मुसलमान हिन्दू से कभी अलग नहीं
मुसलमान हिन्दू से कभी अलग नहीं ''दिल में जब रौशनी की ख्वाहिश हो , शौक से मेरा घर जला लेना .''-मोहम्मद अकरम एक दूसरे के प्रति कुर्बानी के भाव तक प्रेम में आकंठ डूबे हिन्दू-मुस्लिम समुदायों वाला यह देश चंद कट्टरपंथियों के कारण पिछले कुछ समय से जिस दौर से गुजर रहा है वह हम सभी के लिए शर्मनाक है क्योंकि - ''अब तो रह रहके जली लाशों की बू आती है , पहले ऐसी तो न थी मेरे चमन की खुशबू .'' भारत में हिन्दू व् मुसलमान समुदाय कभी एक दूसरे से अलग नहीं रहे .ये हमेशा एक दूसरे के दुःख में दुखी व् एक दूसरे की ख़ुशी में हर उत्सव हर जलसे में शामिल रहे हैं .जहाँ ईद मिलन के अवसर पर हिन्दू सबसे पहले अपने भाई मुसलमान की चौखट पर ईद मिलने पहुँचते हैं वहीँ दीवाली की मिठाई खाने में मुसलमान भी हिन्दू भाई से पीछे नहीं रहते .जहाँ हिन्दू बहन रानी पद्मावती के रक्षा के लिए मुग़ल बादशाह हुमायूँ भाई बन पहुँचता है वहीँ हिन्दू परिवारों के कितने ही बच्चे मुसलमान दाइयों के संरक्षण में पलते हैं .जहाँ हिन्दू विधवा बूढी महिला का कोई ...