''बेरोजगारों की भीड़ ''.
बेरोजगारों की भीड़ ''.
भीड़ भीड़ भीड़ हर ओर भीड़ ही भीड़ देख माथा ठनक सा जाता है और अब एक और भीड़ बढ़ाने चली है हमारी उत्तर प्रदेश सरकार -''बेरोजगारों की भीड़ ''.
यही कहना पड़ रहा है जो हाल हमने इस योजना का अभी हाल ही में देखा है उसे देखकर ,जिसे देखो इस योजना में मिलने वाले 1000/- रुपये प्रति महीने पाने को लालायित हो रहा है .पहले कभी किसी नौकरी के लिए भले ही आवेदन न किया हो तब भी इस योजना के लिए मूल निवास प्रमाण पत्र ,राशन कार्ड की फोटो प्रति दो पासपोर्ट साइज़ फोटो लिए भागा फिर रहा है .कमाल की बात तो ये है कि बेरोजगार लोग आवेदन पत्र जमा करने के लिए अपनी कारों बल्कि यूं कहूं तो जयादा सही रहेगा कि अपनी निजी कारों में लदकर वहां पहुंचे और सड़कों पर जरा से जाम पर हो हल्ला करने वाले ये युवा वहां शांति पूर्वक लाइन में खड़े रहे .जिस किसी से भी हमारी बात हुई उसका यही कहना था कि महीने में 1000 रुपये मिल रहे हैं तो कोई बुरी बात थोड़े ही है इन्हें लेने में . जब हम पढ़े लिखे हैं ,इसी आयु सीमा में आते हैं तो इसका फायदा क्यों न उठायें.और आज इसी कारण ये हाल है कि स्व रोजगार में सफलता पूर्वक जुटे युवा इस ओर मुड़ रहे हैं और उत्तर प्रदेश में बेरोजगारों की संख्या को चार गुनी दिखा रहे हैं .उत्तर प्रदेश सरकार की मुफ्त में कुछ न कुछ बाँटने की नीति के बारे में यही कहा जा सकता है कि ये केवल भिखारियों की संख्या बढ़ा रही है और कुछ नहीं .
यही कहना पड़ रहा है जो हाल हमने इस योजना का अभी हाल ही में देखा है उसे देखकर ,जिसे देखो इस योजना में मिलने वाले 1000/- रुपये प्रति महीने पाने को लालायित हो रहा है .पहले कभी किसी नौकरी के लिए भले ही आवेदन न किया हो तब भी इस योजना के लिए मूल निवास प्रमाण पत्र ,राशन कार्ड की फोटो प्रति दो पासपोर्ट साइज़ फोटो लिए भागा फिर रहा है .कमाल की बात तो ये है कि बेरोजगार लोग आवेदन पत्र जमा करने के लिए अपनी कारों बल्कि यूं कहूं तो जयादा सही रहेगा कि अपनी निजी कारों में लदकर वहां पहुंचे और सड़कों पर जरा से जाम पर हो हल्ला करने वाले ये युवा वहां शांति पूर्वक लाइन में खड़े रहे .जिस किसी से भी हमारी बात हुई उसका यही कहना था कि महीने में 1000 रुपये मिल रहे हैं तो कोई बुरी बात थोड़े ही है इन्हें लेने में . जब हम पढ़े लिखे हैं ,इसी आयु सीमा में आते हैं तो इसका फायदा क्यों न उठायें.और आज इसी कारण ये हाल है कि स्व रोजगार में सफलता पूर्वक जुटे युवा इस ओर मुड़ रहे हैं और उत्तर प्रदेश में बेरोजगारों की संख्या को चार गुनी दिखा रहे हैं .उत्तर प्रदेश सरकार की मुफ्त में कुछ न कुछ बाँटने की नीति के बारे में यही कहा जा सकता है कि ये केवल भिखारियों की संख्या बढ़ा रही है और कुछ नहीं .
शालिनी कौशिक
[कौशल ]
टिप्पणियाँ
RECENT POST - मेरे सपनो का भारत
आप सही कह रही हैं,शालिनी जी.
बिना कुछ किये धरे मुफ्त में मिले
तो भिखारी ही बढेंगें.
"''बेरोजगारों की भीड़ ''."
शालिनी जी ये तो अच्छी बात है जनता का पैसा जनता के पास ही आरहा है .रही बे -रोज़ गारी की बात ,हमारे यहाँ तो खेतों में भी अंडरएम्प्लोय्मेंट है उसी "जोत " पे पीढ़ी -दर -पीढ़ी कुनबा पलता है आकार में कुनबा बढ़ता है ,जोत वही की वही बनी रहती है .
मायावती तो अपनी और हाथियों की मूर्तियों तक ,हीरे से लदी गर्दन तक ही महदूद रहीं ,अपना अखिलेश्वा कुछ काम तो कर रिया है .अपनी और अपने "नेता जी "की प्रतिमा तो नहीं बनवा रहा है .
रही बात कार की तो आज हिन्दुस्तान के हर दल्ले के पास कार है ,एक एक घर में कई कई छोटी कारें हैं ,कार पद प्रतिष्ठा का विषय हमारे दौर में हुआ करती थी .जब हम सागर विश्वविद्यालय में पढ़ते थे (१९६३-६७ ),लेदे के पूरे केम्पस में एक दो कारें ही होतीं थीं .एक होती थी अस्थाना जी के पास (मनोविज्ञान विभाग ),एक दुबे जी के पास (समाज विज्ञान विभाग ).हम उनकी कार देखें जाया करते थे .एम्बेसडर ,सफ़ेद शफ्फाक .उस दौर में तो मोटरसाइकिल /स्कूटर रखना ही बड़ी बात थी .
हरियाणा के विभिन्न महाविद्यालयों में निरंतर ३८ बरस पढ़ाया .(१९६७ -२००५ ),साइकिलें ही साइकिलें होतीं थीं कोलिज साइकिल स्टेंड पर ,या फिर इक्का दुक्का स्कूटर.
अर्थ व्यवस्था के उदारीकरण की सौगात हैं ये कारें ,इनके लिए बैंक से मिलने वाला ऋण ,कार लाये आपके द्वारे .
कौन सी कार्रों की बात कर रहीं हैं आप ?जो भर भर के बे -रोजगारी भत्ता लेने पहुँच रहीं हैं .हिन्दुअतान में तो जुगाड़ को भी डीज़ल वाहन
में तबदील करने का हुनर है .खटारा कार में बैठना ठूंसा ठूस भी तो कष्ट साध्य है उसके लिए अलग से भत्ता मिलना चाहिए .इत्ती कम जगह में इत्ते सारे युवा .वाह क्या बात है सहनशीलता की .बहर -सूरत आपने इस ताज़ा मुद्दे से वाकिफ करवाया ,शुक्रिया .
वीरुभाई ,कैंटन ,मिशिगन .