''शालिनी''करवाए रु-ब-रु नर को उसका अक्स दिखाकर .
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आज करूँ आगाज़ नया ये अपने ज़िक्र को चलो छुपाकर ,
कदर तुम्हारी नारी मन में कितनी है ये तुम्हें बताकर .
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जिम्मेदारी समझे अपनी सहयोगी बन काम करे ,
साथ खड़ी है नारी उसके उससे आगे कदम बढाकर .
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बीच राह में साथ छोड़कर नहीं निभाता है रिश्तों को ,
अपने दम पर खड़ी वो होती ऐसे सारे गम भुलाकर .
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कैद में रखना ,पीड़ित करना ये न केवल तुम जानो ,
जैसे को तैसा दिखलाया है नारी ने हुक्म चलाकर .
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धीर-वीर-गंभीर पुरुष का हर नारी सम्मान करे ,
आदर पाओ इन्हीं गुणों को अपने जीवन में अपनाकर .
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जो बोओगे वो काटोगे इस जीवन का सार यही ,
नारी से भी वही मिलेगा जो तुम दोगे साथ निभाकर .
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जीवन रथ के नर और नारी पहिये हैं दो मान यही ,
''शालिनी''करवाए रु-ब-रु नर को उसका अक्स दिखाकर .
शालिनी कौशिक
[WOMAN ABOUT MAN]
आज तक पुरुष ही महिला के सम्बन्ध में अपने विचार अभिव्यक्त करता रहा है और इस समबन्ध में ब्लॉग जगत में बहुत से ब्लॉग हैं जैसे भारतीय नारी ,नारी आदि .८ मार्च २०१३ से मैंने भी एक सामूहिक ब्लॉग की शुरुआत की है जिसका नाम है '' [WOMAN ABOUT MAN] '' .यहाँ आप सभी महिला ब्लोगर्स आकर पुरुषों के सम्बन्ध में अपने सकारात्मक ,नकारात्मक जो भी विचार हों और उनसे जुड़े जो खट्टे -मीठे अनुभव हों सम्पूर्ण ब्लॉग जगत से साझा कर सकती है .यदि आप मेरे इस ब्लॉग से जुड़ने की आकांक्षी हैं तो मेरे इस इ मेल पर मेल करें - kaushik_shalini@hotmail.com
टिप्पणियाँ
Recent post: होरी नही सुहाय,
यदि न सुधरते हैं सभी, तो हैं वध्य ये नीच ||
तो हैं वध्य ये नीच,इन्हें मत क्षमा करो तुम !
नारी दुर्गा बनो,इन्हें बस हना करो तुम !!
संस्कार से हीन दिखावट रोज़ रहे कर |
दानवता को छुपा के रहते हैं ऐसे नर ||
'नर -पिशाच' ऐसे कई ,हैं समाज के बीच |
यदि न सुधरते ये सभी,निश्चय वध्य ये 'नीच'||
निश्चय वध्य ये 'नीच', क्षमा के योग्य नहीं ये |
'संस्कृति'दूषित हुई , इन्हीं पामर लोगों से ||
जल्दी हो उपचार, करे कुछ ऐसा ईश्वर !
मत भारत में जन्में ऐसे 'दानव से नर' ||
नारी बदले की भावना से नहीं प्रेम की भावना से काम करती है। उसके जज़्बात अलग हैं।
नर से भारी नारी....
बढ़िया प्रस्तुति...शुभकामनाएँ!
नारी से भी वही मिलेगा जो तुम दोगे साथ निभाकर ...
बहुत सुंदर रचना , नारी को जग जननी कहा गया है मगर आज समाज मे अपना अस्तित्व बनाए रखने को नारी को बहुत जद्दोजहद करनी पड रही है ।