख प्रसिद्धि यहाँ ,
विरोधी गुट सारे जल-भुन जाते हैं .
सोनिया की सादगी लुभाए नारियों को यहाँ ,
इसीलिए उलटी सीधी बाते कहे जाते हैं .
पद चाह छोड़कर सीखते जो ककहरा ,
राहुल के सामने खड़े न हो पाते हैं .

राजनीति में विराजें कितने ही अंगूठा टेक ,
पीछे चल जनता उन्हें सर पर बैठाती है .
राहुल गाँधी कर्मठता से छा न जाये यहाँ कहीं ,
उनकी शिक्षा को लेकर हंसी करी जाती है .

भेदभाव भारत में कानूनन निषिद्ध हुआ ,
लोग पर इसे ही वरीयता दिए जाते हैं 
योग्यता और मेहनत को मिलता तिरस्कार यहाँ ,
इसलिए राहुल सोनिया पर ये प्रहार किये जाते हैं .
                      शालिनी कौशिक 
                                   [कौशल ]








टिप्पणियाँ

Shikha Kaushik ने कहा…
sahmat hun .sarthak prastuti .aabhar
इस नेहरु गांधी परिवार की चरण वंदना करने वाले वही लोग हैं जो १००० साल पहले बाहर के हमलावरों को भारत पर अपने भाइयो पर हमला करने के लिए बुलाते थे, और धर्मपरिवर्तन करते थे. अंग्रेजो के समय में उनकी गुलामी करते थे. उन्ही लोगो के हाथ में १९४७ में देश का शासन आ गया. और कांग्रेस को वोट और समर्थन भी उसी विचारधारा के लोग ही करते हैं. ये देश एक लोकतांत्रिक देश हैं. किसी परिवार की बपौती नहीं हैं. ये परिवार इस देश की सभी समस्याओं की जड़ है. कांग्रेस से ज्यादा जिम्मेदार उन्हें समर्थन करने वाले हैं.
bilkul sahee baat kahee hai aapne Shalini ji...I am with you here.
Rakesh Kumar ने कहा…
आपने अच्छे से अभिव्यक्त किया है अपने आपको.

परन्तु,राहुल,सोनिया के बारे में सबके विचार अलग अलग हो सकते हैं.

लोगो ने पसंद किया इसीलिए तो सत्ता सौंपी इन्हें.
क्या देश की हालत के लिए केवल विपक्ष ही जिम्मेवार है,कांग्रेस,सोनिया,राहुल नही ?
सारा परिवार देश हित कुर्बान किया ,
ऐसी क़ुरबानी में ये ढूंढ स्वार्थ लाते हैं .
नेहरु गाँधी परिवार की देख प्रसिद्धि यहाँ ,
विरोधी गुट सारे जल-भुन जाते हैं .

वाह,,वाह आपने तो मेरे मन की बात कह दी,,,बहुत खूब,,,,,काबिले तारीफ सुन्दर रचना,,,,बधाई,,,

RECECNT POST: हम देख न सके,,,
virendra sharma ने कहा…
अजी सितारा हो तो हम भी अर्घ्य चढ़ाएं .ब्लेक होल का क्या करें .चर्च के एजेंटों का क्या करें जिन्हें भारतीय राजनीति की काया पे जतन से रोपा गया है ?
virendra sharma ने कहा…

मंगलवार, 2 अक्तूबर 2012
ये लगता है अनासक्त भाव की चाटुकारिता है .
विदुषियो ! यह भारत देश न तो नेहरु के साथ शुरु होता है और न खत्म .जो देश के इतिहास को नहीं जानते वह हलकी चापलूसी करते हैं .

रही बात सोनिया जी की ये वही सोनियाजी हैं जो बांग्ला देश युद्ध के दौरान राजीव जी को लेकर इटली भाग गईं थीं एयरफोर्स की नौकरी छुड़वा कर .

भारतीय राजकोष से ये बेहिसाब पैसा खर्च करतीं हैं अपनी बीमार माँ को देखने और उनका इलाज़ करवाने पर .

और वह मंद बुद्धि बालक जब जोश में आता है दोनों बाजुएँ ऊपर चढ़ा लेता है गली मोहल्ले के गुंडों की तरह .

उत्तर प्रदेश के चुनाव संपन्न होने के बाद कोंग्रेस की करारी हार के बाद भी इस बालक ने बाजुएँ चढ़ाकर बोलना ज़ारी रखा -मैं आइन्दा भी उत्तर प्रदेश के खेत खलिहानों में

आऊँगा .इस कुशला बुद्धि बालक के गुरु श्री दिग्विजय सिंह जी को बताना चाहिए था -बबुआ चुनाव खत्म हो गए अब इसकी कोई ज़रुरत नहीं है .

