अब आई कॉंग्रेस की बारी
बहुत उछल रहे थे अभी तक भाजपा वाले कॉंग्रेस के कोल ब्लोक आवंटन के घोटाले को लेकर समझ रहे थे कि अबकी सत्ता हमीं लेकर रहेंगे लेकिन महाराष्ट्र में अंजली ने उनके इन उछलते क़दमों को मचलते और तड़पते क़दमों में पलट दिया है नवभारत टाइम्स पर प्रकाशित प्रस्तुत समाचार भाजपा अध्यक्ष को भी उसी श्रेणी में ले आया है जिसमे वे कॉग्रेसियो को घसीट रहे थे आखिर वे स्वयं को नेताओं की जमात से कैसे अलग रख रहे हैं जो कि पूरी की पूरी भ्रष्टाचार के दलदल में डूबी हुई है
उधर, अंजलि के आरोपों से बीजेपी बौखला गई है। फरीदाबाद में बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के दौरान पार्टी प्रवक्ता प्रकाश जावेड़कर ने मीडिया से बातचीत में इस पर तीखी प्रतिक्रिया जाहिर की। उन्होंने इसे कांग्रेस की साजिश करार दिया। जावेड़कर ने कहा कि कांग्रेस ने सिंचाई घोटाले से ध्यान बंटाने के लिए यह साजिश रची है।
अंजलि के मुताबिक गडकरी से उनकी मुलाकात 14 अगस्त को दस बजे वर्ली स्थित गडकरी के घर पर हुई थी। इस सिलसिले में अब तक उनकी तीन मुलाकातें हुईं, जिनमें दिल्ली में हुई एक मुलाकात भी शामिल है। उन्होंने दावा किया घोटाले को दबाने के लिए गडकरी पर भय्यू जी महाराज ने भी दबाव बनाया था।
भय्यू जी महाराज अन्ना के आंदोलन के दौरान चर्चा में आए थे। अगस्त 2011 में जब अन्ना रामलीला मैदान में अनशन पर बैठे थे, तो भय्यू जी महाराज को बाकायदा महाराष्ट्र से दिल्ली लाया गया था। अंजलि के मुताबिक, आध्यात्मिक गुरु भय्यू जी महाराज 13 अगस्त को गडकरी से मिले थे। अंजलि का आरोप है कि इस मुलाकात में भय्यू जी ने गडकरी से इस मामले को ज्यादा तूल ना देने और किरीट सोमैया पर पीआईएल न दाखिल करने के लिए दबाब बनाने को कहा था।
हालांकि, गडकरी ने अंजलि नाम की किसी महिला को जानने या इस तरह की कोई मुलाकात होने से इनकार किया है। बीजेपी ने पवार और गडकरी के बीच अंजलि के कारोबारी रिश्ते होने के दावे का भी खंडन किया है। सोमैया और भैय्यू जी महाराज ने भी अंजलि के दावों को सिरे से नकार दिया है।
भय्यू जी के मुताबिक, 13 अगस्त के दिन वह पुणे में अपने परिवार के साथ थे और रात में उज्जैन में थे। इसका सबूत भी वह अपने पास होने का दावा कर रहे हैं। उनका तो यहां तक कहना है कि अगर यह बात साबित हो जाती है कि वह 13 अगस्त को गडकरी से मिले थे तो वह सार्वजनिक जीवन से संन्यास ले लेंगे। सोमैया ने अपने ऊपर किसी तरह के दबाव की बात को खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि घोटालों का खुलासा नहीं करने को लेकर उन पर किसी तरह का दबाव नहीं था। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा होता तो क्या वह घोटालों को लेकर अपनी मुहिम जारी रख पाते?
