शुभकामना देती ''शालिनी''मंगलकारी हो जन जन को -२०१४

 
अमरावती सी अर्णवनेमी पुलकित करती है मन मन को ,
अरुणाभ रवि उदित हुए हैं खड़े सभी हैं हम वंदन को .

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अलबेली ये शीत लहर है संग तुहिन को लेकर  आये  ,
घिर घिर कर अर्नोद छा रहे कंपित करने सबके तन को .

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मिलजुल कर जब किया अलाव  गर्मी आई अर्दली बन ,
अलका बनकर ये शीतलता  छेड़े जाकर कोमल तृण को .

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आकंपित हुआ है जीवन फिर भी आतुर उत्सव को ,
यही कामना हों प्रफुल्लित आओ मनाएं हर क्षण को .

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पायें उन्नति हर पग चलकर खुशियाँ मिलें झोली भरकर ,
शुभकामना देती ''शालिनी''मंगलकारी हो जन जन को .

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शालिनी कौशिक
[कौशल]


शब्दार्थ :अमरावती -स्वर्ग ,इन्द्रनगरी ,अरुणिमा -लालिमा ,अरुणोदय-उषाकाल ,अर्दली -चपरासी ,अर्नोद -बादल ,तुहिन -हिम ,बर्फ ,अर्नवनेमी -पृथ्वी

टिप्पणियाँ

बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बुधवार (01-01-2014) को हों हर्षित तन-प्राण, वर्ष हो अच्छा-खासा : चर्चा मंच 1479 में "मयंक का कोना" पर भी है!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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ईस्वी नववर्ष-2014 की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
रविकर ने कहा…
हो जग का कल्याण, पूर्ण हो जन-गण आसा |
हों हर्षित तन-प्राण, वर्ष हो अच्छा-खासा ||

शुभकामनायें आदरणीया
vandana gupta ने कहा…
रोंप खुशियों की कोंपलें
सदभावना की भरें उजास
शुभकामनाओं से कर आगाज़
नववर्ष 2014 में भरें मिठास

नववर्ष 2014 आपके और आपके परिवार के लिये मंगलमय हो ,सुखकारी हो , आल्हादकारी हो
Anita ने कहा…
बहुत सुंदर शुभकामना...
virendra sharma ने कहा…

अमरावती सी अर्णवनेमी पुलकित करती है मन मन को ,
अरुणाभ रवि उदित हुए हैं खड़े सभी हैं हम वंदन को .
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अलबेली ये शीत लहर है संग तुहिन को लेकर आये ,

बहुत ख़ास रचना है २०१४ की ,कई चहरे बे नकाब होंगें चौदह में ,

साल नया बनाये रहे। शहज़ादा आये चाहे जाए।
virendra sharma ने कहा…

अमरावती सी अर्णवनेमी पुलकित करती है मन मन को ,
अरुणाभ रवि उदित हुए हैं खड़े सभी हैं हम वंदन को .
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अलबेली ये शीत लहर है संग तुहिन को लेकर आये ,

बहुत ख़ास रचना है २०१४ की ,कई चहरे बे नकाब होंगें चौदह में ,

साल नया उत्साह आपका बनाये रहे। शहज़ादा आये चाहे जाए।

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