इस पोस्ट में जो भाषा इस्तेमाल की गई है उसका भारतीय भाषा से कोई तालमेल नहीं है .यह चरण- चाटू भाषा है जो कहती है लाओ अपने चरण जीभ से चाटूंगी .सीधी- सीधी

चापलूसी है इस भाषा में कोई भी दो पंक्ति ले लीजिए पहली पंक्ति सामान्य रूप से कही जाती है ,दूसरी में ज़बर्ज़स्ती कीलें ठोक दी जातीं हैं किले खड़े कर दिए जातें हैं ..हरेक

पंक्ति के बीच यात्रा राहुल सोनिया के बीच की जाती है .एक छोर पर राहुल दूसरे पर सोनिया .

जिन्हें इतिहास का पता नहीं बलिदान का पता नहीं जिन्हें ये नहीं पता इस मुल्क के महाराष्ट्र जैसे राज्यों के तो कुल के कुल बलिदान हो गए,अनेक पीढियां हैं बलिदानी

.सावरकर को उम्र भर की सजाएं मिलीं .पंजाब में गुरुओं ने क्या जुल्म न सहे .क्या क्या कुर्बानी देश के लिए न दीं.

औरतें तो इस देश में खुद्द्दार हुआ करतीं थीं .चाटुकारिता कबसे करने लगीं? पुरुष बाहर रहता था उसे बेचारे को कई तरह के समझौते करने पड़ते थे .महिलाएं चारणगीरी नहीं

करतीं थीं .

और फिर चाटुकारिता के भी आलंबन होते थे .जिसकी चाटुकारिता की जाती थी उसमें कुछ गुण होते थे .जो योद्धा होते थे उनकी वीरता का यशोगान कर उनमें जोश भरा जाता

था .चाटुकारिता निश्चय ही राजपरिवारों के प्रति रही आई है .लेकिन इस पाए की नहीं .

लेकिन जिसे भारत की संस्कृति भाषा भूगोल आदि का ज़रा भी ज्ञान नहीं जिसका कोई कद और मयार नहीं वह आलंबन किस काम का .

ये लगता है अनासक्त भाव की चाटुकारिता है .

गीता में अनासक्त भाव की भक्ति का योग है .लेकिन जिस भक्ति भाव और तल्लीनता से यह चाटुकारिता की गई है वह श्लाघनीय है

भले यह स्तुति इनका वैयक्तिक

मामला हो .

सन्दर्भ -सामिग्री :-


Monday, October 1, 2012
इसलिए राहुल सोनिया पर ये प्रहार किये जाते हैं .
इसलिए राहुल सोनिया पर ये प्रहार किये जाते हैं
virendra sharma ने कहा…
विदूषी मोहतरमा जी !चाटुकारिता दो प्रकार की होती है एक निष्प्रयोजन और दूसरी सप्रयोजन .कहतें हैं मतलब के लिए तो गधे को भी बाप बनाना पड़ता है .यह सप्रयोजन चाटुकारिता है .लेकिन अनासक्त भाव से कोई भी कोई गधे को बाप बनाता रहे तो बनाए .हमें उससे क्या .अभिव्यक्ति का अपना सुख है .लेकिन हमें तो सिर्फ यह कहना है ऐसे छल छद्मियों की चाटुकारिता करना कुम्भी पाक नरक में गिरना है फिर भी यदि कोई ..उन लोगों की स्तुति करता रहे जो राजनीति के छल छद्म से बाज़ नहीं आते ,जिनके लिए आतंकवाद भी वोट परस्ती में आजाता हो चाहे वह राहुल बाबा जी हों या माता जी इटली वाली तो करे .सबकी अभिव्यक्ति का अपना अपना सुख है .