हालांकि, चौंकाने वाली बात यह है कि इससे पहले बुधवार को अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में अंजलि सीधे-सीधे गडकरी का नाम लेने से बचती रही थीं। उन्होंने सिर्फ इतना कहा था कि वह सिंचाई घोटाले की जानकारी को लेकर विपक्षी पार्टी के पास गई थीं, ताकि इस मामले को उठाया जाए। लेकिन उस पार्टी के अध्यक्ष ने यह कहकर मामले को उठाने से इनकार कर दिया था कि मेरे उनसे कारोबारी रिश्ते हैं। जब अंजलि से उस पार्टी अध्यक्ष के नाम के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने यह कहते हुए नाम बताने से इनकार कर दिया था कि उनके पास बातचीत का कोई सबूत नहीं है।
हालांकि, गडकरी ने अंजलि नाम की किसी महिला को जानने या इस तरह की कोई मुलाकात होने से इनकार किया है। बीजेपी ने पवार और गडकरी के बीच अंजलि के कारोबारी रिश्ते होने के दावे का भी खंडन किया है। सोमैया और भैय्यू जी महाराज ने भी अंजलि के दावों को सिरे से नकार दिया है।
भय्यू जी के मुताबिक, 13 अगस्त के दिन वह पुणे में अपने परिवार के साथ थे और रात में उज्जैन में थे। इसका सबूत भी वह अपने पास होने का दावा कर रहे हैं। उनका तो यहां तक कहना है कि अगर यह बात साबित हो जाती है कि वह 13 अगस्त को गडकरी से मिले थे तो वह सार्वजनिक जीवन से संन्यास ले लेंगे। सोमैया ने अपने ऊपर किसी तरह के दबाव की बात को खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि घोटालों का खुलासा नहीं करने को लेकर उन पर किसी तरह का दबाव नहीं था। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा होता तो क्या वह घोटालों को लेकर अपनी मुहिम जारी रख पाते?
हालांकि, चौंकाने वाली बात यह है कि इससे पहले बुधवार को अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में अंजलि सीधे-सीधे गडकरी का नाम लेने से बचती रही थीं। उन्होंने सिर्फ इतना कहा था कि वह सिंचाई घोटाले की जानकारी को लेकर विपक्षी पार्टी के पास गई थीं, ताकि इस मामले को उठाया जाए। लेकिन उस पार्टी के अध्यक्ष ने यह कहकर मामले को उठाने से इनकार कर दिया था कि मेरे उनसे कारोबारी रिश्ते हैं। जब अंजलि से उस पार्टी अध्यक्ष के नाम के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने यह कहते हुए नाम बताने से इनकार कर दिया था कि उनके पास बातचीत का कोई सबूत नहीं है।
अब इसके बारे में तो हम ''शिखा कौशिक ''जी के शब्दों में बस यही कह सकते हैं -
''देश बेचकर खाने का जिस पर आरोप लगाते हैं ,
परदे की पीछे उससे ही दोस्ती निभाते हैं .
हम नेता हैं देश के मांगे सबकी खैर
न काहू से दोस्ती न काहू से बैर.''
शालिनी कौशिक
टिप्पणियाँ
न काहू से दोस्ती न काहू से बैर.''
पकड गए तो चोर नही तो साहूकार,
परदे के पीछे सभी पार्टी के नेताओं का यही हाल है,,,
RECENT POST : गीत,
सही कहा गया है कि "ना कोई सराहने लायक है ना कोई दुशने लायक "
हिन्दुस्तान की कब आयेगी बारी ?
''देश बेचकर खाने का जिस पर आरोप लगाते हैं ,
परदे की पीछे उससे ही दोस्ती निभाते हैं .
हम नेता हैं देश के मांगे सबकी खैर
न काहू से दोस्ती न काहू से बैर.''
आखिरी दो लाइनें बस यूं कर लें -
हम नेता हैं देश के खाएं सब कुछ बेच ,
इटली से है दोस्ती ,अपने घर से वैर .
शालिनी कौशिक
! कौशल !
देश क्या भाजपा और कांग्रेस की लुगाई है जिसे दोनों बारी बारी से भुगताएंगे.बहुत ही तंग दायरा है सोच का शब्द चयन का .
असल सवाल गुम है देश की बारी कब आयेगी
क्या जनता यूं ही सब कुछ लुटायेगी ?