अभिव्यक्ति के स्तर पर गाली भी होती है जो इस प्रकार के चाटुकार होतें हैं जो निष्प्रयोजन चाटुकारिता करतें हैं वह बाद में गाली भी देते हैं .गाली देना भी उनका अपना सुख है .अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है ,दें गाली .
राजन ने कहा…
शालिनी जी आपकी भावना से विरोध नहीं है पर ये तो बताइए कि भारत में किस राजनेता का विरोध नहीं होता यहाँ तक कि हम तो अपने भगवान राम कृष्ण तक कि आलोचना कर डालते है आजाद भारत में जितना विरोध महात्मा गाँधी का हुआ है शायद ही नेहरू इंदिरा या किसी और का हुआ हो।फिर सोनिया और राहुल में ही क्या विशेष है?और ध्यान रहे सोनिया गाँधी के विदेशी मूल का मुद्दा जनता के लिए कभी महत्वपूर्ण नहीं रहा केवल विपक्षी दलों ने उसे उछाला हालाँकि अब ऐसा कम होता है और विपक्ष तो होता ही है विरोध के लिए।इसमें सोनिया राहुल कौनसे कम है?आपको क्या लगता है दिग्विजय सिंह जैसे नेता बयान देते है तो किसकी मर्जी से?जनता ने तो कभी सोनिया को ही पीएम देखना चाहा था लेकिन उन्होंने ही त्याग की देवी(?) बनते हुए पद स्वीकार नहीं किया तो कोई क्या करे(ये अलग बात है कि आज भी सुपर पीएम तो बनी ही हुई है)
राजन ने कहा…
मदर टैरेसा को लेकर क्या भारतीयों की सोच इतनी गई गुजरी है कि आप उसे स्वार्थ बताकर धिक्कारने लगे ?जबकि बहुत से आज भी उनका सम्मान आपकी ही तरह करते है।हाँ कुछ अपवाद हर जगह होते है।दक्षिण अफ्रिका में आज भी गाँधी का नाम सम्मान से लिया जाता है क्या आपकी नजर में वो लोग भी स्वार्थी हैं क्या आप उनके लिए भी यही बात कह सकती है।ऑस्ट्रेलिया में भारतीय छात्रों पर हमले होते रहे कब से पाकिस्तान में हिंदूऔं का जीना हराम हो रहा है कब जनता ने बवाल खड़ा किया इस पर ?क्या आपको लगता है किसी यूरोपीय देश के लोगों के साथ भारत में ऐसा हो रहा होता तो वो चुप बैठते?इंदिरा राजीव संजय गाँधी आदि किसी जंग के मैदान में नहीं या तो आतंकी हमलों में मारे गए या दुर्घटनावश।वर्ना सत्ता में रहते हुए इनमें से किसीने देश पर इमरजेन्सी थोपी तो किसीने सिख विरोधी दंगे की शर्म देश पर लादी (राजीव का बयान भी याद करें एक बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती हिलती ही है) तो किसीने आबादी कम करने के नाम पर चीन की तर्ज पर तानाशाही दिखाई लेकिन तब भी इनका गुणगान करने वालों की भारत में कोई कमी नहीं।फिर किस बात से परेशानी है आपको?
राजन ने कहा…
और आप इस तरह दूसरो पर आरोप लगा रही हैं।जबकि आप भी जानती है पाकिस्तान से आने वाले कलाकारों को भी भारतीय जनता ने हमेशा से सिर आँखो पर बिठाया है कभी उनका विरोध केवल इसलिए नहीं किया कि वो हमारे शत्रु देश से आए हैं(अब ये मत कहिएगा कि वो लोग तो आपका मन बहलाते हैं इसलिए उन्हें भाव तो देंगे ही)।हाँ शिवसेना जैसी पार्टी की बात और है उन्हें तो कोई न कोई मुद्दा चाहिए वो तो उत्तर भारतीयों का भी विरोध करते है और वैसे भी ऐसे नेता हर जगह होते है क्या अमेरिका में विरोधी दल ये हल्ला नहीं मचाते कि हमारी नौकरिया भारतीय खा रहे है और अब तो अमरीकी जनता भी यही सोचने लगी है।
राजन ने कहा…
और आप इस तरह दूसरो पर आरोप लगा रही हैं।जबकि आप भी जानती है पाकिस्तान से आने वाले कलाकारों को भी भारतीय जनता ने हमेशा से सिर आँखो पर बिठाया है कभी उनका विरोध केवल इसलिए नहीं किया कि वो हमारे शत्रु देश से आए हैं(अब ये मत कहिएगा कि वो लोग तो आपका मन बहलाते हैं इसलिए उन्हें भाव तो देंगे ही)।हाँ शिवसेना जैसी पार्टी की बात और है उन्हें तो कोई न कोई मुद्दा चाहिए वो तो उत्तर भारतीयों का भी विरोध करते है और वैसे भी ऐसे नेता हर जगह होते है क्या अमेरिका में विरोधी दल ये हल्ला नहीं मचाते कि हमारी नौकरिया भारतीय खा रहे है और अब तो अमरीकी जनता भी यही सोचने लगी है।

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