पर ये अंजलि जी की सत्यता का भी कुछ प्रमाण नहीं है | और अगर ऐसी कोई बात थी तो इस से पहले अंजलि जी कहाँ थी ? क्यों नहीं सत्य को उजागर किया ? तब ही क्यों सामने आई जब अजीत पवार के गले में फंदा लग रहा है ? ऐसे कई सवाल हैं जो अनुत्तरित हैं | वैसे बढ़िया लेख | साथ में शिखा जी की सुंदर पंक्तियाँ |
कृपया इस समूहिक ब्लॉग में आए और इस से जुड़ें|
काव्य का संसार
अब आई कांग्रेस की बारी
ब्लॉग जगत में बहनापा है यह अच्छी बात है मान लो दो बहनें हैं एक एम ए हिंदी है ,भाषा प्रवीण है .दूसरी वकील है.एक के पास अच्छी भाषा है दूसरी के पास तर्क है . दोनों मिलके एक तर्क खडा करतीं हैं .चलो यह भी ठीक है .लेकिन इस तर्क के कोई सामाजिक सरोकार भी तो होना चाहिए .यह महज़ एक तमाशाई प्रवृति है .दो मुर्गों को आपस में लड़ वाना है जब एक हार जाए तो कहना है चौधरी साहब आपका मुर्गा तो हार गया .
"अब कांग्रेस की बारी है "शीर्षक में मानसिक सरोकार कम हैं तमाशबीनी ज्यादा है .देश के सरोकारों से कोई लेना देना नहीं है .यह उसी तरह से है जैसे कोई कहे कि मैं कहता न था देखा ये भी भ्रष्ट है .अब ऊँट पहाड़ के नीचे आया है .
चलिए मान लिया गडकरी साहब ने कहा भी -मैं नहीं कहता पवार को पर उन्होंने यह तो नहीं कहा कि दूसरे भी ये मुद्दा न उठाएं .
राजनीति में दो विरोधी एक दूसरे के उस तरह से विरोधी नहीं हैं जैसे दो मुर्गे गर्दन ऊंची करके एक दूसरे को काटतें हैं .इनके आपस में भी सरोकार हैं .भाई चारा है .होता है .होता रहेगा .
हमारा कहना यह है सच्चा सरोकार रखिए देश के मुद्दों से तमाश बीन मत बनिए .तमाशबीन बनके दूसरों को हड्काने का कोई फायदा नहीं है .
राष्ट्र ऊपर है व्यक्ति से .
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आपने सोनिया जी को देख लिया उनसे मिल लीं हैं बहुत अच्छा है .नहीं मिलीं हैं और बिना मिले भी उनके प्रति यह वफादारी है यह और भी अच्छा है लेकिन उन्हें (सोनिया जी )को आप नारी कहके तो देखें .क्या वह भी अपने को नारी मानतीं हैं ?कहकर देखिए उन्हें नारी और फिर देखिए उनकी प्रतिक्रिया.
ब्लॉग जगत को इस जेंडर बायास ,जेंडर तरफदारी से ऊपर उठना चाहिए .
सही को सही कहो ज़रूर कहो .
लेकिन औरों को भी अपनी बात कहने दो .अपनी जुबां उनके मुंह में फिट मत करो .
कई ब्लॉग -महारथी कैंची लिए बैठें हैं ,उन्हें सिर्फ चिरकुट पसंद हैं .विमत के लिए गुंजाइश नहीं है अगर सेकुलर होता तो गोल मोल बात करता .कहता एक वर्ग ऐसा है ब्लोगिंग में जिसे सिर्फ पूडल पसंद हैं लेकिन मैं अपने आप को गाली नहीं दे सकता .लीजिए बानगी के बतौर एक "महा -ब्लोगर " बतला देता हूँ .आप है श्री महेंद्र वर्मा जी .कभी मौक़ा आया और प्रसंग वश बतलाना ज़रूरी लगा ,शेष को भी रेखांकित करूंगा .इति नेहा एवं आदर से .
वीरुभाई ,४३ ,३०९ ,सिल्वर वुड ड्राइव ,कैंटन ,मिशिगन .४८ १८८ .